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अपनी हर रचना में अपने ही रूप का खंडन करने के लिए मशहूर काशीनाथ सिंह

‘प्रतिरोध का सिनेमा’ के बहाने संगठित होते युवा

धरती-अंक 16 :आज का मीडिया और उसकी भूमिका" पर केन्द्रित

कवि गगन का "सृजन पर्व " 3 अक्टूबर को

''सच्चे अर्थों में मनुष्य आज वैश्वीकरण के जाल में उलझा हुआ है''-काशीनाथ सिंह

कविता आज के वक्त पर टिप्पणी करती है

सृजन ने आयोजित किया “हिन्दी रचना गोष्ठी”कार्यक्रम

त्रिलोक सिंह का कुण्डलिया संग्रह ' काव्यगंधा ' लोकार्पित

National Convention of SPICMACAY in Guwahati