समय-चेतना का मासिक साहित्यिक आयोजन
मूल्य:-मात्र तीस रुपये.
यह जनपथ पत्रिका
के नागार्जुन
विशेषांक का
आवरण है,
जिसे रामनिवास
ने बनाया
है. इस
अंक में
बाबा पर
त्रिलोचन, शमशेर, केदारनाथ अग्रवाल, कुबेर
दत्त और
श्याम सुशील
की कविताएँ
और सॉनेट
हैं. शोभाकांत
जी का
संस्मरण, बाबा
के कृतित्व-व्यक्तित्व पर
प्रो. मैनेजर
पाण्डेय से
पंकज चतुर्वेदी
की बातचीत
तथा आलोकधन्वा,
रामजी राय,
प्रणय कृष्ण
का भाषण
और गोपेश्वर
सिंह, रामाह्लाद
चौधरी, रामनिहाल
गुंजन, गोपाल
प्रधान, अवधेश,
मृत्युंजय, कुमार मुकुल, अच्युतानानंद मिश्र,
मनोज कुमार
झा, रवीद्रनाथ
राय, तारानंद
वियोगी, मीना
कुमारी, महेश
चंद्र पुनेठा,
जीतेन्द्र कुमार, संजय कृष्ण, सुमन
कुमार सिंह,
अनिल पासवान,
संतोष झा
आदि के
लेख हैं.
बाबा की
कुछ चुनिंदा
कवितायेँ भी
इसमें हैं.
इस अंक
के लिए
रेखांकन आरा
के चित्रकार
राकेश दिवाकर
ने किया
है. इस
विशेषांक के
लिए विकास
कुमार (09891196911) से संपर्क
किया जा
सकता है.
इस अंक में
प्रगतिशील आन्दोलन और नागार्जुन शीर्षक
से प्रणय
कृष्ण का
व्याख्यान और नागार्जुन के जीवन
स्वप्न पर
रामजी राय
का वक्तव्य
काफी महत्वपूर्ण
है. गोपेश्वर
सिंह का
लेख जनांदोलन
के पहलू
से लिखा
हुआ गौरतलब
लेख है.
राम आह्लाद
चौधरी और
महेश चंद्र
पुनेठा ने
काफी विस्तार
से बाबा
पर लिखा
है. तारानंद
वियोगी और
मनोज कुमार
झा के
लेख बाबा
कि संस्कृत
और मैथिली
की कविता
पर है.
शोध छात्र
मीना कुमारी
ने उनकी
बांगला कविताओं
पर विस्तार
से लिखा
है. गोपाल
प्रधान का
लेख बाबा
द्वारा लिखी
गयी आलोचना
पर केंद्रित
है. अवधेश
ने आपातकाल
के सन्दर्भ
से लिखा
है. मृत्युंजय,
अच्युतानंद ने बाबा के वर्गीय
पक्षधरता को
रेखांकित किया
है. आलोकधन्वा
ने वामपंथ
के अतीत
और वर्तमान
के बीच
आवाजाही के
साथ साथ
स्वतंत्रता, वैज्ञानिकता, आधुनिकता और प्रगति
के लिए
मनुष्य की
बहुत लंबी
जदोजेहद को
समेटते हुए
उसकी पृष्ठभूमि
में बाबा
की ऐतिहासिक
भूमिका को
चिह्नित किया
है.
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