साहित्य के वर्तमान परिदृश्य में कविता के प्रति उभरती चिंताओं के मद्देनज़र बात करते हुए सुप्रसिद्ध कवि, ग़ज़लगो, लेखक श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेयी जी ने कविता पर अपने विचार रखते हुए ऐसे आयोजनों की सार्थकता पर जोर देते हुए कहा कि कैम्पस में कविता जैसे आयोजन में नयी पीढ़ी की प्रतिभा उन्हें सुखद आश्चर्य से भरती है! उल्लेखनीय है आज सुबह दिल्ली के श्रीगुरु नानक देव खालसा कॉलेज, देव नगर में लिखावट के ' कैम्पस में कविता-१४' का आयोजन किया गया! इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेयी जी ने और सञ्चालन किया लिखावट से जुडी अंजू शर्मा ने! लिखावट के संयोजक और कवि मिथिलेश श्रीवास्तव जी ने छात्रों की कविताओं पर टिप्पणी करते हुए ये विश्वास जताया कि युवा पीढ़ी द्वारा विविध विषयों वाली सुंदर कवितायेँ सुनकर कहीं से भी नहीं लगता कि ये कवितायेँ छात्रों द्वारा लिखी गयी हैं! वहीँ लिखावट की मुख्य संयोजक अनीता श्रीवास्तव ने भी छात्रों की कविताओं पर बात करते हुए कविता के विकास के प्रति आश्वस्ति का भाव जताया!
'कैम्पस में कविता-१४" कार्यक्रम के द्वारा आज लिखावट के इस कार्यक्रम के नए सत्र की शानदार शुरुआत हुई! इससे पहले यह कार्यक्रम पिछले दो सत्रों में सफलता के कई कीर्तिमान स्थापित कर चुका है! जैसे ही नए सत्र की घोषणा की गयी, कॉलेजों से लगातार हमारे पास प्रस्ताव आ रहे थे! कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. हरनेक सिंह गिल और प्रतिभाशाली छात्र देवेश त्रिपाठी की पहल पर सत्र की शुरुआत इसी कॉलेज से की गयी! दीपदान से कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सभी कवियों को पुष्पगुच्छ भेंट करते हुए खालसा कॉलेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापकों ने इस अवसर पर सभी का भरपूर स्वागत किया! इस अवसर पर कॉलेज की हिंदी साहित्य सभा का श्री वाजपेयी जी द्वारा उद्घाटन भी किया गया! संचालक अंजू शर्मा ने लिखावट संस्था के उद्देश्यों पर रौशनी डालते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की और सभी का परिचय कराया! कार्यक्रम के स्वरुप के अनुसार इसे दो सत्रों में विभाजित किया गया! पहले सत्र में छात्रों का कविता पाठ था, जिसमें चार छात्रों ने हिस्सा लिया! इसमें फैजान मुकीम, वेद दत्त आर्य, देवेश त्रिपाठी और आदर्श शुक्ल ने अपनी कविताओं का सुंदर पाठ किया! प्रतिभाशाली छात्र और आत्मविश्वास से दमकते चेहरे इस सत्र की विशेषता थी! छात्रो ने भिन्न-भिन्न विषयों पर साधिकार प्रभावशाली ढंग से अपनी कवितायेँ सुनायीं, जिन्हें सुनकर सचमुच कहीं से नहीं लग रहा था कि इन्हें अध्यनरत छात्रो द्वारा रचा गया है! प्रेम, राजनीति, और सम-सामयिक विषयों आधारित पर ये कवितायेँ बहुत ही प्रभावित करने वाली थी!
दूसरे सत्र में जिन कवियों ने भाग लिया उनके नाम थे - अंजू शर्मा, डॉ. मनोज सिंह, डॉ. हरनेक सिंह गिल, मिथिलेश श्रीवास्तव और लक्ष्मी शंकर वाजपेयी! अंजू शर्मा अपनी दो कविताओं का पाठ किया! सबसे पहले पंजाबी कविता 'मेरी माँ' सुनाई और फिर अपनी लम्बी कविता 'साल १९८४' के कुछ अंश पढ़े! देशबंधु कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक एवं लिखावट से सक्रिय रूप से जुड़े डॉ. मनोज सिंह ने तीन कविताओं का पाठ किया! उन्होंने 'जनता का आदमी', 'कुछ लोग और बाकी लोग', 'डरा हुआ सा आत्मविश्वास' शीर्षक से कवितायेँ सुनाई जो सभी को पसंद आई! आम आदमी से जुडी इन कविताओं को रचने के लिए मनोज कहीं दूर जाते, वे आम जीवन से ही कवितायेँ ढूंढ निकालते हैं, कविताओं में निहित व्यंजन सहसा ध्यानाकर्षित करती है! इसके बाद खालसा कॉलेज में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. हरनेक सिंह गिल ने अपनी २ प्रेम कविताओं का पाठ किया! डॉ. गिल प्रेम यूँ तो सभी विषयों पर कवितायेँ लिखते हैं किन्तु प्रेम कविताओं में उनका जवाब नहीं, पढने का ढंग भी बहुत ही रोचक रहा! उनके छात्रों ने तालियों द्वारा उनका उत्साहवर्धन किया! मिथिलेश श्रीवास्तव जी ने अपनी ६ कविताओं का पाठ किया! उन्होंने बाज़ार के खिलाफ, हम नहीं बताते, सरकार, पुतले पर उतरता हमारा गुस्सा, शिविर एक दिन खाली हो जायेगा आदि कवितायेँ सुनाई! मिथिलेश सहज भाषा में बिना किसी लाग लपेट के अपनी बात रखने में माहिर हैं, विनम्र शैली में व्यवस्था पर किये गए कटाक्षों द्वारा वे बिना मुखर हुए ही अपनी बात सरलता से कह जाते हैं और यही उनकी कविताओं की विशेषता है जो उन्हें औरों से अलग करती है! 'सरकार' कविता में वे व्यंग्य की चरम सीमा पर थे!
अंत में सुप्रसिद्ध कवि और अध्यक्ष लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी ने अपने अध्यक्षीय व्यक्तव्य में सभी छात्रो की कविताओं पर सुंदर समीक्षात्मक टिप्पणी की, उन्होंने छात्रों द्वारा पढ़ी गयी लगभग सभी कवितों पर अपने विचार रखे, और सुझावों द्वारा भी अवगत कराया! सभी जानते हैं कि वाजपेयी जी काव्य-लेखन की सभी विधाओं में पारंगत हैं और कॉलेज में उनके प्रशंसकों की भारी भीड़ मौजूद थी, सभी उनसे बार बार कवितायेँ सुनना चाह रहे थे! उन्होंने सभी की पसंद के अनुसार शेर से शुरुआत करते हुए कुछ लघु कवितायेँ सुनाई और फिर अपनी कुछ प्रसिद्द रचनाएँ जैसे कीड़े, नहीं बरसा पानी, वे लोग आदि का पाठ किया! अंत में उन्होंने श्रोताओं की मांग पर एक ग़ज़ल भी सुनाई! एक और खास बात वाजपेयी जी बहुत ही सुंदर पाठ करते हैं और वह भी कागज़ का प्रयोग किये बिना! कार्यक्रम समाप्त होते ही उन्हें भीड़ ने घेर लिया, सभी को उनके ऑटोग्राफ चाहिए थे!
सबसे सुखद बात यह रही कि श्रोताओं ने बड़े उत्साह का परिचय दिया और हमेशा की तरह छात्रों की उपस्थिति आह्लादित और उत्साहित करने वाली रही! हिंदी विभाग से जुड़े डॉ. हरनेक सिंह गिल, डॉ. भूपिंदर कौर, डॉ. बलबीर कुंद्रा, देवेश त्रिपाठी और अन्य कई छात्रों ने इस कार्यक्रम की सुंदर व्यवस्था की और कवियों को उचित सम्मान भी दिया गया! वस्तुतः यह एक यादगार कार्यक्रम था जिससे लिखावट के 'कैम्पस में कविता' के नए सत्र की शानदार शुरुआत हुई
अंजू शर्मा
युवा कवयित्री हैं.दिल्ली में रहते हुए साहित्य-संस्कृति के कई बड़े संगठनों से जुडी हुई है. कविता रचना के साथ ही आयोजनों की अनौपचारिक रिपोर्टिंग के अंदाज़ के साथ चर्चा में हैं.प्रिंट मैगज़ीन के साथ ही कई ई-पत्रिकाओं में छपती रही है.वर्तमान में मैं अकादमी ऑफ़ फाईन आर्ट्स एंड लिटरेचर के कार्यक्रम 'डायलोग' और 'लिखावट' के आयोजन 'कैम्पस में कविता' से बतौर कवि और रिपोर्टरएक और पहचान है.
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