उदयपुर ,14 जून।
राजस्थानी व गुजराती लोक साहित्य परंपरा से स्वतंत्रता की अलख
पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार को झुलेलाल भवन में प्रारंभ होगी।यह जानकारी राजस्थानी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्याम महर्षि तथा सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी
के कुलपति डॉ एम के पाडलिया ने सर्किट हॉउस में हुई पत्रकार वार्ता में
दी।संगोष्ठी का आयोजन राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ,सोराष्ट्र यूनिवर्सिटी व् डॉ मोहन
सिंह मेहता मेमोरियल के सयुक्त तत्वावधान में हो रहा है।
राजस्थानी साहित्य अकादमी के
अध्यक्ष श्याम महर्षि ने बताया कि राजस्थान और गुजरात में वर्षो से सांस्कृतिक और
साहित्यिक समन्वयन रहा है।दोनों राज्यों का लोक साहित्य मिलता जुलता रहा है।दो सौ से तीन सौ वर्ष पूर्व के अभिलेखों व साहित्य की लिपि व भाषा को राजस्थानी पुरानी राजस्थानी और गुजराती उसे पुरानी गुजराती कहते है। डॉ पाडलिया ने बताया
की गुजरात व राजस्थान की लोक परंपरा तथा साहित्य में साझापन है।
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति
अकादमी के सचिव पृथ्वीराज रतनू और रवि पुरोहित ने बताया कि शनिवार को प्रातः
उदघाटन के अवसर पर सौराष्ट्र युनिवरसिटी के कुलपति और मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के
कुलपति आई वी त्रिवेदी के आथिथ्य एवं गुजरात साहित्य अकादमी के महामंत्री हर्षद त्रिवेदी
व झवेर चंद मेघानी लोक साहित्य के निदेशक डॉ अम्बादान रोहाडिया अपने
उद्बोधन देंगे। अगले सत्र में राजस्थानी और डिंगल और संत साहित्य में स्वतंत्रता की जन
चेतना पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष
नारायण सिंह पीथल , गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव बसंत भाई गडवी ,डॉ अम्बादान रोहडिया गुजराती साहित्यकार
मनोज रावल ,डॉ राजेंद्र बारहट सहित कई साहित्यकार अपने विचार व्यक्त
करेंगे। दो दिवसीय सम्मलेन के अगले सत्रों में गुजराती व राजस्थानी साहित्य की आपसी
संवेदना, स्वतंत्रता का सांझा लोक सहिया जैसे महत्त्व पूर्ण विषयो पर
पत्र वचन होंगे।
नन्द किशोर शर्मा
सचिव
डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट
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