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''मातृभाषा के बिना मातृ-संस्कृति की कल्पना नही की जा सकती।''- श्याम महर्षि


उदयपुर 

13 अक्टूबर राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी बीकानेर, गांधी मानव कल्याण सोसायटी तथा डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में शनिवार को उदयपुर संभाग के राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों का सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए चित्तौड़गढ़ सांसद एवं लोक सभा की सचेतक डा. गिरिजा व्यास ने उदयपुर संभाग के राजस्थानी साहित्यकार समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद हमें राजस्थानी भाषा के लिये जो करना था वो भूल-चूक हम अब सुधारेंगे। उन्होंने कहा राजस्थानी का भोजपूरी के साथ ही मान्यता दिलवायेंगे। राजस्थानी का लोक एवं संत साहित्य के साथ दर्शन विज्ञान, गणित से जुड़ा भी पूराना साहित्य बहुत है, उस पर भी काम करना चाहिये। उन्होंने साहित्यकारों से कहा कि साहित्यकार अपनी सृजन क्षमता से मातृभाषा राजस्थानी को समृद्व बनायें। 

पद्म विभूषण प्रो. जगत मेहता ने मातृभाषा की सेवा का संकल्प लेने का आव्हान किया। राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी बीकानेर के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मातृभाषा एवं मातृभूमि को याद रखेगा तभी उसकी संस्कृति बचेगी। मातृभाषा के बिना मातृ-संस्कृति की कल्पना नही की जा सकती। उन्होंने कहा कि कोई भी रचना सामाजिक सरोकारों से जुड़ी होगी वही कालजयी हो सकेगी। इसलिये सृजन में सामाजिक सरोकारों को चिन्तन मध्य रखेगा वो अपने युग में नेतृत्वकारी होगा।

उद्घाटन सत्र में बीज भाषण देते हुए डा. राजेन्द्र बारहठ ने कहा कि राजस्थानी भाषा आंठवी अनूसूची में जुड़ने से देश के अन्य प्रान्तों के युवाओं के समान राजस्थानी युवाओं को आई.ए.एस. परीक्षा में राजस्थानी माध्यम एवं 600 अंको का ऐच्छिक पेपर मिल सकेगा। साक्षात्कार में भी भाषा की सुविधा एवं रेल्वे परीक्षा, आर.ए.एस , टेट परीक्षा में राजस्थानी प्रश्न-पत्र मिलेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान की संस्कृति नीति, राजस्थानी फिल्म डवलपमेन्ट को-ऑपरेशन का बनाना आवश्यक है। राज्य में अभिलेखिय एवं प्राच्य विद्या की अपार सामग्री है। इसलिये देश में प्राच्य विद्या विश्वविद्यालय राजस्थान में बन सकता है। राजस्थान सरकार में भाषा विभाग एवं राजस्थान ग्रन्थ अकादमी राजस्थानी को आवश्यक ग्रन्थ तैयार कर छपवाये। उन्होंने कहा कि अनिवार्य शिक्षा कानून को लागू करने की दिशा में पहला कदन एस.आई.ई.आर.टी. द्वारा तैयार पुस्तक का शीर्षक ‘हमारा राजस्थान’ का नाम ‘आपणों राजस्थान’ एवं माध्यम राजस्थानी किया जा सकता है। इसी तरह कक्षा 1 से 12 तक एक पुस्तक राजस्थानी की हो सकती है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में डा. पुरूषोत्तम ‘पल्लव’ की सरस्वती वन्दना से हुई। जिसमें वाणी वन्दना हिम्मतसिंह उज्जवल ने एवं बधावा गीत नरोत्तम व्यास ने गाया। उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में डा. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय एस. मेहता ने स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी के सचिव पृथ्वीराज रत्नू ने ज्ञापित किया। 

द्वितिय सत्र के खास मेहमान उदपुर रेंज के आई.जी. टी.सी. डामोर ने कहा कि मातृभाषा में साहित्य का सृजन साहित्यकार एवं समाज का सौभाग्य होता है। डामोर ने कहा कि साहित्यकारों का सम्मान कर समाज अपने आप को गौरान्वित महसूस करता है। मुख्य अतिथी मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्याालय के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता अवश्य मिलेगी। सुखाड़िया वि.वि. शिक्षा एवं साहित्य के क्षैत्र मे काम कर रहे लोगो का सम्मान करेगा। प्रो. त्रिवेदी ने आगे कहा कि राजस्थानी भाषा साहित्य की सेवा करने वालों का सम्मान की श्रंखला शुरू करेगा।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा कि राजस्थानी अकादमी का गठन, आकाशवाणी में राजस्थानी में समाचार वाचन, आर.पी.एस.सी. में राजस्थानी, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं विश्वविद्यालय में राजस्थानी पाठ्यप्रकाश बनवाए गए। वेदव्यास ने आगे कहा कि राजस्थानी भाषा का सवाल जनता का सवाल है, इसे जन सवाल के रूप में रखा जाना चाहिये। अपनी भाषा के सवाल पर राजस्थानी लोग निन्द्रामग्न है जो गम्भीर है। हिन्दी एवं राजस्थानी के समन्वय से ही राष्ट्र भाषा का पक्ष प्रबल होता है। हमारा गौरव मायड़ भाषा में है। 

इस अवसर पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के क्षैत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये स्व. दयालचन्द्र सोनी को मरणोपरान्त राजस्थानी साहित्य सम्मान से नवाजा गया जिसे उनकी 90 वर्षीय पत्नि ने ग्रहण किया। उदयपुर संभाग के राजस्थानी साहित्य को आगे बढ़ाने एवं लेखन को बल प्रदान करने के लिये पुरूषोत्तम पल्लव उदयपुर, शुभकरण सिंह उज्जवल मावली, डा. हर्षवर्धन सिंह राव डूंगरपूर, हरीश व्यास प्रतापगढ़, शकुन्तला सरूपरिया उदयपुर, इकबाल हुसैन ‘इकबाल‘ उदयपुर, प्रो. जी.एस. राठौड़ उदयपुर, माधव दरक कुंभलगढ़, शिवराज सोनवाल रंगकर्मी उदयपुर, लोकेश मेनारिया राजस्थानी फिल्म निर्देशक उदयपुर इत्यादि को शॉल, सम्मान पत्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। 

सम्मान सत्र में हरीश व्यास प्रतापगढ़ की पुस्तक ‘‘कांठळ री कोर सूं’’ एवं डा. चन्दनबाला मारू की पुस्तक ‘‘वीर हमीर देव चौहान’’ का लोकार्पण किया गया।धन्यवाद गांधी मानव कल्याण सोसायटी के संचालक मदन नागदा ने ज्ञापित किया। संचालन ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने किया। 

नन्दकिशोर शर्मा

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