उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि एवं विषय के विशेषज्ञ डॉ गोपाल बुनकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रत्येक बालक अपने आप में कोई न कोई प्रतिभा लिए होता है। चूंकि उसे निखारने की जरूरत रहती है। उनकी बाल रचना ‘‘शाम को ट्यूशन, सुबह स्कूल, बहुत बीजी है मेरा शिड्यूल’’ बच्चें की वर्तमान परिस्थिति को रेखाकिंत करते हुए सुनाई। उन्होंने अपनी बाल्यावस्था की लेखन प्रक्रिया भी बताई। सभी बड़े रचनाकारों के योगदान को हुए उन्हें पढ़े जाने पर बल दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र हेड़ा, एस.एस.ए. अधिकारी, उदयपुर ने सलिला संस्था की इस प्रवृति की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम सराहनीय है। जो देश में अच्छे नागरिकों का निर्माण करते है। ये बालक ही है जो राष्ट्र के विकास को आगे ले जाएंगे। राज्य सरकार इस तरह की कई प्रवृतियों को चला रही है। उन्होंने एक प्रेरणादायक बालकथा सुनाई।
इस कार्यक्रम में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मीणा, जयप्रकाश आगाल, नंदलाल परसारामाणी, शिवनारायण आगाल, यशवन्त शर्मा, जगदीश भंडारी, पं. सुरेन्द्र जैन, मनोहर किंकोड़, मोहन लड़ौती, मधु माहेश्वरी, तुलसीराम शर्मा, श्यामलाल सोनी, मुकेश राव सहित कई मेहमान उपस्थित थे। संचालन नारायण टेलर ने किया। सरस्वती वंदना रामेश्वर उदास ने की। अतिथियों का स्वागत पूंजीलाल वरनोती ने किया। आभार चन्द्रप्रकाश मंत्री ने ज्ञापित किया।
डॉ.विमला भंडारी
कहानीकार,इतिहासकार,बाल साहित्यकार होने के साथ ही जन प्रतिनिधि भी हैं.भंडारी सदन, पैलेस रोड, सलूम्बर-313027,Mo-9414759359,02906230695
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