सामाजिक संस्थाओ को रचनात्मक संस्था नाम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने दिया
उदयपुर २५ सित.
भारतीय समाज में रचनात्मक संस्थाओ का महत्वपूर्ण स्थान
है.स्वेच्छिक संस्थाओ को रचनात्मक संस्था नाम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने दिया
है.दान में अहंकार छुपा होता है स्वछिकता समाज को नागरिक ऋण चुकाने की परंपरा का
निर्वहन करती है.उक्त विचार डॉ.मोहन सिंह मेहता मेमोरिअल ट्रस्ट द्वारा वीद्या भवन पोलिटेक्निक में आयोजित स्वेछिकता विषयक संवाद में
प्रमुख गांधीवादी एवं विद्याभवन के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने व्यक्त
किये.तहसीन ने आगे कहा की सर्कार के पास सत्ता की शक्ति होती है और निजी
क्षेत्र के पास अर्थ की जब की स्वेच्छिक संस्थाओ के पास नैतिक बल और जन विश्वास
होता है.स्वेच्छिक संस्थाओ को लगातार सामाजिक लाभ की तरफ देखना चाहिए.पद्म
विशन डॉ.मोहन सिंह मेहता स्वेछिकता की एक मिसाल थे.
गाँधी मानव कल्याण सोसाइटी के संचालक मदन नागदा ने कहा की स्वेछिकता
के बल पर सामाजिक बदलाव लाया जा सकता है संस्थाओ को समाज के वंचित तबके पर खास
ध्यान देने की जरुरत है.विद्या भवन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के निदेशक
प्रोफ़ेसर ऍम पी शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा की स्वेछिकता की प्रष्ट भूमि
में जब आप काम करते है तो सारा नजरिया ही बदल जाता है.स्वेछिकता का भाव आतंरिक एवं
बाह्य परिवेश से पैदा होता है.पूर्व प्राचार्य जे.पी श्रीमाली ने स्वेछिकता को
समाज के हित में जरुरी बतलाया.
पोलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा की स्वेच्छिक प्रयास के
बिना समाज विकास की कल्पना बेमानी सी लगती है...अर्थ प्रदान समाज में निज स्वार्थ
से ऊपर उठा कर समाज के बारे में सोचने की महती जरुरत है.इस अवसर पर स्वेछिकता विषयक
फिल्म फिल्म का प्रदर्शन करते हुए ट्रस्ट सचिव नन्द किशोरे शर्मा ने स्वेच्छिक
प्रयासों की जरुरत बताते हुए सामंत वादी काल में डॉ. मोहन सिंह मेहता सादिक अली,के एलबोर्दिया ,पद. जनार्दन राइ नगर का भी जिक्र किया .
नितेश सिंह कछावा
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