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रपट@‘भारतीय कविता बिम्ब’


रपट:
गत 6 और 7 सितंबर 2012 हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने भारतीय विद्या भवन के सभागार में 21 भारतीय भाषाओं के कवियों को एक मंच पर आमंत्रित कर अनूठे ‘भारतीय कविता बिम्ब’ समारोह का आयोजन किया। इस आयोजन में अपना उद्घाटन वक्तव्य देते हुए मैंने इसी बात को रेखांकित किया था कि आजादी के बाद का हमारा समय राष्ट्रीय विकास की नयी प्राथमिकताओं, शिक्षा-संस्कृति के व्यापक प्रचार-प्रसार, और लोकतांत्रिक मूल्य चेतना के विकास की दृष्टि से गहरे संक्रमण, संघर्ष और चुनौतियों से भरा समय रहा है। इस जन-तांत्रिक संघर्ष में सभी भारतीय भाषाओं की कविता और उसके रचनात्मंक साहित्य की गहरी साझेदारी रही है। हमारे लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि इस साझेदारी का क्या समग्र बिम्ब बनकर सामने आया है। हिन्दी अकादमी, दिल्ली के ‘भारतीय कविता बिम्बत’ आयोजन को इसी दृष्टिकोण से मैं एक महत्व पूर्ण पहल मानता हूं। प्रकारान्त‍र से यही बात इस समागम में भाग लेने वाले अधिकांश कवियों ने अपने वक्तव्य में साझा की। 

इस दो दिवसीय आयोजन के चार सत्रों में इन आमंत्रित
 कवियों ने अपनी चुनिन्दा कविताओं का अपनी मूल भाषा पाठ तो किया ही, अधिकांश कवियों ने स्‍वयं अपनी कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी प्रस्तुत किया, जो इस बात का परिचायक था कि हिन्दी को वे कितने आदर और स्नेह की दृष्टि से देखते हैं। कन्नड़, तेलुगू, मराठी, बांग्ला , गुजराती, कश्मीरी, नेपाली आदि भाषाओं के कवियों ने स्वयं अपनी कविताओं का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया। इस आयोजन की एक विशेषता यह भी रही कि विभिन्न भाषाओं की दस कवयित्रियों ने इस आयोजन में भाग लिया और उनकी कविताएं बेहद प्रभावशाली रहीं।

इस दो दिवसीय आयोजन के चार सत्रों में शुभाशीष भादुड़ी (बांग्ला), जे शरीफ (तेलुगू), ओम पुरोहित कागद (राजस्थायनी), प्रतिभा नंदकुमार और अवनीन्द्र राव (कन्न‍ड़), मनप्रसाद सुब्बा (नेपाली), रशीद मीर (गुजराती), एन चंद्रशेखरन् (तमिळ), अनुपमा निरंजन उजगरे (मराठी), विनोद असुदानी (सिन्धी), मोहनसिंह (डोगरी), सोनिया सिरसाट (कोंकणी), मोइराङ थेम बरकन्या (मणिपुरी), शेफालिका वर्मा (मैथिली), श्रीकृष्ण सेमवाल (संस्कृत), गायत्री बाला पाण्डा (ओडिया), लीला ओमचेरी (मलयालम), बृजनाथ बेताब (कश्मी री), सैयद सिराजुद्दीन अजमली और इकबाल अशहर (उर्दू), एच के कौल और बी के जोशी (अंग्रेजी), अमरजीत घुम्मन और सुरजीत जज (पंजाबी) तथा हिन्दी से विष्णु खरे, मदन कश्यप, विमलकुमार, बालस्वरूप राही, गंगाप्रसाद विमल, बलदेव वंशी, लालित्य ललित, सूरजपाल चौहान, इंदिरा मोहन, हरमोहिन्दर सिंह बेदी, अलका सिन्हा् और खाकसार ने अपना काव्य-पाठ प्रस्तुत किया। 

दो दिन के इस आयोजन में सभागार में काव्य-प्रेमियों की उपस्थिति और उनकी उत्साहवर्द्धक तालियां इस आयोजन की सफलता के प्रति आश्वस्त अवश्य करती रही। निस्संदेह इस शानदार आयोजन के लिए अकादमी सचिव हरिसुमन बिष्टप और उपाध्यक्ष डॉ विमलेशकान्ति वर्मा का उत्साह और सूझबूझ सराहनीय रही, जिन्होंने ऐसे अनूठे आयोजन की शुरुआत की।
 

डॉ. नन्द भारद्वाज
कवि और राजस्थानी साहित्यकार के रूप में ख्यात है। पिछले चार दशक से मैं हिन्दी और राजस्थानी में अपने लेखन-कार्य से जुडाव है।हमेशा से श्रेष्ठ लेखन के कलमकार जो हाल ही में अपने नए कविता संग्रह 'आदिम बस्तियों के बीच' से खासी चर्चा में है.अपनी माटी वेबपत्रिका के सलाहकार भी हैं .साहित्य के हल्के में बड़ा नाम है।आकाशवाणी और दूरदर्शन में पूरी उम्र निकली है।सेवानिवृत वरिष्ठ निदेशक,दिल्ली दूरदर्शन केंद्र,जयपुर . ब्लॉग है .हथाई,  उनका पूरा परिचय

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