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''सपने टूट गए''-स्वंत्रता सैनानी एम.पी.बया


उदयपुर
14 अगस्त/महाम्ता गांधी के सानिध्य मे रहकर अपनी शिक्षा प्रारम्भ करने वाले वर्धा आश्रम के तत्कालीन बालक, स्वतंत्रता सैनानी इंजीनियर एम.पी.बया के अनुसार आजादी के उनके सपने टूट गए है। बया ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान एवं देश आजाद होने के समय जिस समृद, स्वावलम्बी, गरीब मुक्त, हिंसा मुक्त, अभाव मुक्त भारत का सपना संजोया गया था वो चूर चूर हो गया है। यह तब गांधी को विस्मृत करने से हुआ। बया ने यह विचार स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर डा. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट मे स्वतंत्रता सेनानी के सपने विषयक वार्ता मे रखी। 

इन्सटीट्यूशन ऑफ इन्जीनियर्स के पूर्व अध्यक्ष एस.एन.गोदावत ने कहा कि चीन युद्व से पूर्व सरकारे गांवो के विकास पर केन्द्रित थी लेकिन युद्व के पश्चात प्राथमिकताए बदल गई। सामाजिक चिंतक शाति निकेतन के पूर्व छात्र रवि भण्डारी तथा वरीष्ठ नागरिक के. एल.बाफना ने कहा कि गांधी के मूल्य तथा नेहरू की वैंज्ञानिक विचारधारा का सही समन्वय होता तो भारत की तस्वीर कुछ और होती।

परिचर्चा का सयोजन करते हुए ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा तथा विघाभवन पोलिटेक्निक के आचार्य अनिल मेहता ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि गांधी तकनीक के विरोधी थे। मशीनो का आविष्कार, संचालन यदि मूल्य विहिन, नैतिकता विहिन व श्रम विहिन आधार पर होगा तो देश का विकास कभी नही हो सकता। यही कारण है की इतनी वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद देश, राज्य व उदयपुर संभाग मे पीने का स्वच्छ पानी, शौचालय सुविधा, रोजगार, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य सुविधाए पूर्णतया अपर्याप्त है।

परिचर्चा मे अभियन्ता एस.एल.तम्बाली, गांधीवादी सुशील दशोरा, नितेश सिंह, गोपाल सिंह राजावत, बी.एल.कूकडा ने भी विचार व्यक्त किये। शायर मुश्ताक चंचल ने “ये आवाज ना थी बर्तन की, ये आवाज ना थी बूलबूल की, ये आवाज ना थी भारत की आजादी की” नज्म पेश कर आजादी के आंदोलन से रूबरू करवाया । कार्यक्रम की अध्यक्षता वास्तुविद बी.एल.मंत्री ने की।


नितेश सिंह कच्छावा                 

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