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तसलीमा ने अपने लेखकीय जीवन की शुरुआत कविता से ही की थी

25 अगस्त  2012 को इंडिया इंटरनेशनल सेन्टरमुख्य सभागार में 2:30 बजेचर्चित लेखिका तसलीमा नसरीन की पुस्तक 'मुझे देना और प्रेम '(कविता संग्रह) जो बांग्ला से सुपरिचित हिन्दी कवि प्रयाग शुक्ल द्वारा अनूदित हैका लोकार्पणकाव्य मंचन व चर्चा का आयोजन हुआ  कार्यक्रम की अध्यक्षता  वरिष्ठ कविआलोचक व अनुवादक 'अशोक वाजपेयी' ने किया  

 हिन्दी की वरिष्ठ आलोचक ,कवि एवं स्त्री-विमर्शकार 'सुकृता पॉल कुमारचर्चा के आज की दुनिया में कविता' पर वक्तव्य  दिया  ,  इस अवसर पर चुनिंदा कविताओं का पाठ 'प्रयाग शुक्ल' ने किया   'मैलोरंगनाट्य संस्था द्वारा तसलीमा नसरीन की कविताओं पर 20 मिनट की नाट्य प्रस्तुति दी गयी । कार्यक्रम का संचालन देवी प्रसाद त्रिपाठी ने किया  कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने किया  

मुझे देना और प्रेम
 100 कविताओं का यह संग्रह हिन्दी जगत को एक अनुपम भेंट है। कविताओं का अनुवाद व चयन मूल बांग्ला से हिन्दी के सुपरिचित, कवि-अनुवाद प्रयाग शुक्ल ने किया है। तसलीमा ने अपने लेखकीय जीवन की शुरुआत कविता से ही की थी और सबसे पहले बांग्लादेश में और फिर विश्व में वे एक कवि के रूप में पहचानी गयीं 

अब वे दुनिया भर में लज्जा’ समेत अपने अन्य अपन्यासों आत्मकथा(ओं),  नारीवादी विमर्शों के कारण अधिक जानी जाती हैं। पर, यह संग्रह बतायेगा कि एक कवि के रूप में भी तसलीमा कितनी सशक्त हैं।  बांग्ला में तसलीमा के कविता संग्रह बराबर आते  रहे  हैं और इनकी संख्या एक दर्जन से अधिक है। प्रेमअनुराग, मैत्री, स्वदेश, प्रवास आदि के  अनुभवों से जुड़ी हुईं तसलीमा की कविताओं की रेंज बहुत व्यापक है  उनकी कविताओं का सांगीतिक शब्द-चयन अनूठा है। उनमें चीजों के बखान की अपनी ही एक लयभरी विधि है, जो सीधे ही हमें स्पर्श करती है। रोजमर्रा के जीवन में भी वह इस तरह झांकती हैं कि मानवीय अनुभवों की एक अदेखी सी दुनिया खिलकर हमें ताजा और संवेदित कर जाती है। इसमें मां’ संबंधी उनकी अत्यन्त चर्चित कविता भी शामिल है। हमें पूरा भरोसा है कि हिन्दी जगत में यह संग्रह एक विधिपर घटना के रूप में ही आँका जायेगा। पाठकों को तो प्रिय लगेगा ही।  

तसलीमा पर एक नज़र 
जन्म : 25 अगस्त, 1962 मेमनसिंहबांग्लादेश
नागरिकता  : बांग्लादेशस्वीडी 
निर्वासित :  सन 1994 से महिलाओं के अधिकारोंधर्मनिरपेक्ष मानवतावादऔर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उसके विचारों की वजह से बांग्लादेश और भारत में  सन 2008 से   

तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किए हैंजिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त-सखारव पुरस्कारसहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए यूनेस्को पुरस्कारफ्रांस सरकार द्वारा मानवाधिकार पुरस्कारधार्मिक आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए फ्रांस का एडिट द नान्त पुरस्कार’; स्वीडन लेखक संघ का टूखोलस्की पुरस्कारजर्मनी की मानववादी संस्था का अर्विन फिशर पुरस्कार;संयुक्त राष्ट्र का फ्रीडम फ्राम रिलिजन फाउण्डेशन से फ्री थॉट हीरोइन पुरस्कार और बेल्जियम के मेंट विश्वविद्यालय से सम्मानित डॉक्टरेट! वे अमेरिका की ह्युमैनिस्ट अकादमी की ह्युमैनिस्ट लॉरिएट हैं।

भारत में दो बारअपने निर्वाचित कलाम’ और मेरे बचपन के दिन’ के लिए वेआनन्द पुरस्कार’ से सम्मानित। तसलीमा ने 35 पुस्तकें बांग्ला में लिखी हैंजिसमें कवितानिबंधउपन्यास और आत्मकथाओं की श्रृंखला सम्मिलित है  तसलीमा की पुस्तकें अंग्रेज़ीफ्रेंचइतालवीस्पैनिशजर्मन समेत दुनिया की तीस भाषाओं में अनूदित हुई हैं। मानववाद,मानवाधिकारनारी-स्वाधीनता और नास्तिकता जैसे विषयों पर दुनिया के अनगिनत विश्वविद्यालयों के अलावाइन्होंने विश्वस्तरीय मंचों पर अपने बयान जारी किए हैं।  उनके विचारों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता हैवह ब्लैकलिस्ट की सूची में और बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल तथा उनकी कुछ पुस्तकें बांग्ला देश में प्रतिबंधित हैं  अभिव्यक्ति के अधिकार’ के समर्थन मेंवे समूची दुनिया मेंएक आन्दोलन का नाम बन चुकी हैं।

अदिति महेश्वरी
                             निदेशकबोद्धिक सम्पदा   अनुवाद
8800422088

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