''पत्रिकाएं व अखबार कमोवेश कारपोरेट जगत व साम्रज्यवादी ताकतों के प्रभाव में हैं ''-अशोक नारायण भचार्य
सिलीगुड़ी में 'आपका
तीस्ता हिमालय'
और
'धरती'
पत्रिकाओं का लोकार्पण एवं संगोष्ठी
सिलीगुड़ी
आज मुख्यधारा की
पत्रिकाएं व अखबार कमोवेश कारपोरेट
जगत व
साम्रज्यवादी ताकतों के प्रभाव
में हैं
जिसके कारण
लोकतंत्र के
चौथे स्तंभ
की भूमिका को ले पाठकों
में संशय
उत्पन्न होने
लगा है।
जाहिर है
उनकी ईमानदार भूमिका को ले
लोग सवाल
उठा रहे
हैं। जब
देश में
ऐसे हालात
हों तो
लघु पत्रिकाओं की भूमिका
काफी महत्वपूर्ण
हो जाती
है। अपने
सीमित संसाधनों
के बावजूद आज लघु
पत्रिकाएं जिस शिद्दत से जन
समास्याओं को उठा रही हैं, मानवीय शोषण-जुल्म
व अत्याचार
के खिलाफ़
मुखर हो
रही हैं
वह गौर
करने वाली बात है।
उक्त विचार
सिलीगुड़ी के
पूर्व मंत्री
अशोक नारायण
भचार्य ने 'आपका तिस्ता-हिमालय’
के लघु
पत्रिका विशेषांक
के लोकार्पण
के आवसर
पर सिलीगुड़ी के बर्दवान
रोड पर
अवस्थित ऋषि
भवन में आयोजित दो दिवसीय
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए
प्रकट किया।
इस अवसर
पर बोलते हुए श्री
भट्टाचार्य ने तिस्ता-हिमालय की
सकारात्मक भूमिका की प्रशंसा की। इस
अवसर पर
सुविख्यात साहित्यकार/पत्रकार व विचारक
शैलेंद्र चौहान के संपादन
में निकलने
वाली पत्रिका
'धरती’ के
कश्मीर केन्द्रित ताज़ा अंक का
विमोचन किया
गया। अपने
उद्बोधन में
श्री चौहान
ने लघु पत्रिकाओं के मार्ग
में आने
वाली दुश्वारियों
का विस्तार
से वर्णन
किया।
उन्होंने कहा कि
वैचारिक प्रतिवद्धता
के बग़ैर
उन्नत साहित्य-सृजन किया जाना संभव नहीं
है। इस
अवसर पर
आयोजित विचार
गोष्ठी- 'सामाजिक
दायित्व व वैचारिक प्रतिद्धता’ विषय
पर बोलते
हुए श्री
चौहान ने
कहा कि
हमारे समाज में कई परतें
हैं, कई
विचार हैं
जिसे लेखकों
को समझना
होगा और साम्राज्यवाद के बिछाये
जाल व
सामाजिक विसंगतियों
से बाहर
निकलना होगा। बेहतर रचना के
लिए यह
अत्यंत जरूरी
है। जन-संघर्षों से
अलग रह
कर कोई
भी बड़ा रचनाकार नहीं
हो सकता।
प्रख्यात रंगकर्मी
व लेखक
सी.के.
श्रेष्ठ ने
विषय पर बोलते
हुए कहा
कि रचनाकार
में सत्य
बोलने की
हिम्मत होनी
चाहिए। अभिव्यक्ति के खतरे
उसे उठाने
चाहिए। उन्होंने
कहा कि
पत्रकारिता के क्षेत्र में 'आपका
तिस्ता-हिमालय’
हमारा मार्गदर्शन
कर रहा
है। द
स्टेट्स मैन के वाइस
प्रेसिडेंट के.के चौधरी ने
कहा कि
सही समय
पर सही
बात हमें करनी चाहिए। पत्रकारिता
में निष्पक्षता
जरूरी है।
सिलीगुड़ी कालेज
के अंग्रेजी प्रोफेसर अभिजीत
मजूमदार ने
कहा कि
इलेक्ट्रोनिक मीडिया के विस्तार ने प्रिंट
मीडिया के
सामने एक
बड़ी चुनौती
ला खड़ा
कर दिया
है।सिर्फ इतना ही
नहीं बल्कि
उसने प्रिंट
मीडिया को
कमजोर भी
कर दिया
है। रचनाकार वैचारिक लेखन
से दूर
होते जा
रहे हैं।
जाहिर है
यह स्थिति
समाज के लिए चिंता
का विषय
होना चाहिए।
सिक्किम से
आये सम्मानीय
अतिथि व सुविख्यात व्यवसायी चंदूलाल
अग्रवाल ने
इस अवसर
पर तिस्ता-हिमालय की
पहल की प्रशंसा करते
हुए स्वतंत्रता
संग्राम के
दौरान लघु
पत्रिकाओं की सकारात्मक भूमिका पर
प्रकाश डाला।
कालिका प्रसाद
सिंह, रंजना
श्रीवास्तव, डा. भीखी प्रसाद
वीरेंद्र, देवेंद्रनाथ शुक्ल, प्रो. अजय
साव, डा. सत्यप्रकाश तिवारी, निधुभूषण
दास, बीडी
शर्मा आदि
ने अपने
विचार रखे।
इस अवसर पर अलोक
शर्मा प्रवीण
ने तिस्ता-हिमालय फाउंडेशन
ट्रस्ट की
घोषणा करते हुए कहा
कि प्रत्येक
साल हम
एक सृजनशील
व्यक्तित्व को ट्रस्ट की ओर से आर्थिक सम्मान
प्रदान करेंगे।
इस संबंध
में उन्होंने
लोगों से
सुझाव
भी मांगे। अंत
में तिस्ता-हिमालय पत्रिका
के संपादक
डा. राजेंद्र
प्रसाद सिंह ने उपस्थित
लोगों के
प्रति आभार
प्रकट करते
हुए कहा
कि मेरी
यह पूरी कोशिश होगी कि
जन भावनाओं
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