सृजन का “हिन्दी रचना गोष्ठी”कार्यक्रम
विशाखापटनम
हिन्दी साहित्य, संस्कृति और रंगमंच के
प्रति प्रतिबद्ध संस्था “सृजन” ने हिन्दी रचना गोष्ठी
कार्यक्रम का आयोजन विशाखापटनम के द्वारकानगर स्थित जन ग्रंथालय के सभागार में 11
मार्च 2012 को किया। कार्यक्रम की
अध्यक्षता सृजन के अध्यक्ष नीरव कुमार वर्मा ने की जबकि संचालन का दायित्व निर्वाह
किया संयुक्त सचिव डॉ संतोष अलेक्स ने । डॉ॰ टी महादेव राव, सचिव, सृजन ने आहुतों का स्वागत किया और स्तरीय और
प्रभावी रचनाओं के सृजन हेतु समकालीन साहित्य के अध्ययन और वर्तमान सामाजिक
दृष्टिकोण को विकसित करने पर बल देते हुये
कहा – चूंकि हमें भाषा आती है, इसलिए रचना करें यह सटीक
नहीं बल्कि हमारे आसपास, समाज में और देश में हो रही
घटनाओं पर हमारा विशाल और विश्लेषणात्मक अवलोकनात्मक अध्ययन होना चाहिए। तब जाकर हम जिस रचना का
सृजन करेंगे वह न केवल प्रभावशाली होगा
बल्कि लोग भी उस रचना से आत्मीयता महसूस करेंगे। निरंतर समकालीन साहित्य का पठन भी
हम रचनाकारों के लिए ज़रूरी है।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में नीरव
कुमार वर्मा ने कहा की विविध तरह के कार्यक्रमों द्वारा
विशाखापटनम में हिन्दी साहित्य सृजन को पुष्पित पल्लवित करना, नए रचनाकारों को रचनाकर्म के लिए
प्रेरित करते हुये पुराने रचनाकारों को प्रोत्साहित करना
सृजन का उद्देश्य है। संयुक्त सचिव डॉ संतोष
अलेक्स ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुये कहा – आज का रचनाकार आम आदमी के
आसपास विचरने वाली यथार्थवादी और प्रतीकात्मक रचनाओं का सृजन करता है। इस तरह के रचना गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित कर साहित्य के विविध विधाओं, विभिन्न रूपों, प्रवृत्तियों से अवगत कराना
ही हमारा
उद्देश्य है।
कार्यक्रम में सबसे पहले
बीरेन्द्र राय ने आम आदमी की अतिव्यस्त ज़िंदगी और नकारात्मक छोटी सोच को
अपनी दो मार्मिक कविताओँ “एक पल” और “अपराधी सपने” प्रभावी ढंग से प्रस्तुत की। श्रीमति
मीना गुप्ता ने पारिवारिक रिश्तो के माध्यम से कविता “होली” और नारी के
अंतर्मन के दर्द को बताती “बिदायी” कविता पढा। जी अप्पाराव “राज” ने होली पर
और वर्तमान व्यवस्था पर कुछ व्यंग्य पढ़ा। “ मैं असमंजस में क्यों हूँ” कविता मेँ नकारात्मक सोच वाले आधुनिक जीवन, समाज
और राजनीति पर कटाक्ष किया तोलेटि चन्द्रशेखर ने । सीमा पर सैनिक की
घायल अवस्था मेँ मृत्यु शैया पर की स्थिति का मार्मिक मगर वास्तविक शब्दचित्र प्रस्तुत किया कपिल कुमार शर्मा ने अपनी कविता “सैनिक सीमा पर” मेँ । जी एस
एन मूर्ती ने हास्य कविता सुनायी “पति बन गया ब्युटीफुल”। “विवाह” शीर्षक कविता मेँ अशोक गुप्ता ने नारी मन की व्यथा और विवाह को नये अर्थोँ मेँ
प्रस्तुत किया । डॉ बी वेंकट राव ने “पत्थर” और “एड्स” कविताओं में वर्तमान समाज
का खाका खीँचा। श्रीमती सीमा शेखर ने नई आशा, नई उम्मीदें और नूतन आत्मविश्वास की कवितायेँ “पत्नी” और “आशा” प्रस्तुत की। सैनिक जीवन
और आम आदमी के जीवन की सुख सुविधाओँ के अंतर के अपनी कविता “कर्मयोगी” मेँ प्रभावी
प्रतीकोँ के माध्यम से श्री बी एस मूर्ती ने पढा। “बुलबुला” और “उगादी और युगादी” कवितायेँ प्रस्तुत की डॉ॰
जी रामनारायण ने। मौन के विविध पहलुओं को अपनी कविता मेँ प्रस्तुत किया
श्रीमती किरण सिंह ने।
श्री लक्ष्मी नारायण
दोदका ने हास्य कविता “हमशक्ल” सुनाई जिसमें भ्रम से
उत्पन्न हास्य स्थितियाँ थीँ। डॉ एम सूर्यकुमारी ने बचपन आज़ादी को खत्म कर्ती पढायी पर प्रभावी कविता “अनुशासन” पेश किया । श्री
राम प्रसाद यादव ने दार्शनिक विचारों और प्रतीकात्मक बिंबों के
माध्यम से रची अपनी दो कवितायेँ “लाल गुलाल” और “आयी है हवा मधुमासी” पढकर श्रोताओँ को
अन्दर तक छुआ। एस वी आर नायडू ने अपनी व्यंग्य कविता “मै ने पीना छोड दिया” सुनाया। डॉ टी महादेव
राव ने आज की एकाकी ज़िन्दगी और समय का
हाथोँ से छूटने और स्वार्थी समाज पर दो कवियायेँ “समय की रेत” और “आदिम युग की ओर” सुनाया। नीरव कुमार
वर्मा ने व्यंग्य लेख “हमने भी मनाया वेलेंटैंस डे” पढ़ा जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति के प्रेमियोँ के दिन पर बीवी
को उपहार दिये जाने का हास्य व्यंग्यात्मक खाका था।
डॉ संतोष एलेक्स ने “मिट्टी” और “वापसी” कविताये प्रस्तुत किया
जिसमें मानवतावादी दृष्टिकोण के साथ साथ मिट्टी से मनुष्य का अमिट
सम्बन्धोँ को उबारा। कार्यक्रम में सी एच ईश्वर राव, बाशा
ने भी सक्रिय भागीदारी की। सभी रचनाओं पर उपस्थित कवियों और लेखकों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया
दी। सभी को लगा कि इस तरह के सार्थक हिन्दी कार्यक्रम अहिन्दी क्षेत्र में
लगातार करते हुए सृजन संस्था अच्छा काम
कर रही है। डॉ टी महादेव राव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ ।
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