जयपुर।
" महत्वाकांक्षाओं की चिडि़या/औरत की मुंडेर पर आ बैठी है/दम साध शिकारी ने तान ली है बन्दूक/निशाने पर है चिडि़या/अगर निशाना चूक गया/तो औरत मरेगी...। " समकालीन कविता के तीखे तेवर से परिपूर्ण वर्तमान दौर की महत्वपूर्ण कवयित्री नई दिल्ली निवासी लीना मल्होत्रा राव की बोधि प्रकाशन जयपुर द्वारा प्रकाशित काव्य-पुस्तक "मेरी यात्रा का ज़रुरी सामान" का लोकार्पण रविवार, 19 फरवरी,2012 को राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर, अकादमिक स्टाफ कॉलेज में हुआ। कार्यक्रम में दूरदर्शन केन्द्र जयपुर के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार नन्द भारद्वाज मुख्य अतिथि थे, अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने की। वरिष्ठ कवि गोविन्द माथुर और कानोडिया कॉलेज की प्राचार्य डॉ रश्मि चतुर्वेदी विशिष्ट अतिथि थीं।
इस काव्य पुस्तक पर डॉ इन्दुशेखर ने पत्र वाचन किया। उन्होंने परचे में कहा कि लीना मल्होत्रा की कविताएं स्त्री जीवन की विविध छवियां उकेरती हैं। श्रमिक स्त्री, निर्वासन झेलती स्त्री और महानगरीय जीवन में ऊब के नीले पहाड़ों के बीच जीवन तलाशती स्त्री के चित्र इतनी खूबसूरती से उभरते हैं कि पाठक कवयित्री के साथ शब्द-यात्रा करने लगता है। इन कविताओं का भाष्य नया है, पैने और धारदार प्रश्नों-प्रतिप्रश्नों से लैस हैं ये कविताएं। इन सबके बावजूद लीना की कविताएं अपना संतुलन बनाए रखने में कामयाब रहती हैं। मुख्य अतिथि नंद भारद्वाज ने कहा कि इस काव्य संग्रह में स्त्री छवियां इतनी निजी नहीं हैं कि वे एक व्यक्ति तक सीमित हों, ये कविताएं निजी अनुभवों को समग्र सामाजिक अनुभवों में समरस करने में सफल हैं। गोविन्द माथुर और डॉ रश्मि चतुर्वेदी ने संग्रह की कविताओं में निहित मानवीय सरोकारों को रेखांकित किया।
बोधि प्रकाशन और साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका "अक्सर" के सहकार में आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कथाकार और संपादक डॉ हेतु भारद्वाज ने स्वागत व्यक्तव्य दिया और बोधि प्रकाशन के मायामृग ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संयोजन दिल्ली से आए मीडियाकर्मी सईद अयूब ने किया।
पुस्तक प्राप्ति हेतु संपर्क सूत्र:माया मृग
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