उज्जैन
सलूम्बर की साहित्यकार
एवं उदयपुर
जिला परिषद
सदस्य विमला
भंडारी को
उनके साहित्यिक
अवदान के
उपलक्ष्य में
विक्रम शिला
विद्यापीठ द्वारा उज्जैन (मध्यप्रदेश) में
आयोजित दीक्षान्त
समारोह में
‘विद्यावाचस्पति’ की मानद्
उपाधि प्रदान
की गई।
इस अवसर
पर अनेक
साहित्यकारों ,पुरातत्ववेत्ताओं, इतिहासकारों
के अलावा
कुलपति डा.
तेजनारायण कुशवाहा, आयोजन प्रमुख संतश्री
डा. सुमनभाई,
कुलसचिव डा.
देवेन्द्रनाथ साह, डा. रामनिवास ‘मानव’,
डा. अमरसिंह
वघान चंडीगढ़
एवं संस्कृत
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा.
मोहन गुप्त
भी उपस्थित
थे।
देश के 22 राज्यों
से आये
ख्यातनाम विलक्षण
विद्ववजनों की उपस्थिति में विमला
भंडारी के
साहित्यिक योगदान की चर्चा करते
हुए कहा
गया कि
इन्होंने अब
तक 15 पुस्तकों
का लेखन
किया है।
इनमें सलूम्बर
का इतिहास
शोधग्रंथ विशेष
उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त बालकथा
संग्रह, बालउपन्यास,
एवं दो
कहानी संग्रह
सम्मिलित है।
इन्हें अनेक
संस्थाओं से
पुरस्कार/सम्मान
के अलावा
राजस्थान साहित्य
अकादमी, उदयपुर
से ‘शंभूदयाल
सक्सेना बालसाहित्य
पुरस्कार’ मिल चुका है। हिंदी
के अलावा
राजस्थानी, सिंधी, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती
और उडि़या
भाषाओं में
इनकी रचनाओं
का अनुवाद
हुआ है
तथा ‘सत
री सैनाणी’
राजस्थानी नाटक पाठ्यक्रम में शामिल
किया गया
है।इसी वर्ष विमला
भंडारी को
नोयडा से
प्रकाशित होने
वाली साप्ताहिक
पत्रिका द
संडे इंडियन
टाईम्स, सितंबर
में इस
शताब्दी की
देश की
111 हिन्दी की श्रेष्ठ लेखिकाओं में
प्रकाशित किया
है।
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