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समयांतर के वार्षिकांक हेतु रचनाएं आमंत्रित


समयांतर ने अपने फरवरी,२०१२ के वार्षिकांक का विषय उपभोक्तावाद और पृथ्वी के भविष्य पर केन्द्रित किया है.१० जनवरी तक लेख आमंत्रित हैं.नीचे कुछ आधार सूत्र दिए गए हैं जिनके किसी एक परिप्रेक्ष्य से जुड़ी रचना का स्वागत है.समयांतर एक प्रतिबद्ध वैचारिक मंच है जिसने अपने १२ प्रकाशन बर्षों में अनेक जरूरी विशेषांक हिंदी पाठकों को दिए हैं.इस बार अपनी चिंता की कड़ी में उसने भूमंडलीकरण से जुड़े जिस नए मुद्दे को रखा है उसमें आपके रचनात्मक और गंभीर सहयोग की अपेक्षा है-


१. आधुनिकता,भौतिक विकास की अवधारणा और समकालीन  संकट
२. मार्क्सवाद और पर्यावरण संकट 
३. कार्पोरेट पूँजीवाद और उपभोक्तावाद का सम्बन्ध 
४. उपभोक्तावाद,भारतीय राज्य और व्यक्तिगत नैतिकता 
५. उपभोक्तावाद और भारतीय जीवन दर्शन:बुद्ध से गाँधी तक 
६. उपभोक्तावादी विकास और हाशिये का समाज 
७. उपभोक्तावाद और मध्य वर्ग की दिशा 
८. विज्ञानं,प्रौद्योगिकी के अविष्कार की दिशा और पृथ्वी का भविष्य 
९. २१वी सदी में मार्क्सवाद और जन आन्दोलन का स्वरुप 
१०. उपभोक्तावादी दौर में साहित्य 

लेख kurti Dev 10 में निम्नलिखित पते पर भेजें तो ज्यादा सुविधा  होगी.             rrshashidhar@gmail.com,samayantar.monthly@gmail.com,मो.09454820750

                                                                                                               स्त्रोत:-
रामाज्ञाशशिधर,अतिथि संपादन 

                                                                                                             

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