
कथाकार ज्ञानरंजन विलक्षण कथा शैली और भाषिक मुहावरे की निजता के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ आधुनिक जीवन की विडंबनापूर्ण स्थितियों का प्रतिबिम्ब हैं। फेंस के इधर और उधर, यात्रा, क्षणजीवी, सपना नहीं, कबाडख़ाना आदि उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं। ज्ञानरंजन, पत्रिका 'पहल' के माध्यम से साहित्यिक पत्रकारिता को शीर्ष स्तरीय गौरव प्रदान करवाने वाले अग्रणी सम्पादक हैं।इस अलंकरण योजना में लेखक को सृजनात्मक लेखन के लिए एक वर्ष तक मानद राशि का प्रावधान है। सम्मानित लेखक को प्रतिमाह 11,000 रुपये सृजनात्मक कर्म के लिए दिया जायेगा।चयन समिति और भारतीय ज्ञानपीठ परिवार के सदस्य इस वर्ष का 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण' लेखक को उनके निवास पर एक सादे समारोह में अर्पित करेंगे।
लीलाधर मंडलोई
निदेशक, भारतीय ज्ञानपीठ
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