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पहल के सम्पादक व कथाकार ज्ञानरंजन को वर्ष 2016 का भारतीय ज्ञानपीठ का 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण'


पहल के सम्पादक व कथाकार ज्ञानरंजन को वर्ष 2016 का भारतीय ज्ञानपीठ का 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण' 
भारतीय ज्ञानपीठ की सेवा के 71 वर्ष पूरे होने के अवसर पर वर्ष 2015 से अखिल भारतीय 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण' की स्थापना की गई है।इस वर्ष का 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण' वरिष्ठï कथाकार ज्ञानरंजन तथा साहित्यिक पत्रिका 'पहल' के यशस्वी सम्पादक को प्रदान किया जाएगा। यह निर्णय भारतीय ज्ञानपीठ की एक उच्च स्तरीय समिति ने सर्वसम्मति से लिया। समिति के अध्यक्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि प्रो. केदारनाथ सिंह थे। अन्य वरिष्ठ सदस्य थे—प्रतिष्ठित मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी तथा वरिष्ठ पत्रकार-लेखक श्री मधुसूदन आनन्द।

कथाकार ज्ञानरंजन विलक्षण कथा शैली और भाषिक मुहावरे की निजता के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ आधुनिक जीवन की विडंबनापूर्ण स्थितियों का प्रतिबिम्ब हैं। फेंस के इधर और उधर, यात्रा, क्षणजीवी, सपना नहीं, कबाडख़ाना आदि उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं। ज्ञानरंजन, पत्रिका 'पहल' के माध्यम से साहित्यिक पत्रकारिता को शीर्ष स्तरीय गौरव प्रदान करवाने वाले अग्रणी सम्पादक हैं।इस अलंकरण योजना में लेखक को सृजनात्मक लेखन के लिए एक वर्ष तक मानद राशि का प्रावधान है। सम्मानित लेखक को प्रतिमाह 11,000 रुपये सृजनात्मक कर्म के लिए दिया जायेगा।चयन समिति और भारतीय ज्ञानपीठ परिवार के सदस्य इस वर्ष का 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण' लेखक को उनके निवास पर एक सादे समारोह में अर्पित करेंगे।

लीलाधर मंडलोई
निदेशक, भारतीय ज्ञानपीठ


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