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प्रेस विज्ञप्ति:जीवन में लय पैदा करता है शास्त्रीय संगीत-रानी खानम

प्रेस विज्ञप्ति
जीवन में लय पैदा करता है शास्त्रीय संगीत-रानी खानम 

चित्तौड़गढ़ 19 अगस्त 2015

हमारे देश में शास्त्रीय नृत्यों की एक लम्बी परम्परा रही है।आज देश में हमारी कलासिक विधाओं को लेकर जागरूकता बढ़ी है और सैकड़ों केन्द्रों के ज़रिये हज़ारों कलाकार अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं। युवाओं में हमारे हिन्दुस्तानी संगीत के महत्व और इसके इसके गौरव को लेकर भी रुझान बढ़ ही रहा है। असल में यह संगीत हमारे जीवन को लय में लाता है। नृत्य के माध्यम से हम कई तरह के योगासनों से गुज़रते हैं। इस तरह हमें अपनी विरासत को लेकर कुछ हद तक सावचेत रहना होगा।समाज के जानकार लोगों को संस्कृति के संरक्षण के इस काम में और आगे आना होगा। हमारी धरोहर से जुड़े ऐसे आयोजन उन बच्चों तक भी पहूंचने चाहिए जहां भारत के वंचित और पिछड़े बच्चे पढ़ते हैं।वैसे मुझे ग्रामीण भारत में स्पिक मैके के कार्यक्रम से भरसक तसल्ली मिली है

यह विचार लखनऊ घराने की कथक नृत्यांगना रानी खानम ने अपने चित्तौड़ प्रवास के दौरान स्पिक मैके कार्यक्रमों में व्यक्त किए। स्पिक मैके आन्दोलन की चित्तौड़ इकाई और श्री सांवलिया मंदिर मंडल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विरासत-2015 में रानी खानम ने बुधवार को जिले में दो कार्यक्रम पेश किए। पहली प्रस्तुति श्रीसांवलिया मंदिर मंडल परिसर में हुयी जिसका संचालन स्पिक मैके समन्वयक जेपी भटनागर ने किया। भव्य मंदिर में पहली बार मण्डपिया कसबे के उमावि,मावि कन्याशाला और उप्रावि स्कूलों के छात्रों ने कथक नृत्य देखा और समझा। इस मौके पर अधिवक्ता खान अली बोहरा,जनप्रतिनिधि मनोहर लाल जैन, भैरू लाल सोनी,प्रधानाचार्य भैरू लाल वीरवल और मंदिर मंडल के कर्मचारी उपस्थित थे।प्रस्तुति के बाद कलाकारों ने मंदिर के दर्शन भी किए

इधर दूसरा कार्यक्रम विजन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट चित्तौड़गढ़ में दोपहर साढ़े बारह बजे हुआ जिसमें कलाकारों का स्वागत बस्सी फोर्ट पैलेस के निदेशक कर्नल रणधीर सिंह, संस्था उपाध्यक्ष डॉ.आर.के.दशोरा, कॉलेज व्याख्याता शिल्पा शक्तावत, प्रिया वासवानी, छात्रा भाविका पालीवाल और वर्षा ददवानी,सहसचिव शाबाज पठान ने किया। इस दौरान संगतकार के रूप में तबला वादक पंडित प्रदीप मिश्रा, गायक और हारमोनियम वादक ज़ुहेब हसन और रानी खानम की शिष्या फाल्गुन सैनी ने शिरकत की।विद्यार्थियों ने कथक नृत्य के अतीत के साथ ही वर्तमान परिदृश्य को भी जाना।रानी खानम ने इस मौके पर अर्धनारीश्वर से शुरुआत करते हुए तुकडे,परण,लड़ी,तत्कार और जुगलबंदी पेश की।नृत्य की बारीकियों को समझाने के लिए खानम ने इन शब्दों की व्याख्या भी की जिससे आयोजन सुगम हो पड़ा।बाद में रानी खानम ने राग कलावती में एक ठुमरी प्रस्तुत की जिसमें कृष्ण और राधा की मुलाक़ात का वर्णन था।आखिर में दर्शकों को साथ लेते हुए उन्होंने कुछ तालों का अभ्यास कराया


सांवर जाट,स्पिक मैके चित्तौड़ सचिव

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