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प्रेस विज्ञप्ति:भारतीय संगीत आत्मिक शान्ति देता है-पंडित रोनू मजुमदार

प्रेस विज्ञप्ति
भारतीय संगीत आत्मिक शान्ति देता है-पंडित रोनू मजुमदार

चित्तौड़गढ़ 17 अप्रैल 2015

पूरे विश्व में घूमने और अपनी शास्त्रीय प्रस्तुतियां देने के बाद मैं कह सकता हूँ कि केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत ही ऐसा है जहां समय आधारित राग-रागिनियाँ गाई और बजाई जाई जाती है।यही वो संगीत है जो अलाप से शुरू होकर हमें आखिर में बहुत तेज़ लय तक ले जाता है। आत्मिक शान्ति इसी से मिलती है।आजकल के विद्यार्थियों को यह सच जल्दी ही समझना चाहिए कि जो युवा शास्त्रीय संगीत सुनते हैं और गाने-बजाने की संगत करते हैं वे ज्यादा प्रतिभावान होते हैं। पढ़ाई में अव्वल आने का एक नुस्खा ऐसे संगीत की का साथ भी होता हैं। पश्चिम के प्रभाव आने की स्थितियों पर कहा चाहूँगा कि दूसरी संस्कृति की तारीफ़ करने और उससे प्रभावित होने में कोई बुराई नहीं है मगर हमारी अपनी जड़ों को जानना बेहद ज़रूरी है।अपनी विरासत को बिसार कर हमें कुछ भी हाथ नहीं लगने वाला है

यह विचार मैहर घराने से जुड़े देश के नामी बांसुरी वादक पंडित रोनू मजुमदार ने शुक्रवार सुबह चित्तौड़गढ़ के सेन्ट्रल अकादमी स्कूल में स्पिक मैके की एक प्रस्तुति में व्यक्त किए।उत्सव श्रृंखला में आयोजित इस कार्यक्रम में संगतकार के रूप में बनारस और फर्रुखाबाद घराने के तबला वादक अजीत पाठक और युवा बांसुरी वादक कल्पेश साचला ने भी यादगार संगत की। दीप प्रज्ज्वलन स्कूल प्राचार्य अश्लेश दशोरा, स्पिक मैके राज्य कोर ग्रुप सदस्य जे.पी.भटनागर और अध्यक्ष डॉ. खुशवंत सिंह कंग ने किया वहीं कलाकारों का अभिनन्दन आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी लक्षमण व्यास, विजन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट की निदेशक डॉ. साधना मंडलोई और स्पिक मैके वरिष्ठ सलाहकार एस.के.शर्मा ने किया

प्रस्तुति की शुरुआत में पंडित रोनू मजुमदार ने सरगम का सामूहिक अभ्यास कराया और अचानक से बने प्राभावी माहौल में उन्होंने एक छोटा आलाप लिया। अलाप के दौरान सभी उपस्थित श्रोताओं ने ध्यान लगाकर खुद को स्फूर्त अनुभव किया। बाद में पांच स्वरों से बना मुश्किल राग विभास बजाया बच्चों से बीच-बीच में आपसी संवाद से रोनू मजुमदार ने हमारे देश की असीम विरासत का आभास भी कराया। अदल बदल कर अपनी सभी बांसुरियों का उपयोग करते हुए उन्होंने फिर इक़बाल का लिखा सारे जहां से अच्छा, प्रसिद्द भजन ठुमक चलत रामचंद्र और राष्ट्रगान जन गण मन की प्रस्तुति दी जिससे सभी का मन आनंदित हुआ। श्रोताओं ने खुद को राष्ट्रभक्ति से भरे माहौल में पाकर अभिभूत महसूस किया।आखिर में दसेक बच्चों ने विविध प्रश्नों के मार्फ़त पंडितजी से उत्तर जाने। आयोजन के सूत्रधार छात्रा पुशिता बाबेल, रूपल जैन, अध्यापक परेश नागर, भरत व्यास, संगीत प्रशिक्षक हेमांग कुमार और जिन्नी जोर्ज थे 

स्पिक मैके के राज्य सचिव अनिरुद्ध के अनुसार इससे पहले पंडित रोनू मजुमदार की एक प्रस्तुति रिजर्व पुलिस लाइन चित्तौड़गढ़ में गुरुवार रात्रि सवा आठ बजे भी हुई जिसमें मुख्य रूप से पुलिस के जवान, श्री आसरा विकास संस्थान हाउसिंग बोर्ड सेगवा के अनाथ बच्चे और समाज कल्याण विभाग के राजकीय आवासीय छात्रावास की बालिकाओं ने मुख्य रूप से हिसा लिया।श्रोताओं के चयन को लेकर बहुत भावुकता के साथ पंडित मजुमदार ने देश सेवा पर अपने विचार व्यक्त किए।वे प्रस्तुति के दौरान बहुत भावुक हो उठे।इस मौके पर स्वागत उदबोधन चित्तौडगढ के जिला पुलिस अधीक्षक और कला के पारखी प्रसन्न कुमार खिमेसरा ने दिया वहीं दीप प्रज्ज्वलन और कलाकारों का अभिनन्दन अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक नारायण सिंह राजपुरोहित,उप पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा, स्पिक मैके के वरिष्ठ सलाहकार डॉ.ए.एल.जैन, मुन्ना लाल डाकोत, उपाध्यक्ष नटवर त्रिपाठी ने किया 

पुलिस लाइन में हुए कार्यक्रम में पंडित रोनू मजुमदार और उनके संगतकारों ने राग बागेश्वरी और राग देस में निबद्ध वन्दे मातरम् राष्ट्र गीत पेश किया श्रोताओं की फरमाईश पर उन्होंने राजस्थानी मांड गीत केसरिया बालम गाकर सुनाया और बांसुरी पर बजाया भी तो सभी ने कलाकारों का तालियों से मान बढ़ाया पंडित जी ने अनाथ बच्चों के साथ सामहिक फोटो खिंचवाकर बच्चों का मनोबल भी बढ़ाया। कलाकारों का परिचय सचिव सांवर जाट ने पढ़ा।कार्यक्रम के सूत्रधार पुलिस लाइन इंचार्ज भेरूगिरी, चित्तौडगढ आर्ट सोसायटी के संयोजक मुकेश शर्मा, स्पिक मैके साथी शाहबाज पठान, जुनैद शैख़, मनोज खोईवाल थे संचालन राज्य समन्वयक माणिक ने किया 


सांवर जाट,सचिव,स्पिक मैके चित्तौड़गढ़

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