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'अपनी माटी' का अंक-18 जारी


अनुक्रम

    सम्पादकीय
सरकती जाए है रुख से नक़ाब

अपनी माटी विशेष 
कलकत्ता शहर पर युवा कवि नील कमल के कुछ काव्य-चित्र

स्मृति शेष
बौद्ध साहित्य, दलित साहित्य का प्रस्थान है-प्रो. तुलसीराम से रविकांत की बातचीत
एक लंपट दुनिया में अच्छे दिन कब आते हैं.नन्द बाबू को याद करते हुए डॉ.ललित श्रीमाली

सिनेमा
फिल्मी अदाकारों को पुनर्निर्माण का आव्हान करती कहानी ‘मोहन दास’-डॉ. विजय शिंदे

लोकरंग
मालवांचल के काया गीतों में व्याप्त जीवन दर्शन-स्वर्णलता ठन्ना
हाशिये की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति- “गोदना” और बाज़ार-महेंद्र प्रजापति

स्त्री पक्ष
सामाजिक मूल्य और मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथा-स्वीटी यादव
लाजै दूदाजी रो मेड़तों जी, कोई चोथी गढ़ चीतोड़-कालूलाल कुलमी

समीक्षा
नन्द चतुर्वेदी और ‘शतायु लोहिया’-दिनेश कुमार माली

कुछ कविताएँ
देवयानी भारद्वाज, ब्रजेश कानूनगा, वरुण शर्मा, डॉ.कर्मानंद आर्य

भाषा विमर्श
इंटरनेट एवं स्थानीय भाषाएँ-डॉ.मो॰ मजीद मिया
युवा स्वर नींद और जाग की ड्योढ़ी पर ब्रह्माण्ड सिरजती कविताएँ-डॉ.विमलेश शर्मा

रंग संवाद 
युवा रंगकर्मी राजेंद्र पांचाल से ओम नागर की बातचीत

शोध
मध्यकालीन हिन्दी कविता की पुनर्व्याख्या क्यों?-रंजन पाण्डेय
संजीव का कथा साहित्य और आदिवासी संघर्ष.ज्योति कुमारी मीणा
अतीत से आज तक मजबूत होती स्त्री-प्रो. उर्मिला पोरवाल

चित्रांकन
संदीप कुमार मेघवाल

मित्र पत्रिकाएँ
आदिवासी साहित्य और मंतव्य 

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