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ज़ैनुल आबेदीन जन्मशती समारोह


ज़ैनुल आबेदीन जन्मशती समारोह - न्यौता
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जन संस्कृति मंच ने भारतीय महाद्वीप के महान कलाकार ज़ैनुल आबेदीन की जन्मशती मनाने का संकल्प लिया है .देश भर के विभिन्न शहरों में चित्र -प्रदर्शनियों , चर्चाओं , सेमिनारों , फिल्म -प्रदर्शन और संगीत के जरिये ज़ैनुल आबेदीन को याद किया जाएगा . जैनुल आबेदीन के चित्रों से दुनिया ने पहली बार 1943 के अकाल की विभीषिका को मानवीय अर्थों में समझा . समझा कि आंकड़ों और सूचनाओं से अलग मनुष्यमात्र के जीवन और उसकी गरिमा के लिए अकाल एक विनाशकारी अनुभव है. लेकिन उनके चित्रों ने सिर्फ इतना ही नहीं बताया . यह भी कि अकाल कोई प्राकृतिक विपत्ति नहीं , बल्कि औपनिवेशिक राज की नीतियों और साजिशों का नतीजा था. जैनुल आबेदीन जैसे कलाकारों और कवियों की बदौलत ही हम उस अभूतपूर्व अकाल के असली चेहरे को उस तरह समझ पाए , जिस तरह हम आजकल की अपनी विपत्तियों को टेलिविज़न और इंटरनेट के बावजूद नहीं समझ पाते . 

ज़ैनुल आबेदीन के काम से दुनिया और भारत की चित्र-कला परम्परा में एक क्रांति घटित हुई. जैनुल आबेदीन ने चित्रकला को प्रतिरोध के माध्यम के रूप में सशक्त किया . साथ ही , और साधारण जन के जीवन -संघर्ष की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में भी . उन्होंने अपनी कला के जरिये मजदूरों और किसानों की आंतरिक तस्वीरें हम तक पहुंचाईं . बांग्ला मुक्ति संघर्ष के दौरान उनकी कला सक्रिय रही और एक नए देश के जन्म के साथ उसने भी एक नया रचनात्मक पुनर्जन्म लिया . बांग्लादेश में उन्हें शिल्पाचार्य कहा गया .जन्मशती में जैनुल आबेदीन को याद करना इसलिए भी जरूरी है , क्योंकि आज बाज़ार का विनाशकारी हस्तक्षेप जिस हद तक चित्रकला में बढ़ गया है , उस हद तक और कहीं नहीं . क्योंकि आज यह एक सच्चा खतरा है कि बाज़ार सच्ची और मौलिक कला को कहीं सिरे से गायब न करदे. इस तरह जन्मशती आयोजन प्रतिरोध की संस्कृति के विस्तार के निमित्त एक महत्वपूर्ण पहलकदमी हो सकती है . 

जन्मशती की शुरुआत 23 अगस्त को दिल्ली से होगी. आइटीओ स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में शाम पांच बजे से जैनुल आबेदीन के चित्रों की एक प्रदर्शनी लगाई जायेगी . इस प्रदर्शनी में चुने गए उनके महत्वपूर्ण चित्र होंगे . यह प्रदर्शनी जन संस्कृति मंच द्वारा संयोजित होगी . प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध चित्रकार हरिपाल त्यागी करेंगे . साथ ही '"अकाल -वेला में कला , भूख की सियासत और आज की चुनौतियां" ' इस विषय पर एक मुक्त परिचर्चा होगी . परिचर्चा की शुरुआत चर्चित चित्रकार-उपन्यासकार अशोक भौमिक के बीज वक्तव्य से होगी . प्रमुख चर्चाकार होंगे -- कथाकार महेश दर्पण , फिल्मकार संजय काक और आलोचक आशुतोष कुमार। इस कार्यक्रम का सञ्चालन एक्टिविस्ट प्रोफेसर राधिका मेनन करेंगी। अशोक भौमिक की पुस्तक 'अकाल की कला और जैनुल आबेदीन ' की लोकप्रस्तुति और उस पर केन्द्रित बातचीत भी कार्यक्रम का हिस्सा है . जन्मशती के राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए देश भर के विभिन्न प्रगतिशील जनवादी संगठनों को निमंत्रित किया गया है . जो लोग या संगठन इस से जुड़ना चाहें , वे जन्मशती आयोजन के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार से delhijsm@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं . 

आप इस कार्यकरण में सक्रिय हिस्सा लेने के लिए सादर आमंत्रित हैं .
तिथि -23/08/2014
समय - शाम पांच बजे . 
स्थान - गांधी शांति प्रतिष्ठान , आइटीओ के पास , नई दिल्ली. 

(जन संस्कृति मंच के लिए रामनरेश राम द्वारा जारी )

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