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वनमाली कथा सम्मान संपन्न

भोपाल. 
वनमाली सृजनपीठ द्वारा पिछले दिनों एक गरिमामयी समारोह में प्रसि़द्ध एवं चर्चित कथाकार ममता कालिया, मंजूर एहतेशाम और पंकज सुबीर को वनमाली कथा सम्मान से अलंकृत किया गया। समारोह में सुप्रतिष्ठित कथाकार चित्रा मुद्गल एवं वरिष्ठ आलोचक डॉ. धनंजय वर्मा ने तीनों कथाकारों को सम्मानित किया। इस मौके पर प्रसिद्ध कवि, कथाकार, आलोचक एवं साहित्य प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

हिन्दी के मूर्धन्य कथाकार जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली की स्मृति में वनमाली सृजनपीठ द्वारा 25 मार्च 2014 को एनआईटीटीटीआर के सभागार में आयोजित इस वनमाली कथा सम्मान समारोह में अतिथियों ने अपने वक्तव्य में हिन्दी साहित्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उसे सही दिशा देने की बात कही। कार्यक्रम से पूर्व आईसेक्ट स्टूडियो द्वारा वनमाली जी के कृतित्व एवं उन पर केद्रिंत कार्यक्रमों पर आधारित वृत्तचित्र का प्रदर्शन भी किया गया। 

इस मौके पर वनमाली सृजनपीठ के अध्यक्ष एवं चर्चित कवि-कथाकार संतोष चौबे ने वनमाली सृजनपीठ की गतिविधियों प्रकल्पों को समावेशी अभियान बताते हुए कहा कि ये लेखकों, साहित्यकारों के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। कथाकार मुकेश वर्मा ने तीनों सम्मानित साहित्यकारों के रचनाकर्म पर वक्तव्य दिया। सम्मानित कथाकार ममता कालिया ने सम्मान का उत्तर देते हुए कहा कि ये सम्मान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इनके साथ किसी भी किस्म की दलबंदी या सरकारी तंत्र की छाया नहीं है। ये सम्मान विशुद्ध रूप से साहित्यकारों के लिए विश्वास का प्रतीक है। अलंकरण से पूर्व प्रशस्ती पत्र का वाचन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया। सम्मानित कथाकारों को सम्मान निधी स्वरूप ममता कालिया एवं मंजूर एहतेशाम को 51-51 हजार रूपए और पंकज सुबीर को 31 हजार रूपए भेंट किए गए। अंत में रंगशीर्ष संस्था द्वारा संजय मेहता के निर्देशन में ममता कालिया की कहानी बोलने वाली औरत का नाट्य रूपक प्रस्तुत किया गया। इसमें प्रेम और दांपत्य जीवन के बीच के जीवन संघर्ष को दिखाया गया। कार्यक्रम का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया।

इससे पूर्व 24 मार्च को रवींद्र भवन परिसर स्थित स्वराज भवन में प्रख्यात कथाकार ममता कालिया, मंजूर एहतेशाम , और पंकज सुबीर ने जिंदगी के अलग-अलग मोर्चों पर संघर्षों, तनावों और दुश्वारियों से मुठभेड़ करते मनुष्य की आवाजों को ज़ज्ब करती अपनी कहानियों का सुधीजनों के बीच पाठ किया। ये कथाकार अलग-अलग जीवन अनुभवों को पाठ की अनूठी शैली के साथ अपनी कहानियों में नुमायां करने भोपाल की साहित्य बिरादरी के बीच थे। 

वनमाली सृजन पीठ के प्रतिष्ठित कथा सम्मान की पूर्व संध्या पर आयोजित इस रचनापाठ की अध्यक्षता चर्चित कथाकार, कवि संतोष चौबे ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज कथानुभव विषय और कहन की दृष्टि से अधिक व्यापक और गहरा हुआ है। आज की कहानी आधुनिक होते हुए भी नैतिकता की पक्षधर है। रचना पाठ से पूर्व भारतीय ज्ञानपीठ के निवृत्तमान निदेशक तथा अग्रणी कथाकार रवींद्र कालिया ने वनमाली सृजनपीठ के सांस्कृतिक उपक्रमों पर केंद्रित पत्रिका बिंब-प्रतिबिंब व साहित्यिक पत्रिका राग भोपाली के विशेषांक का विमोचन भी किया।

वनमाली कथा सम्मान के लिए चयनित हमारे समय के तीन महत्वपूर्ण कथाकारों ममता कालिया, मंजूर एहतेशाम और पंकज सुबीर की रचनाधर्मिता को रेखांकित करने का यह एक दिलचस्प आयोजन था। इस मौके पर ममता कालिया ने जीवन की सफलता के अर्थ खोलती कहानी “कामयाब” का पाठ किया। वहीं मंजूर एहतेशाम ने अपनी कहानी ”छतरी“ के बहाने मौसम और मन के मिजा़ज के अंर्तद्वंद्वों को बखूबी उद्घटित किया। पंकज सुबीर ने अपनी चर्चित कहानी “ईस्ट इंडिया कंपनी” का पाठ करते हुए उच्च और निम्न वर्ग के बीच आर्थिक असमानता और एक नए सामाजिक विमर्श का प्रस्ताव तैयार किया। 

इससे पूर्व सम्मानित कथाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कथाकार रेखा कस्तवार, आलोचक रामप्रकाश  त्रिपाठी एवं कवि अरुणेश शुक्ला ने टिप्पणी की। कथाकार ममता कालिया के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए रेखा कस्तवार ने कहा कि ममता कालिया छोटी-छोटी घटनाओं से अपनी कहानियों का कलेवर बुनती है और सवाल उठाती है और उन्हें जीवन के बड़े आषयों से जोड़ती है। ममता कालिया में बदलते वक्त की नब्ज़ पकड़ने की अदभुत क्षमता है। इस तरह वे भविष्य के प्रश्नों के प्रति भी चेताती है।  रामप्रकाश त्रिपाठी ने मंजूर एहतेशाम को लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का समर्थन करने वाला कथाकार बताया। उन्होंने कहा कि वह किसी राजनैतिक विचारधारा व खैमेबाजी में नहीं रहते हैं। उनकी भाषा गंगा जमुनी तहजीब की भाषा है। वे मनुष्य की छोटी-छोटी संवेदनाओं और मूलभुत भावनाओं के इर्द-गिर्द कहानियां बुनते है।  कहानीकार पंकज सुबीर की रचनाधर्मिता पर प्रकाष डालते हुए कवि अरुणेश शुक्ला ने उन्हें महत्वपूर्ण कथाकार निरूपित किया। कार्यक्रम का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय एवं कथाकार मुकेश वर्मा ने किया।

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