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'गड्ढा' कहानी के तीन सफल नाट्य रूपांतर प्रदर्शन

दिल्ली
उर्दू के प्रसिद्ध कथाकार कृश्नचंदर के जन्मशताब्दी वर्ष में दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के हिंदी विद्यार्थियों ने अपनी नाट्य संस्था आह्वान के ज़रिये उन्हें याद किया। गत दो माह के भीतर आह्वान ने कृष्णचंदर की कहानी के नाट्य रूपांतर गड्ढा के तीन सफल प्रदर्शन दिल्ली विश्वविद्यालय में किये। दक्षिण परिसर के रामलाल आनंद कॉलेज में संस्था ने टीम के साथ 6 फरवरी को प्रदर्शन किया। फरवरी की 24  तारीख को जमुना पार के आंबेडकर कॉलेज में सर्वाधिक सफल  प्रदर्शन रहा। एक घंटे के लिए विद्यार्थी शिक्षक और प्रधानाचार्य ने नाटक देखा और सामाजिक मुद्दों पर आह्वान के साथियों से बातचीत भी की।तीसरी प्रस्तुति 6 मार्च को मिरांडा कॉलेज में हुई। इस नाटक में कथाकार ने एक विराट रूपक योजना के तहत एक आम आदमी की जिंदगी और विडंबना को दर्शाया है। गलती से एक गहरे गढ्ढे में गिर जाने के बाद आदमी की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। बहुत से लोग सरकारी कर्मचारी नेता साधु पण्डे वहां से गुजरते हैं। 

आदमी की चीख भी सुनते हैं पर कोई सहयोग नहीं करता। भूख पानी दुःख तकलीफ और तमाम तरह की अमानवीयता झेलता आदमी अकेला और उपेक्षित रह जाता है। दुखद पहलू पर ख़त्म होने वाला ये नाटक अपने अंतिम दृश्य के साथ और अधिक प्रभावशाली बन जाता है जब सारे किरदार उस गड्ढे में गिर जाते हैं। संस्था द्वारा इम्प्रोवाइज़ किया ये प्रतीकात्मक अंत दरअसल व्यापक सामाजिक यथार्थ को भी चित्रित करता है कि आज की व्यवस्था किस हद तक मानवविरोधी और असंवेदनशील हो चुकी है। दूसरे ये केवल एक व्यक्ति का यथार्थ नहीं बल्कि सामाजिक रूप से कमज़ोर आर्थिक दृष्टि से पिछड़े किसी भी वंचित उपेक्षित व्यक्ति का यथार्थ बनकर सामने आता है। कथा की यह गंभीरता हास्य के पुट को  लिए हुए भी कई सवाल छोड़ जाती है। कथाकार की संवेदना दिखाती है कि एक मामूली सी मदद के लिए भी जिस समाज में कोई तैयार नहीं वे बड़े मुद्दों पर कैसे संगठित होंगे। गड्ढे में गिरे आदमी की भूमिका में आदित्य ने अपनी गहरी छाप दर्शकों पर छोड़ी। आरम्भ में पुलिस वाले के किरदार में मनोज ने समां बांध दिया। साधु पण्डे के दृश्य में विकास और  रजत का अभिनय सराहनीय था। हास्य दृश्य में दीपक देवेश अनन्त शिखा का प्रयास काबिल ए तारीफ रहा। अमरेश के संगीत ने नाटक को गति प्रदान की। इनके अतिरिक्त सलीम शिखा दीपशिखा अंकित अनंत कंचन ज्ञान अमित हिना  पवन आदि की मेहनत भी रंग लाई। आह्वान नाट्य संस्था अपने अत्यंत सीमित साधनों में वर्ष 2010 से  डॉ प्रज्ञा के निर्देशन में निरंतर कई नुक्कड़ नाटक कर चुकी है। सलीम विकास अनंत  हेमंत शाहीन आदि का आह्वान  की इन प्रस्तुतियों में विशेष सहयोग रहा है। -सलीम  





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