अपनी माटी का आयोजन आंगन में कविता संपन्न
चित्तौड़गढ़ 2 फरवरी,2014
बदलते दौर के बीच साहित्यिक परिवेश में बहुत कुछ आशाजनक बदलाव आये हैं।छपे हुए शब्दों की दुनिया के बाद हाल के सालों के इस इंटरनेटी युग में साहित्य की कई विधाओं के ई-संस्करण शुरू हो गए हैं।पढ़ने-लिखने वालों के संसार में भी यह बहुत बड़े बदलाव का सूचक समय हैं।पाठकीयता बढ़ी है।किताबें सुलभ हुयी हैं।रुचियों में आये वैविध्य के साथ ही पत्र-पत्रिकाओं का विस्तार पर्याप्त रूप से हुआ है।खूब बड़ी मात्रा में छप रहे इस सारे साहित्य को ही अच्छा साहित्य मान लेने की ग़लती करने के बजाय हमें विवेक के साथ चुनाव करना चाहिए।इधर कविताएँ जिस ढ़ंग से लगातार लिखी जा रही है सही दिशा वाली कविताओं का चयन बड़ा मुश्किल हो रहा है।आतंरिक लय और छंद लगभग षडयंत्रकारी ढ़ंग से बिसरा दिए गए हैं।कचरा अधिक है सार्थक रचनाओं और चिन्तनशील लेखकों का संकट है।इस बीच हमें अपनी पाठकीयता को बढ़ाने के लिए सधे हुए कदमों से आगे बढ़ना होगा।
यह विचार दो फरवरी को अपनी माटी द्वारा विशाल अकादमी सियिनर सेकंडरी स्कूल,गांधी नगर,चित्तौड़गढ़ में आयोजित आंगन में कविता कार्यक्रम में उभरी।जहां कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद डॉ ए एल जैन ने की वहीं और चिन्तनशील अधिवक्ता भंवर लाल सिसोदिया ने मुख्य आतिथ्य निभाया।शुरुआती सत्र में अपनी माटी की संस्थागत गतिविधियों पर रिपोर्ट और आय-व्यय का व्यौरा रखा गया।इस अवसर पर अपनी माटी रेडियो क्लब की शुरुआत की औपचारिक घोषणा भी की गयी।
आंगन में कविता की शुरुआत माणिक ने अवतार सिंह संधू पाश की कविता सबसे खतरनाक के पाठ से की।कविता पाठ का दौर बहुत आगे तक गया निराला की राम की शक्तिपूजा से लेकर मुक्तिबोध की लम्बी कविता अँधेरे में तक।गीतकार रमेश शर्मा, कौटिल्य भट्ट, अब्दुल ज़ब्बार सरिता भट्ट, और डॉ ए एल जैन ने प्रख्यात ग़ज़लों और चुनिन्दा शेर पढ़कर फैज़ से लेकर अदम गोंडवी, निदा फाज़ली, बशीर बद्र, कैफ़ी आज़मी और दुष्यंत कुमार तक को याद किया। उपस्थित साहित्यिक बिरादरी में डॉ राजेन्द्र सिंघवी ने नागार्जुन, डॉ रेणु व्यास ने मुक्तिबोध, डॉ राजेश चौधरी ने अष्टभुजा शुक्ल, डॉ कनक जैन ने विष्णु खरे, डालर सोनी ने निर्मला पुतुल को पढ़ा। इस तरह साहित्यिक हल्के के हर युग की आवाज़ देती कविताएँ सुनायी गयी।लगभग तमाम कविताएँ आधुनिक युग का ही बोध कराती रही।
इस मौके पर सभी ने त्रिलोचन, श्रीधर पाठक, ऋतुराज, रमेश तैलंग, निर्भय हाथरसी और रमानाथ अवस्थी को फिर से जिया। नवाचारी ढ़ंग से आयोजित इस कविता केन्द्रित कार्यक्रम में लगभग बाईस मित्रों ने पाठ किया जिनमें सुमित्रा चौधरी, रेखा जैन, अशोक उपाध्याय, लक्ष्मण व्यास, मुन्ना लाल डाकोत, जे पी दशोरा, राजेश रामावत और डॉ सत्यनारायण व्यास शामिल हैं।आयोजन के अंत में बीते महीनों दिवंगत हुए प्रख्यात रचनाकारों को मौन रखकर याद किया गया जिनमें राजेन्द्र यादव,विजय दान देथा,नामधार ढसाल,ओम प्रकाश वाल्मीकि,परमानंद श्रीवास्तव शामिल थे।
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