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धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र का मूल

उदयपुर 28 अक्टूबर। 

भारत विविधतापूर्ण संस्कृति का देश है। जिसमें अधिनायकवाद का कोई स्थान नहीं है। जो लोग अधिनायकवाद को भारत में बढ़ावा देना चाहते है वे लोकतंत्र को कमजोर करते है। भारत की स्वतंत्रता के साथ ही देश में लोकतंत्र आया है उक्त विचार समाजवादी चिंतक प्रो. राम पुनियानी ने पी.यू.सी.एल. एवं डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित लोकतंत्र की चुनौतिया विषयक संगोष्ठी में व्यक्त किए।  प्रो. पुनियानी ने कहा कि सूचना के अधिकार से लोकतंत्र बहुत मजबूत हुआ है इसके प्रयोग से प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ायी जा सकती है। किन्तु निहित स्वार्थी लोगों द्वारा की जा रही आर.टी. आई. कार्यकर्ताओं की हत्या लोकतंत्र को कमजोर करेंगी। 

प्रो. पुनियानी ने सांप्रदायिकता पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सांप्रदायिकता सभी धर्मों में आती है। धर्म मानव मूल्य का नाम है। किन्तु किसी विशेष धर्म की राजनीति सांप्रदायिक होती है। धर्मनिरपेक्षता का मतलब नास्तिकता नहीं है वरन् राज्य सत्ता धार्मिक आधार पर न चले यह सुनिश्चित करना है। धर्म के मायने नैतिकता होनी चाहिए। भारतीय संविधान से अच्छा कोई मार्गदर्शक ग्रंथ धर्मनिरपेक्षता को समझाने के लिए नहीं हो सकता है। 

प्रो. राम पुनियानी ने कहा कि भगतसिंह, अम्बेडकर और गांधी भारतीय राष्ट्रवाद के प्रतीक है। समाज में बेहतरी केवल सामाजिक आन्दोलनों के माध्यम से ही आ सकती है तथा सामाजिक आन्दोलन केवल लोकतंत्र में ही संभव है। भारतीय लोकतंत्र को बांटो और राज करो की नीति लिंग असमानता, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, संप्रदायवाद, जातिवाद तथा अमीर गरीब के बीच बढ़ती खाई आदि से खतरा है। उन्हांेने लोकतंत्र की मजबूती के लिए सांप्रदायिक सौहार्द व धार्मिक सहिष्णुता पर बल दिया। 

संगोष्ठी पश्चात् प्रश्नोत्तर में एस.एल. गोदावत, चन्द्रा भण्डारी, अरूण व्यास, राजेश सिंघवी, एकलव्य नन्दवाना, ए.आर. खान, मंसूर अली बोहरा आदि ने भाग लिया। मुश्ताक चंचल ने सांप्रदायिक सौहार्द की नज्म प्रस्तुत की। संगोष्ठी में रमेश नन्दवाना, डॉ. सुधा चौधरी, आर.एस. भण्डारी, रियाज तहसीन, राजेन्द्र बया, बी.एल. सिंघवी, अंजुलता परमार, डॉ. विनिता श्रीवास्तव, आदि गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता वास्तुविद् बी.एल. मंत्री ने की। मुख्यअतिथि हबीबा बानू तहसीन थी। संगोष्ठी का संचालन पी.यू.सी.एल. के अध्यक्ष डॉ. जेनब बानू ने किया। धन्यवाद अश्विनी पालीवाल ने किया। 

नितेश सिंह

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