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डॉ. रैणा को सीनियर फेलोशिप

भारत-सरकार के संस्कृति मंत्रलय ने हाल ही में कला,संस्कृति,साहित्य,संगीत,नाटक आदि क्षत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले जिन ख्यातिवान विद्वानों को अपनी प्रतिष्ठित सीनियर फ़ेलोशिप से सम्मानित करने का निर्णय लिया है,उन में प्रसिद्ध लेखक,शिक्षाविद और अनुवादक डॉ० शिबन कृष्ण रैणा का नाम भी सम्मिलित है.फ़ेलोशिप की अवधि दो वर्ष की है और डॉ० रैणा को यह फ़ेलोशिप साहित्य में तुलनात्मक अध्ययन हेतु प्रदान की गयी है.कई पुरस्कारों एवं सम्मानों से समादृत डॉ०रैणा वर्ष १९९९ से लेकर २००१ तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान,शिमला में अध्येता रहे हैं जहाँ उन्होंने भारतीय भाषाओँ से हिंदी में अनुवाद की समस्याओं पर कार्य किया है.यह कार्य संस्थान से प्रकाशित हो चुका है.चौदह पुस्तकों और सौ से अधिक लेखों/शोधपत्रों के लेखक डॉ० रैणा देश की कई साहित्यिक/सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं.राजस्थान साहित्य अकादमी का पहला अनुवाद पुरस्कारप्राप्त करने का श्रेय डॉ० रैणा को है.कश्मीरी की प्रसिद्ध रामायण रामावतारचरितका सानुवाद देवनागरी में लिप्यांतर करने के लिए डॉ.० रैणा को बिहार राजभाषा विभाग की ओर से १९८१ में  ताम्रपत्र से सम्मानित किया जा चुका है.इनके द्वारा किये गए कश्मीरी की श्रेष्ठ कहानियां, श्रेष्ठ कविताएँ तथा कश्मीरी कवयित्रियाँ: ललद्यद,हब्बाखातून आदि के सुन्दर अनुवाद हिंदी जगत में खूब चर्चित और पसंद किये गए हैं.
  कश्मीर विश्वविद्यालय से १९६२ में हिंदी में एम० ए०(प्रथम श्रेणी में प्रथम रहकर) तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से यूजीसी की फ़ेलोशिप पर पी-ऍच०डी कर लेने के बाद १९६६ में डॉ० रैणा का राजस्थान लोकसेवा आयोग से हिंदी व्याख्याता पद पर चयन हुआ था.राजस्थान विश्वविद्यलय से इन्होंने एम०ए० अंग्रेजी की भी उपाधि प्राप्त की है.इनका अधिकाँश सेवाकाल श्रीनाथद्वारा और अलवर में बीता

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