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भीतर के बदलाव के लिए शास्त्रीय गायन सबसे आसान तरीका है-डॉ मीता पंडित


चित्तौड़गढ़ 20 सितम्बर 2013

स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ की विरासत प्रस्तुतियों में शुक्रवार का दिन देश की प्रतिबद्ध शास्त्रीया गायिका डॉ मीता पंडित के गायन के नाम रहा। पहला कार्यक्रम सुबह साढ़े आठ बजे राजकीय पुरुषार्थी माध्यमिक विद्यालय,पाडनपोल में हुआ।विद्यार्थियों से प्रश्नोत्तरी के माध्यम से शुरू हुए कार्यक्रम में वाध्य यंत्रों, राग-रागिनियों की जानकारी भी दी गयी। मीता पंडित ने आरंभिक स्तुति और मीरा भजन से श्रोताओं को अपनी ग्वालियर घराने की गायिका से परिचित करवाया। कलाकारों का स्वागत, अभिनन्दन और संचालन प्रधानाचार्य नन्द किशोर निर्झर,स्पिक मैके उपाध्याक्ष डॉ राजेन्द्र सिंघवी और वरिष्ठ सदस्य नटवर त्रिपाठी ने किया।
  
दूसरा कार्यक्रम बोजुन्दा स्थित विजन स्कूल ऑफ मैनेजमेन्ट में हुआ।मीता पंडित ने यहाँ राग देशकार में निबद्ध गंगा मैंया की स्तुति , तराना और आखिर में प्रगतिशील कवि कबीर का पद नैहरवा हमका नहीं भावे प्रस्तुत किया।लगातार पचास मिनट  की इस गायन संगत को प्रबंधन के विद्यार्थियों ने खूब सराहा।संगतकार के रूप सारंगी नवाज़ पंडित भारत भूषण गोस्वामी और तबला वादक अख्तर हसन ने भी अपनी जुगलबंदी से खूब ध्यान खींचा।

संस्था निदेशक डॉ. साधना मण्डलोई ने बताया कि शास्त्रीय संगीतज्ञ डॉ. मीता पण्डित ने फ्रांस, जर्मनी, लंदन, स्वीजरलैण्ड, नार्वे, रोम, अमेरिका में अपनी प्रस्तुतियाँ दी है। भारत सरकार ने इन्हें अनेक अवार्ड जैसे गोल्डन वाइस ऑफ इण्डिया, युवा ओजस्वीनी अवार्ड, यंग एचीवर ऑफ इयर अवार्ड संगीत नाटक एकेडमी के उत्कर्ष अवार्ड सहित उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरूस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। दीप प्रज्जवलन स्पिक मैके अध्यक्ष डॉ. .एल.जैन, संस्था के सचिव राजेन्द्र पारीक ने किया। कार्यक्रम प्रो. राहुल जैन के निर्देशन में आयोजित हुआ संचालन बी.बी.एम. छात्रा नेन्सी सलुजा ने किया। इस अवसर सलाहकार  मुन्ना लाल डाकोत,समन्वयक  जे पी भटनागर,माणिक और भावना शर्मा सहित अन्य स्टॉफ गण उपस्थित थे। प्रो. सुरभि लढढा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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