प्रेस रिपोर्ट ;शास्त्रीय नृत्य कोई मूवी नहीं कि देखी और चल दिए-गीतांजली लाल
चित्तौड़गढ़ , 8 अगस्त,2013
यह विचार देश की प्रसिद्द कथक नृत्यांगना गीतांजली लाल ने स्पिक मैके चित्तौड़ के विरासत कार्यक्रम के आगाज में व्यक्त किए। आठ अगस्त दिन में साढ़े बारह बजे सेंथी स्थित सेन्ट्रल अकादमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में हुई प्रस्तुति में विदुषी गीतांजली लाल ने अपने साथ तेरह सालों से सीख रहीं शिष्या श्रीमती विधा लाल के साथ इस उत्तर भारतीय नृत्य के बहुत से फलक खोले। एक तरफ केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सम्मान से नवाजी जा चुकी और कथक केंद्र दिल्ली की गुरु गीतांजली लाल ने अपनी चौंसठ साला उम्र होने के बावजूद भाव का अद्भुत प्रदर्शन किया वहीं उनकी शिष्य विधा लाल ने चक्कर जैसी तेज और ऊर्जादायक रचना दिखाई। बीच-बीच में विधा लाल ने इस नृत्य के तकनीकी पक्ष से भी सभी को लाभान्वित किया।उन्होंने गणपति वन्दना से आरम्भ कर माखन चोरी और ग्वाल-बाल संग खेलकूद के दृश्यों में भाव भरे। इससे पहले दीप-प्रज्ज्वलन स्कूल प्राचार्य अश्रलेश दशोरा,स्पिक मैके सलाहकार अनिल सिसोदिया और डॉ एम् बी बक्षी ने किया। अतिथियों का स्वागत विद्यार्थियों ने ही किया।इस नृत्य सभा की सूत्रधार छात्रा रेणुका गिडवानी और पूजा जागेटिया और यहाँ की उपशाखा समन्वयक परेश नागर थे।
उपस्थित बच्चों ने सवा घंटे तक चक्कर, तिहाई, कवित्त और जुगलबंदी के मार्फ़त कथक नृत्य को बहुत नजदीक से देखा और महसूसा। आख़िरी अंश में पूरी सभा ने लयबद्ध तालियों से कलाकारों का साथ दिया।विरासत आयोजन के इस पहले कार्यक्रम में संगतकार के रूप में तबला वादक अमज़द चौधरी और गायक अमज़द अली ने भी दर्शकों को अपने तरीके से आकर्षित किया। प्रस्तुति में नगर से कई नृत्य रसिकों ने भाग लिया जिनमें एस के शर्मा, नन्दकिशोर निर्झर, माणिक, चंद्रकांता व्यास, दिनेश व्यास, उषा सिसोदिया, एम एल डाकोत मौजूद थे।
डॉ ए एल जैन ,अध्यक्ष,स्पिक मैके चित्तौड़गढ़
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