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राष्ट्रीय बालसाहित्यकार सम्मेलन 28-29 सितंबर 2013 को

सलूम्बर क्षेत्र की साहित्यिक संस्था ‘‘सलिला’’ द्वारा प्रतिवर्ष सितम्बर माह में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय बालसाहित्यकार सम्मेलन 28-29 सितंबर को होना सलूम्बर में होना निश्चित हुआ है। इस बार की संगोष्ठी का केन्द्रिय विषय ‘‘बालसाहित्य में नाटक’’ होगा। जिस पर विचार विमर्श एवं पत्रवाचन होगा। इस अवसर पर संस्था की स्मारिका का प्रकाशन भी बाल नाटको पर केन्द्रित रहेगा।

इस अवसर पर संस्था द्वारा प्रतिवर्ष स्वतंत्रता सैनानी ओंकारलाल शास्त्री स्मृति सम्मान हेतु बालसाहित्य की निम्नलिखित विधाओं में देने का निर्णय भी लिया गया।बालकहानी, बालकविता, बालउपन्यास, बालनाटक, बालपत्रिका। इस हेतु प्रविष्टि आमंत्रित की जायेगी।सम्मेलन के मुख्य आकर्षण पूर्व की भांति बच्चो की लेखन कार्यशाला, पुस्तक एवं पत्र-पत्रिका प्रदर्शनी, कवि सम्मेलन एवं नुक्कड़ नाटको का मंचन रहेगा।

सलिला ने किया अभिनन्दन:
शाम 6 बजे सलिला संस्था की रचना गोष्ठी सम्पन्न हुई। जिसमें पूर्व में मिले पुरस्कार व सम्मान के लिए अपने दो अग्रज साहित्यकारों का तिलक, माला, शॉल व श्रीफल से अभिनन्दन-स्वागत किया। ज्ञातव्य है कि राजस्थानी भाषा, साहित्य व संस्कृति अकादमी  बाल साहित्य पुरस्कार के लिए डॉ. विमला भंडारी व राजस्थान साहित्य अकादमी के अमृत सम्मान हेतु नन्दलाल परसारामाणी, संरक्षक, अध्यक्ष का सलिला के सजृनधर्मियों ने अभिनन्दन किया। इस अवसर पर गजेन्द्र गुलशन व अशोक ताजावत ने अभिनन्दन गीत पढ़ा।

संगोष्ठी के प्रारंभ में चार रचनाकारों द्वारा नई रचित सरस्वती वंदना का पाठ किया गया। रचनाकारो ने संस्था गीत ‘‘बहती रहे सलिला......’’का सामूहिक गायन किया। इसके बाद रचनाकारों द्वारा प्रस्तुति प्रारंभ हुई। जिसमें नारायण टेलर ने सुमधुर गजल ‘‘लिख लिख भेजी पाती......, गायी। रामेश्वर उदास ने ‘‘वीर राणा तुझे ये मेवाड़ पुकारे.....’’ अरूण भट्ट ने ‘‘चांद की बात करते हो तुम...., पूंजीलाल वरनोती ने ‘‘आवो म्हारा हिवड़ा रा हार.....विरह गीत व महेशा ने ‘‘दामिनी जीवन और मौत के बीच लड़ती रही....मुकेश राव ने ‘‘मरवा हूतो डोकरो न कैवे क मूं पन्नू....मधु माहेश्वरी ने राजस्थानी आलेख, विमला भंडारी की कहानी हूक व नन्दलाल ने डायरी के अंशो का वाचन किया।’’

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