|
साथियो
नमस्कार
'अपने माटी' जैसी नयी और नवाचारी ई-पत्रिका को बीते दो अंकों में ही पाठक साथियों का खूब स्नेह मिला है।हम अपने आप को तब से ही ज्यादा जिम्मेदार अनुभव करने लगे हैं। खैर एक बात और कि हमारे इस मासिक प्रयास में इस बार के देरी से प्रकाशन पर आपको अगर इंतज़ार करना पड़ा हो तो हम मुआफी चाहेंगे।लेखक साथियों का खासकर शुक्रिया जो जिन्होंने अपनी अप्रकाशित सामग्री हमें सहज रूप में उपलब्ध कराई।इस अंक में आपको बीते दो अंकों की तुलना में ही कुछ सार्थक करने की एक कोशिश की है।इस बार सामग्री थोड़ी कम हैं मगर आपको रुचेगी ऐसी आशा है।आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी। साहित्यिक बिरादरी में हमारा ये लघु प्रयास हालांकि बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता मगर किसी अच्छे उद्देश्य से सीखते हुए किए जाने वाले काम की भी अपनी अहमियत होती है।
इस अंक में शामिल वरिष्ठ कविवर अम्बिका दत्त जी और शैलेन्द्र चौहान का खासकर तहेदिल से आभार कि उनके होने से अंक में जान आ गयी।अंक में हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ ’जी, डॉ कमल नाहर और प्रवीण कुमार जोशी को पहली छाप कर भी हमें प्रसन्नता हैं। पहली मर्तबा एक इतिहासपरक आलेख भी आपकी नज़र किया है।हमारे निवेदन पर हमारे वरिष्ठ कवि हेमंत शेष ने भी बड़ी सदाशयता से इस अंक का वजन बढ़ाया है। अंक में मुक्तिबोध और माखन लाल चतुर्वेदी जैसे युग परिवर्तक रचनाकारों पर भी सामग्री शामिल कर हम एक दायित्व का निर्वाहन अनुभन कर रहे हैं।
इस बीच रितुपर्णों घोष जैसे फिल्मकार का जाना हमें बहुत खला। एक और बड़ा नाम ध्रुपद के उस्ताद फरीदुद्दीन डागर साहेब का।उन्हें हमारी हार्दिक श्रृद्धांजली। फिलहाल हमारे देश के दो बड़े दिग्गज गायिका विदुषी गिरिजा देवी और मन्ना डे स्वास्थ्य की दृष्टी से बीमार हैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना।
- सम्पादकीय: हर हिमालयसे कोईगंगा निकलनीचाहिए
- झरोखा:माखन लालचतुर्वेदी
- कविताएँ:अम्बिका दत्त
- कविताएँ:हेमंत शेष
- कविताएँ:शैलेन्द्र चौहान
- आलेख:मुक्तिबोध कीकविताएं एकबैचेन मनकी अभिव्यक्ति/ राजीव आनंद
- आलेख-बस्सी काष्ठकला / प्रवीणकुमार जोशी
- शोधमूलक आलेख:निम्बाहेड़ाक्षेत्र केपुरातात्विक स्थलों का सर्वेक्षण/डॉ.कमल नाहर
- कहानी:मुख्यधारा / योगेशकानवा
- कहानी:महुआ बनजारिन/ हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ ’
आपका माणिक
Comments