खसम मरे तो
रोणा पिटना
यार मरे
तो कित
जाणा
डलहौजी।
राम सरूप अणखी
स्मृति कहानी-गोष्ठी का
आयोजन इस
वर्ष डलहौजी
के होटल
मेहर में
हुआ। इस
साल गोष्ठी
में हिन्दी,
असमिया, पंजाबी,
डोगरी की कहानियों का पाठ स्वयं
कहानीकारों द्वारा किया गया। संगोष्ठी
के उदघाटन
सत्र में
संयोजक अमरदीप
गिल ने
सभी प्रतिभागियों
का स्वागत
किया और
तीनदिवसीय संगोष्ठी की रूपरेखा रखी।
संगोष्ठी के
आयोजक और
कहानी पंजाब
के सम्पादक
डॉ क्रान्ति
पाल ने
इन संगोष्ठियों
के आयोजन
की सुदीर्घ
परम्परा को स्पष्ट
करते हुए
बताया कि
समकालीन कथा
रचनाशीलता को व्यापक तौर पर
देखने समझने
के उद्देश्य
से प्रारम्भ
हुई यह
संगोष्ठी अब
धीरे धीरे
अखिल भारतीय स्वरुप
लेती जा
रही है।
इस वर्ष अतानु भट्टाचार्य
(असमिया कहानीकार),
पंकज कुमार
(डोगरी कहानीकार),
गुरसेवक सिंह
प्रीत(पंजाबी
कहानीकार ),सिमरन धालीवाल (युवा पंजाबी
कहानीकार ), अग्निशेखर (प्रसिद्ध हिंदी लेखक),संजीव कुमार
(हिंदी आलोचक
और कथाकार)
ने अपनी
कहानियों का
पाठ किया।
संगोष्ठी का
उदघाटनरामस्वरूप अणखी की प्रतिनिधि कहानी
'सोया हुआ
सांप' कहानी
से हुआ
जिसका पाठ
आलोचक और
अलीगढ़ मुस्लिम
विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ
अजय बिसारिया ने किया।
यहाँ से प्रारम्भ
हुई चर्चा
की उत्तेजना
और गर्मजोशी
आखिर तक
बनी रही
और चर्चा
को युवा
हिन्दी आलोचकों
संजीव कुमार,
नीरज कुमार,वेदप्रकाश, पल्लव
के साथ
असमिया लेखक
उत्पल बरुआ,
अंगरेजी आलोचक
आशुतोष मोहन
व शोध
छात्र विकास
कौशल ने
लगातार जीवंत
बनाए रखा।
संजीव कुमार की
हिन्दी कहानी
'घोंघा' और
अतानु भट्टाचार्य
की असमिया
कहानी 'मैं,
सिस्टम और
वे' को
विशेष रूप
से पसंद
किया गया।
इस संगोष्ठी
की कहानियों
में स्त्री
पुरुष संबंधों के साथ व्यवस्था के
निरंतर अमानवीय
होते जा
रहे चेहरे
पर कहानीकारों
ने खासा
ध्यान खींचा,
वहीं संजीव
कुमार की
कहानी अपनी
वर्ग चेतना
और चरित्र निरोपण
के कारण
विशेष पसंद
की गई।
संगोष्ठी में
हिंदीतर भाषा
की कहानियों
को भी
अनुवाद के
मार्फ़त हिन्दी
में ही
प्रस्तुत किया
जाता है
ताकि सभी
श्रोता पाठ
तक पहुँच
सके।
प्रतिवाद प्रस्तुत कहानियों
का केन्द्रीय
स्वर कहा
जा सकता
है और
इस अर्थ
में भिन्न
भाषा भाषी
होने पर
भी भारतीय
कहानी का
मूल स्वर
एक ही
है। इस
तीन दिवसीय
संगोष्ठी का
आयोजन प्रतिवर्ष
किया जाता
है। संगोष्ठी
में बीते
दिनों दिवंगत
कथाकार अरुण
प्रकाश और
पंजाब में
जीवन भर
सक्रिय रहे
कामरेड सुरजीत
गिल को
श्रद्धांजलि दी गई।
डॉ क्रांति पाल
भारतीय भाषा विभाग
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
अलीगढ़
मो- 09216535617
09988262870
Comments