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विवेचना का उन्नीसवां राष्ट्रीय नाट्य समारोह,जबलपुर 31 अक्टूबर से


जबलपुर 

विवेचना का 19वां राष्ट्रीय नाट्य समारोह तरंग प्रेक्षागृह में 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक चलेगा। इस समारोह में छह राज्यों के छह नाटक प्रस्तुत होने जा रहे हैं। बाहर से आने वाले तीन दल पहली बार जबलपुर में अपना नाटक प्रस्तुत करेंगे। हर नाटक एक नई बानगी लिए हुए है। पहले दिन विवेचना जबलपुर का नाटक ’सवाल अपना अपना’ मंचित होने जा रहा है। यह नाटक आज का नाटक है जिसमें पैसे कमाने की अंधी होड़ में परिवार और समाज के आपसी संबंध सब दांव पर लग रहे हैं। यह नाटक बहुत बारीक तरीके से अंधविश्वासों के विरूद्ध वैज्ञानिक सोच को प्रमुखता देता है। नाटक का निर्देशन वसंत काशीकर ने किया है। विवेचना का उन्नीसवां राष्ट्रीय नाट्य समारोह केन्द्रीय क्रीड़ा व कला परिषद एम पी पावर मैनेजमेंट कंपनी लि. व विवेचना का संयुक्त आयोजन है। 

समारोह में दूसरे दिन 1 नवंबर को ’रम्मत’ जोधपुर के द्वारा अर्जुनदेव चारण के लेखन व निर्देशन में ’जमलीला’ का मंचन किया जाएगा। यह एक व्यंग्य नाटक है जिसमें एक रोचक कहानी को गीत संगीत और राजस्थानी हिन्दी भाषा के लालित्य के साथ प्रस्तुत किया गया है। प्रो अर्जुनदेव चारण देश के वरिष्ठ रंगनिर्देशक हैं और वर्तमान में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के चेयरमैन हैं। 

तीसरे दिन 2 नवंबर को इलाहाबाद की संस्था समांतर केे कलाकार अनिल भौमिक के निर्देशन में लोर्का के नाटक ’अघट प्रेम’ का मंचन करेंगे। एक युवा लड़की की शादी एक अधिक उम्र के व्यक्ति से हो जाती है। दोनों में टकराव होता है और आदमी घर छोड़ कर भाग जाता है। आदमी के जाने के बाद लड़की के साथ अनेक घटनाएं होती हैं और वह नए सिरे से अपने पति के प्रेम को देखती है। यह एक बहुत रोचक कथा है जिसमें अभिनय और गीत संगीत का सुंदर संयोजन है। यह एक प्रसिद्ध विदेशी नाटक है जिसे भारतीय परिस्थितियों में रूपांतरित किया गया है। 

समारोह के चौथे दिन 3 नवंबर को चंडीगढ़ की संस्था ’थियेटर फॉर थियेटर’ के कलाकार सुदेश शर्मा के निर्देशन में डा शंकर शेष के नाटक ’’चेहरे’’ का मंचन करेंगे। गांव के एक समर्पित समाजसेवी का निधन हो गया है। उनकी शवयात्रा जा रही है। अचानक पानी गिरने लगता है और सभी एक खंडहर में शरण लेते हैं। एक प्रेमी जोड़ा भागता हुआ इसी जगह पंहुचता है। समय बिताने के लिए होने वाली बातचीत में धीरे धीरे एक तनाव पैदा होता है और सब एक दूसरे की असलियत बताने लगते हैं। चेहरे उजागर होते हैं। 

समारोह के अंतिम दिन 4 नवंबर को रंगशिला मुम्बई के कलाकार अवनीश मिश्रा के निर्देशन में ’’द ग्रेट राजा मास्टर ड्रामा कंपनी’’ नाटक का मंचन करेंगे। नौटंकी शैली पर आधारित गीत संगीत से सराबोर इस नाटक का प्रमुख आकर्षण हेमंत पांडेय हैं जो टी वी के दुनिया के जाने माने कलाकार हैं। इस नाटक में नेहा सराफ, राणा प्रताप सिंह और नरोत्तम बेन भी अभिनेता हैं जो सभी जबलपुर के हैं और इस समय मुम्बई में स्थापित हैं।

समारोह के अंतिम दिन 4 नवंबर को ही सुबह 10.30 बजे भी एक मंचन रखा गया है। भिलाई इप्टा के कलाकार त्रिलोक तिवारी के निर्देशन में स्व शरीफ अहमद का लिखा नाटक ’’मंथन’’ प्रस्तुत करेंगे। यह एक नाविक और एक पंडित के बीच की रोचक कथा है जिसमें दो चरित्रों के नए नए रंग उभरते हैं।

इस अवसर पर तरंग ऑडीटोरियम गैलरी में विश्वविख्यात चित्रकार श्री बसंत सोनी के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि श्री बसंत सोनी चित्र बनाने में रंगों का उपयोग नहीं करते वरन् उनके चित्रों में फूल पत्तियों पेड़ों की छाल का ही उपयोग होता है। जैविक चित्रकला के वे अकेले चित्रकार हैं।समारोह में प्रतिदिन संध्या सात बजे से तरंग हॉल के बाहर प्रांगण में जबलपुर के अलग अलग विधाओं के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

समाचार स्त्रोत :http://iptanama.blogspot.in/2012/10/31.html

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