(‘शब्दम् ’ ने किया
एक आदर्श
एवं महान
शिक्षक के
रूप में
हिन्दी आलोचना
के शिखर
पुरुष नामवर
सिंह का
सम्मान )
‘ आलोचक एक दुभाषिए
की तरह
है ।
उसका काम
रचना को
उस` वेवलेंथ
' तक ले
जाकर पाठक
से जोडना
है जहां
रचनाकार पहुंचना
चाहता है
या जिस
‘ वेवलेथ ' तक जाकर रचनाकार ने
सोच और
संवेदना के
स्तर पर
अपनी सर्जनात्मकता
को अभिव्यक्त
किया है।
इसके बाद
आलोचक की
भूमिका समाप्त
हो जाती
है ।
नामवर सिंह जी
ने “समालोचक
की सामाजिक
-सांस्कृतिक भूमिका “ विषय पर साहित्य-संगीत -कला
को समर्पित
संस्था ` शब्दम्
' की ओर
से `शिक्षक
दिवस' पर
हिन्द लैम्पस,
शिकोहाबाद स्थित संस्कृति भवन सभागार
में व्याख्यान
प्रस्तुत करते
हुए उक्त
विचार ब्यक्त
किये। साहित्य
में कविता
की महत्ता
को रेखांकित
करते हुए
नामवर जी
ने उसकी
रसात्मक भूमिका
की ओर
संकेत किया
। उन्होने
कहा कि
लोग मुझे
अज्ञेय का
विरोधी मानते
हैं, ऐसा
नही है।
`अज्ञेय' की
कविता ‘असाध्य
वीणा’ बड़ी
कविता है
। नामवर
जी ने
‘असाध्य वीणा’
का पाठ
करते हुए
उसके ऐतिहासिक
महत्व को
रेखांकित किया।
उन्होने कहा
कि आलोचक
जब तक
सह्र्दय नहीं
होगा, आलोचना
संभव नही
है।
इसके पूर्व नामवर
जी को
पहली बार
एक आदर्श
और महान
शिक्षक के
रूप में
‘शब्दम्’ की
ओर से
सम्मानित किया
गया। सम्मान
में ‘हरित
कलश, नारियल,अंगवस्त्रम्,शाल,सम्मान
पत्र एवं
रू० ५१०००/
की सम्मान
राशि देकर
‘शब्दम्’ अध्यक्ष
किरण बजाज,
नन्दलाल पाठक,
उदयप्रताप सिह एवं शब्दम् सलाहकार
मंडल के
सदस्यों ने
सम्मानित किया।
नन्दलाल पाठक
एवं उदयप्रताप
सिंह को
भी किरण
बजाज एवं
सलाहकार मंडल
के सदस्यो
ने “हरित
कलश , शाल
एवं नारियल”
भेंट कर
सम्मानित किया
। सम्मान
के समय
पार्श्व में
सुमधुर मंगल
गीत “शुभ
मंगल हो
, शुभ मंगल
हो, शुभ
मंगल- मंगल-
मंगल हो
” का गायन
पूरे वातावरण
की गरिमा
और भब्यता
को एक
नये रूप
में परिभाषित
कर रहा
था।
अपने स्वागत वक्तव्य
में ‘शब्दम्’
अध्यक्ष किरण
बजाज ने
नामवर सिंह
के प्रति
कृतज्ञता व्यक्त
करते हुए
कहा कि
“नामवर सिंह
को सम्मानित
कर ‘शब्दम्’
स्वयं सम्मानित
हुई है
। नामवर
जी इस
समय ‘महात्मा
गांधी अन्तरराष्ट्रीय
हिन्दी विश्वविद्यालय.
वर्धा ’ के
‘कुलाधिपति’ हैं और वर्धा मेरा
घर है,
इसलिये आज
मै बहुत
आत्मीय महसूस
कर रही
हूँ ।
”
मुम्बई से पधारे
काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय, वाराणसी में नामवर सिंह
के सहपाठी
रहे मुम्बई
विश्वविद्यालय के निवर्तमान हिन्दी प्रोफेसर
नन्दलाल पाठक
ने इस
अवसर पर
अपने अतीत
की मधुर
स्मृतियो का
स्मरण किया
। प्रो०
पाठक ने
शिक्षक दिवस
पर गुरु
-शिष्य सम्बन्धों
का उल्लेख
करते हुए
कहा कि
“जैसे रामकृष्ण
परमहंस को
विवेकानन्द मिले वैसे ही आचार्य
हजारी प्रसाद
द्विवेदी को
नामवर ।
“
कार्यक्रम की अध्यक्षता
कर रहे
उ.प्र.
हिन्दी संस्थान
के कार्यकारी
अध्यक्ष , प्रतिष्ठित कवि एवं पूर्व
सांसद उदयप्रताप
सिंह ने
कहा कि
नामवर जी
को सुनना
इसलिए एक
अद्वितीय अनुभव
है क्योंकि
वे हर
बार अपने
आलोचकीय वक्तव्य
में कुछ
ऐसा नया
जोड़ देते
है जो
इसके पहले
नहीं सुना
गया।
प्रो० नामवर सिंह
का परिचय
देते हुए
पालीवाल महाविद्यालय,
शिकोहाबाद के प्राचार्य एवं ‘शब्दम्’
सलाहकार मंडल
के सदस्य
डा० ओ
पी सिंह
ने कहा
कि “किसी
भी महान
व्यक्तित्व के निर्माण के लिए
माता -पिता
से मिले
संस्कार , स्कूली शिक्षा के दौरान
अच्छे शिक्षक
एवं सहपाठी
तथा स्वयं
की इच्छा-शक्ति एवं
विश्वास का
होना अतिआवश्यक
है और
यह संयोग
की बात
हे कि
नामवर जी
को यह
सब चीजें
प्राप्त है।
” उन्होने उनके बचपन के दिनों
की याद
ताजा की
।
नारायण महाविद्यालय, शिकोहाबाद
मे हिन्दी
के एसोशिएट
प्रोफेसर , ‘शब्दम्’ सलाहकार मंडल के
सदस्य,युवा
कवि-समीक्षक
एवं नामवर
जी के
शिष्य डा०
महेश आलोक
ने ‘शब्दम्’
का परिचय
प्रस्तुत किया।
। उन्होने
नामवर जी
के बारे
में छात्र-
जीवन ( जवाहरलाल
नेहरू विश्वविद्यालय
, नयी दिल्ली
में अध्ययन
करते समय)
का संस्मरण
सुनाते हुए
कहा कि
“ नामवर जी
अपने छात्रो
के भीतर
अपने से
बड़े आलोचको
से टकराने
का साहस
पैदा करते
हैं ।छात्रो
को समझाते
है कि
“अविवेकपूर्ण सहमति से विवेकपूर्ण असहमति
अत्यधिक महत्वपूर्ण
है ।महेश
आलोक ने
जोर देकर
कहा कि
“आचार्य शुक्ल
के पश्चात
नामवर जी
अकेले ऐसे
आलोचक हैं,
जिनसे जुड़ना
और टकराना-
दोनो हिन्दी
आलोचना के
विकास के
लिये आवश्यक
है। ”
समारोह में डा०
भीमराव अम्बेडकर
विश्वविद्यालय,आगरा के कुलपति प्रो०
डी एन
जौहर,उ०प्र०लोक
सेवा आयोग
के पूर्व
अध्यक्ष श्रीराम
आर्या , आगरा
कालेज,आगरा
के प्राचार्य
डा० मनोज
रावत,आर०
बी० एस०
कालेज, आगरा
के प्राचार्य
डा० टी
आर चैहान,के० के०
कालेज, इटावा
के प्राचार्य
डा० मौकम
सिह यादव,
जे० एल०
एन० कालेज,
एटा के
प्राचार्य डा० उदयवीर सिह, एस०
आर०के ०
कालेज, फिरोजाबाद
के प्राचार्य
डा० बी०
के० अग्रवाल
, बी०डी० एम०
कालेज, शिकोहाबाद
की प्राचार्या
डा० कान्ता
श्रीवास्तव,महात्मा गांधी महिला महाविद्यालय,
फिरोजाबाद की प्राचार्या डा० निर्मला
यादव सहित
आगरा, इटावा,
मैनपुरी, एटा,
फिरोजाबाद, शिकोहाबाद के विभिन्न कालेजो
के हिन्दी
के विभागाध्यक्ष
एवं प्राध्यापकगण
,चक्रेश जैन,
उद्योगपति बालकृष्ण गुप्त एवं शब्दम
सलाहकार मंडल
के सदस्य
उमाशंकर शर्मा,
मंजर-उल-वासे, नवोदय
विद्यालय की
प्राचार्या डा० सुमनलता द्विवेदी सहित
प्रबुद्ध श्रोता
उपस्थित थे
। समारोह
का संचालन
एवं धन्यवाद
ज्ञापन डा०
ध्रुवेन्द्र भदौरिया ने किया किया
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