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समकालीन साहित्य का पठन भी हम रचनाकारों के लिए ज़रूरी है।'


सृजन ने आयोजित किया  “हिन्दी रचना गोष्ठी”  कार्यक्रम
विशाखापटनम 
हिन्दी साहित्य, संस्कृति और रंगमंच के प्रति प्रतिबद्ध संस्थासृजनने हिन्दी रचना गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन विशाखापटनम के द्वारकानगर स्थित जन ग्रंथालय के सभागार में आज किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सृजन के अध्यक्ष नीरव कुमार वर्मा ने की जबकि संचालन का दायित्व निर्वाह किया संयुक्त सचिव डॉ संतोष अलेक्स ने डॉ॰ टी महादेव राव,सचिव, सृजन ने आहुतों का स्वागत किया और रचनाओं के सृजन हेतु समकालीन साहित्य के अध्ययन और समकालीन सामाजिक दृष्टिकोण को विकसित करना पर बल देते हुये कहाचूंकि हमें भाषा आती है, इसलिए रचना करें यह सटीक नहीं बल्कि हमारे आसपास,समाज में और देश में हो रही घटनाओं पर हमारा विशाल और विश्लेषणात्मक अध्ययन होना चाहिए। तब जाकर हम जिन रचनाओं का सृजन करेंगे वह केवल प्रभावशाली होगी  बल्कि पाठक भी उस रचना से आत्मीयता महसूस करेंगे। निरंतर समकालीन साहित्य का पठन भी हम रचनाकारों के लिए ज़रूरी है।

अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में नीरव वर्मा ने कहा की विविध तरह के कार्यक्रमों द्वारा विशाखापटनम में हिन्दी साहित्य सृजन को पुष्पित पल्लवित करना,नए रचनाकारों को रचनाकर्म के लिए प्रेरित करते हुये पुराने रचनाकारों को प्रोत्साहित करना सृजन का उद्देश्य है।  संयुक्त सचिव डॉ संतोष अलेक्स ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुये कहाआज कारचनाकार आम आदमी के आसपास विचरने वाली यथार्थवादी और प्रतीकात्मक रचनाओं का सृजन करता है। इस तरह के रचना गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित कर साहित्य के विविध विधाओं, विभिन्न रूपों,प्रवृत्तियों से अवगत कराना ही हमारा उद्देश्य है।

कार्यक्रम में सबसे पहले बीरेन्द्र राय ने आम आदमी की अतिव्यस्त ज़िंदगी की पीड़ाओं और जीवन में प्रेमराहित्य की बातदुख समुद्र होऔरप्रेम”  कविताओं में प्रस्तुत की।नए कवि जयप्रकाश झा ने जीवन से संग्राम कविता मीन नए आत्मा विश्वास को पनपाने की बात कही। मलयालम कविताज्ञानपानका हिन्दी अनुवाद श्रीमती उषा एस नायर ने पढ़ी जिसमें जीवन में कर्म,अनुशासन और प्रणालीबद्धता का महत्व बताया गया। डॉ एम सूर्य कुमारी ने जीवन की चरमावस्था में बच्चों द्वारा उपेक्षीय वृद्धों की मन की दशाबूढ़ा हृदयमें सुनाया।  तोलेटी चंद्रशेखर ने मित्र की महत्ता परदोस्तऔर शयन और स्वर्ण के परस्पर सम्बन्धों कोसोना और सोनागज़लों में प्रस्तुत किया। डॉ शकुंतला बेहुरा नेक्रांतिकारीशीर्षक कविता में वर्तमान में दिशाहीन भटकते युवा वर्ग को सार्थक कार्य करने का आह्वान किया।

अपनीकवितामें बी एस मूर्ति ने जीवन की संवेदनाएं और अनुभूतियों का महत्व बताया। दो रूमानी ग़ज़लोंतुम हीऔरतेरा चेहरामें एम रामकृष्णा ने हुस्न और इश्क की बातें खूबसूरती से कही। जी अपपाराओराज़ने सामयिक स्थितियों पर कुछ चुटीले व्यागया सुनाये। राम प्रसाद यादव ने  वर्षा के दो गीतोंबादल बूंद बूंद  बरसेऔरबरसात की रातमें एकाकी मन की भावनाएं, प्रकृति को बिम्ब बनाकर मर्मस्पर्शी ढंग से सुनाया। एम शिवराम प्रसाद नेउभरती चाँदनीकविता में रात,आसमान,चाँदनी आदि को प्रतीक बनाकर अच्छी रचना सुनाई।

बी वेणुगोपाल रावने अपने अनुभवों के आधार पर लिखी कहानीकर्मचारीसुनाई जिसमें एक शराबखोर कर्मचारी के सुधरने और परिवार से जुडने की कथा थी। श्रीमती भारती शर्मा ने दो कवितायेंअबोध शिशुऔरप्यारपढ़ी, जिसमें स्त्रियों की निस्सहाय स्थिति और प्रेम की कमी का वर्णन था। बी शोभावती ने मित्रता दिवस परमित्रता की महत्ताविषयक आलेख पढ़ा।  डॉ टी महादेव राव ने आत्मविश्वास से आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती ग़ज़लयू ही चला करेंगे हमऔर धर्मनिरपेक्षता कायम रखने का संदेश देती कविताहम हत्यारेसुनाई। नीरव कुमार वर्मा ने माता की ममता,पीड़ाएन, दुख और अनुराग पर केन्द्रित कवितामाँपढ़ी और डॉ संतोष आलेक्स ने प्राकृतिक बिम्बों की कविताएं  “नदीऔरगाँव के सड़क परपढ़ी जिनमें दृश्य सा माहौल था। 

कार्यक्रम में एस वीरभद्र राव,सी एच ईश्वर राव,शेख बाशा,ने भी सक्रिय भागीदारी की। सभी रचनाओं पर उपस्थिद कवियों और लेखकों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी। सभी को लगा कि इस तरह के सार्थक हिन्दीप कार्यक्रम अहिन्दी क्षेत्र में लगातार करते हुए सृजन संस्था  अच्छा   काम कर रही है। डॉ टी महादेव राव के धन्यदवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।      
                                                                                                                                
डॉ॰ टी महादेव राव
            मो -09394290204

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