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वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने के लिए मानिकपुर


  1. वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने के लिए मानिकपुर जिला चित्रकूट उत्तरप्रदेश में सैंकड़ों की संख्यां में अन्य परम्परागत समुदाय व आदिवासीयों ने निकाला जुलूस
  2. रा0 वनजन श्रमजीवी मंच व पाठा कोल दलित अधिकार मंच द्वारा आयोजित


मानिकपुरः
दिनांक 1 अगस्त 2012 को ब्लाक मानिकपुर जिला चित्रकूट उत्तरप्रदेश में सैंकड़ों की संख्यां में अन्य परम्परागत समुदाय व आदिवासीयों ने  जुलूस निकाल कर प्रशासन व उ0प्र0 सरकार को चेतावनी दी कि अगर वनाधिकार कानून को जल्द से जल्द प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाएगा तो वनाश्रित समुदाय 1 सितम्बर से बेमयादी आंदोलन करने पर बाध्य होगें। मानिकपुर में दो दिवसीय रैली, जनसभा व क्षेत्रीय सम्मेलन में काफी संख्या में उ0प्र0 के चित्रकूट, बांदा, मिर्जापुर, सोनभद्र व राज्य से सटे मध्यप्रदेश व छतीसगढ़ के वनाश्रित समुदाय ने भाग लिया। इस कार्यक्रम को करने का उत्साह पिछले दिनों देहरादून में आयोजित रा0वनजन श्रमजीवी मंच के सम्मेलन से पैदा हुआ व उसके बाद 22 व 23जुलाई 2012 को नई दिल्ली में आयोजित मंच की रा0 समिति की बैठक, सांसदो के साथ वनाधिकार कानून को लेकर चर्चा के बाद पैदा हुआ। इन सभी बैठकों में खासतौर पर यह निर्णय लिया गया था कि वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए वनविभाग को वनों से बेदखल करना जरूरी है इसके बिना वनाधिकार कानून किसी भी कीमत पर लागू नहीं होगा। इसी कार्यक्रम के तहत अब देश के विभिन्न प्रदेशों में सम्मेलन में पारित किए गए प्रस्तावों को लेकर बैठकें, रैलीयां व जनसभाए आयोजित की जाएगीं। इस रैली में हजारों लोगों ने भाग लिया व मानिकपुर बाज़ार से होते हुए रेलवे स्टेशन पहुंच कर रैली को समाप्त किया गया।

 रैली से पहले जनसभा ब्लाक परिसर में सम्बोधित करते हुए मंच के जुझारू नेताओं मातादयाल, श्यामलाल, रानी, रमेश शुक्ला, मौजी, परमेशवर प्रसाद, रामकली, भानसाहु, अशोक चैधरी, संजय पांड़े आदि ने अपने सम्बोधन में कहा कि माननीय संसद ने वनाधिकार कानून को पास करते वक्त इस बात को स्वीकारा है कि वनाश्रित समुदाय के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है इसलिए इस कानून में अधिकारों की मान्यता की बात कही गई है। लेकिन संसद ने वनविभाग की भूमिका को तय नहीं किया है जिससे वनाधिकार कानून को लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन वनविभाग द्वारा ही जारी की जा रही है। इसलिए अब कानून को लागू करने का पूरा दारोमदार वनाश्रित समुदाय के उपर है इसलिए इस कानून को लागू करने के लिए सबसे पहले वनविभाग को जंगल से बाहर करना होगा और उसके बाद तमाम लघुवनोपज पर समुदाय का नियंत्रण किस प्रकार से करना होगा इसके लिए विस्तृत कार्यक्रम तय करने होगें। जनसभा के बाद ए0डी0ओ को ज्ञापन सौंपा गया व एक महीने का समय दिया गया कि इस कानून को प्रभावी रूप से लागू किया जाए अन्यथा 1 सितम्बर से वनाश्रित समुदाय आंदोलन करने पर बाध्य होगें।अगले दिन 2 अगस्त को विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों के साथ वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को बनाया गया। 

जिसमें ग्राम सभा की सही बैठकों को बुला कर ग्राम वनाधिकार समिति का सही प्रकार से गठन करना व वनोपज पर नियंत्रण के लिए सहकारी समितियों को निर्माण करना व सामुदायिक वनाधिकारों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना।

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