- जयपुर में एकता महिला मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन,
- जनसत्याग्रह में भागीदारी की बनी रणनीति
- संगठित ताकत से ही महिलाओं को मिलेगा हक: राजकुमारी
जयपुर।
जयपुर के किसान भवन में भूमि अधिकार पर एकता महिला मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करने हुए राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष राजकुमारी जैन ने कहा कि संगठित ताकत और आंदोलन से महिलाओं को हक मिलेगा। उन्होंने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में काम करती हैं, उनके श्रम को हमेशा से नजरअंदाज किया जाता रहा हैं। जमीन पर हक न होने के कारण उनका अपना कुछ नहीं है। श्रम और अर्थव्यवस्था के बीच महिलाओं का शोषण हो रहा है। सारी लड़ाइयां औरतें लड़ती हैं लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं है। आजादी के 65 साल बाद भी महिलाएं पीड़ित ही हैं। 2005 में महिलाओं को संपत्ति में अधिकार के लिए कानून बने।
महिलाओं के लिए देश में अनेक कानून बने हैं, लेकिन उनके क्रियान्वयन की स्थिति बहुत खराब है। न्याय पाना एक बड़ी चुनौती है। सत्याग्रह का तात्पर्य तथ्य को रखकर संघर्ष करना है। जनसत्याग्रह एक महत्वपूर्ण आंदोलन होगा।
एकता परिषद के संस्थापक व जनसत्याग्रह के महानायक पी व्ही राजगोपाल ने कहा कि महला शक्ति को संगठित कर देश को संुदर बनाया जा सकता है। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों को महिलाओं द्वारा संचालित विभिन्न आंदोलनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2012 में आरंभ होने वाले जनसत्याग्रह में महिलाओं में अग्रणी भूमिका रहेगी। देश के 19 राज्यों से पहुंची महिलाएं वंचितों को हक दिलाने में कारगर होंगी। एकता महिला मंच की अध्यक्ष जिल कार हैरिस ने महिलाओं की स्थिति विस्तार से चर्चा की और कहा कि भूमि अधिकार का सवाल महत्वपूर्ण है, महिलाएं संपत्ति, भूमि और आजीविका के अधिकार से आज भी वंचित है। इसे सुनिश्चित किया जाना जनसत्याग्रह का लक्ष्य है। यह लड़ाई महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। अहिंसात्मक आंदोलनों को ताकत देकर भूमि अधिकार के सवाल को मजबूत बनाया जा सकता है। जनसत्याग्रह में महिलाओं की आधी भागीदारी सुनिश्चित करना है। सम्मेलन में देश के 19 राज्यों की महिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और संघर्षा के अनुभव रखे।
कर्नाटक से आई सुधा बहन ने कहा कि सारी बात अर्थव्यवस्था को लेकर है। संघर्ष से ही स्थिति में बदलाव आएगा। कृषि की परिभाषा बदल रही है, पूरी व्यवस्था बाजार पर आधारित है। कंपनियों को जिस ढंग से सरकार धड़ल्ले से खनन का लाइसेंस दे रही है। उस राजनीति की समझना होगा। इस स्थिति का विकल्प संघर्षशील है। सुप्रसिद्ध पत्रकार साजिया बहन ने कहा कि संगठित लड़ाई से ही महिलाओं को हक मिलेगा। सारी पार्टियों तथा राजनीतिक दलों का एक सा रवैया है। उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों की संख्या तो बढ़ी लेकिन खबरें नहीं हैं। मीडिया का चरित्र बदल रहा है। सिर्फ 11 फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी लैंड होल्डिंग्स में है। शिवानी बहन ने कहा कि भूमि अधिकार का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। यह जीवन तथा अस्तित्व से जुड़ा है। यह मानवाधिकार का मामला है। भारतीय संविधान में समानता का अधिकार तो है लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। किसानों की भूमि तेजी से छीनी जा रही है। जमीन से बेदखल किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पूरे सवाल पर संगठित लड़ाई की जरूरत है। उडीसा की लिली कुजूर ने भूमि के मसले पर जानकारी देते हुए बताया कि 2008 में सुंदरगढ़ में जमीन से बेदखली के खिलाफ आंदोलन शरू किया तो चार वर्र्षाे के अंतराल में सारा कुछ ठप पड़ गया। यहां दस गांवों को बेदखल किया जा रहा था और युवा रोजगार के अभाव में कंपनियों की दलाली कर रहे थे। जनसत्याग्रह समग्र भूमि के सवाल को लेकर है, इसमें महिलाओं की अहम भूमिका होनी चाहिए। वहीं विष्णु बहन ने चिल्का झील के क्षे़त्र में चल रहे संघर्ष की चर्चा करते हुए बताया कि किस प्रकार दलित और मछुआरे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा भूमि के बिना अस्तित्व नहीं हैं। भूमि महिलाओं के नाम से हो ताकि निर्णय लेने में अहम भूमिका हो।
जनसत्याग्रह 2012 में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है। झारखंड की सरला बहल ने कहा कि देश में झारखंड एक ऐसा राज्य है, जो घोटाले के लिए चर्चित है। भूमि घोटाले में सफेदपोसों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। यहां आदिवासियों की सरकार तो है लेकिन सरकार का काम उनके विरूद्ध हो रहा है। एकता महिला मंच विभिन्न कार्यक्रमों से महिलाओं को जोड़कर संघर्ष को मजबूत बना सकती है। मध्य प्रदेश से आई श्रद्धा बहन ने कहा कि एकता महिला मंच का गठन 2001 में हुआ और वह यह महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्ष रत है। महिलाएं खेती किसानी से जुड़ी हैं लेकिन उन्हें किसान का दर्जा नहीं दिया गया है। परंपरागत संपत्ति में उनके नाम नहीं हैं। संयुक्त पट्टा तथा संपत्ति में महिलाओं को हक मिले। जनसत्याग्रह में 50 हजार महिलाओं की भागीदारी हो, इसके लिए महिलाओं को उत्प्रेरित करना एक बड़ी चुनौती है।
विभिन्न आंदोलनों से जुड़े सवाई सिंह ने कहा कि महिलाओं के समक्ष अस्तित्व का सवाल है उनका हक और बराबरी का दर्जा संघर्ष से ही मिलेगा। इस सम्मेलन में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह, एकता परिषद के राष्ट्र्ीय समन्वयक रन सिंह परमार, जन संवाद यात्रा के समन्वयक रमेश शर्मा, राजस्थान एकता परिषद के समन्वयक जय सिंह जादौन, अनीष भाई, मृत्युंजय भाई, मध्य प्रदेश के समन्वयक संतोष सिंह, राजकली बहन, सरस्वती, सरोज, अनीता बहन, शांति बहन, भानू बहन, झारखंड की इमलिया बहन, गुजरात की सोनल बहन, जयश्री बहन ,ेमधु बहन आदि ने सम्मेलन में भाग लिया। दूसरे सत्र में बहनों ने क्षेत्र की समस्या और वहां जनसत्याग्रह आंदोलन की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की और उसे सफल बनाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चत करने पर बल दिया।
संपर्क-
कुमार कृष्णन, स्वतंत्र पत्रकार
द्वारा बनारसी ठाकुर
दस भुजी स्थान रोड
मोगल बाजार मुंगेर, बिहार
09304706646
Comments