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''सहजता पर निर्भर करता है सम्प्रेषण''-विनय उपाध्याय


(विनय उपाध्याय ने दिये सम्प्रेषण कला के सूत्र)

भोपाल 
हमारी शख्सियत का प्रभाव हमारे सम्प्रेषण से जुड़ा होता है। सहज अभिव्यक्ति की कला ही हमारे व्यक्तित्व को दूसरों से जोड़ने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया होती है। व्यक्तिगत, व्यावसायिक और सार्वजनिक जीवन में हमारी सफलता, असफलता बहुत हद तक सम्प्रेषण पर ही निर्भर करती है। ये सूत्र वरिष्ठ कला समीक्षक एवं राज्य संसाधन केन्द्र भोपाल की गवर्निंग बॉडी के सदस्य श्री विनय उपाध्याय ने साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत ’’साक्षरता में सम्प्रेषण कला का महत्व’’ विषय पर आयोजित क्षमता विकास कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिए। 

श्री विनय उपाध्याय ने कहा कि सम्प्रेषण के दौरान भाषा, आवाज, अदायगी हमारे व्यक्तित्व को प्रभावी बनाती है। इसके लिए अनवरत रचनात्मक साहित्य को पढ़ने की जरूरत होती है। पढ़ने के साथ-साथ प्रभावषाली व्यक्तियों को सुनना भी बहुत जरूरी होता है। पढ़ी एवं सुनी हुई बातें हमारी स्मृति में रच-बस जाती है। यह सभी बातें हमारे सम्प्रेषण को यादगार बना देती हैं। 

श्री विनय उपाध्याय ने इस अवसर अपने जीवन के कई रचनात्मक अनुभवों को साझा करते हुए आगे कहा कि साक्षरता एक चुनौती भरा कार्य है। इसके लिए स्थानीय जन समुदाय की सहमति बनाने हेतु हमें मनोवैज्ञानिक तरीके से अपनी सम्प्रेषण कला एवं भाषा को माध्यम बनाना पड़ता है। समुदाय से रिष्ता बनाने में स्थानीय लोक तत्व, बोली, मुहावरे, लोकगीत आदि हमारे लिए बहुत कारगर सिद्ध होते हैं।

क्षमता विकास कार्यक्रम का संचालन केन्द्र के प्रभारी निदेषक संजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर केन्द्र के प्रषासनिक अधिकारी संदीप श्रीवास्तव, सुश्री ऋतु वर्गीस, प्रियंका अरोरा, सोनाली पारे, सुबोध मण्डलोई, अमित श्रीवास्तव, राजू वानखेड़े, ओम प्रकाष बघेल, बृज पाटिल आदिल रजा आदि ने सम्प्रेषण से जुड़ी अपनी जिज्ञासाएं व्यक्त कीं जिनका समाधान श्री विनय उपाध्याय ने प्रस्तुत किया। अंत में आभार प्रदर्षन कार्यक्रम समन्वयक श्री इम्तेयाज खान द्वारा किया गया। 

संजय सिंह राठौर
प्रभारी निदेषक
राज्य संसाधन केन्द्र, भोपाल
राज्य संसाधन केन्द्र, भोपाल द्वारा जारी।

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