लंदन
वाणी प्रकाशन के
चर्चित उपन्यासकार
प्रदीप सौरभ
को उनके
उपन्यास 'तीसरी
ताली' के
लिए इस
वर्ष का
'अट्ठारहवां अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा
सम्मान' (लंदन)-ब्रिटेन की
संसद के
हाउस ऑफ़
कॉमन्स में
28 जून को
दिया गया।जो लेखक अपने
समय के
सत्य को
संबोधित नहीं
करता , वह
इतिहास के
कूड़े में
फैंक दिया
जाता है-
प्रदीप सौरभ
(लंदन) - ब्रिटेन की
संसद के
हाउस ऑफ़
कॉमन्स में
उपन्यासकार प्रदीप सौरभ को उनके
उपन्यास तीसरी
ताली के
लिये 'अट्ठारहवां
अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान'
प्रदान करते
हुए वैस्ट
ब्रॉमविच के
लॉर्ड किंग
ने कहा
कि लेखक
ही समाज
में बदलाव
ला सकता
है। उन्होंने
आगे कहा
कि कोई
भी संस्कृति
तभी बची
रह सकती
है यदि
उसकी भाषा
की ताक़त
महफ़ूज़ रहे।
इस अवसर
पर उन्होंने
सर्रे निवासी
ब्रिटिश हिन्दी
एवं उर्दू
के शायर
श्री सोहन
राही को
तेरहवां पद्मानंद
साहित्य सम्मान
भी प्रदान
किया। ब्रिटेन
में लेबर
पार्टी के
सांसद वीरेन्द्र
शर्मा ने
सम्मान समारोह
की मेज़बानी
की।
श्री विरेन्द्र शर्मा
ने प्रदीप
सौरभ के
उपन्यास के
विषय पर
टिप्पणी करते
हुए कहा
कि 21वीं
सदी में
हमारी बहुत
सी परम्पराएँ
मान्य नहीं
रही हैं।
यह उपन्यास
एक चेतावनी
है कि
हमें अपने
समाज में
हिजड़ों के
प्रति नज़रिया
बदलना होगा।
इस विषय
में उन्होंने
ब्रिटेन जैसे
उन्नत देशों
से सीख
लेने की
सलाह दी।
उन्होंने सोहन
राही के
सम्मान को
अपने शहर
का सम्मान
बताया जहाँ
से दोनों
जीवन में
आगे बढ़
कर ब्रिटेन
पहुंचे।
सम्मान ग्रहण करते
हुए प्रदीप
सौरभ ने
स्पष्ट किया
कि लेखक
को रचना
के माध्यम
से तोला
जाए न
कि उसके
व्यक्तिगत जीवन से। उन्होंने आगे
ज़ोर दे
कर कहा
कि जीवन
जीने के
लिये बचपन
से कितने
समझौते कितने
ग़लत काम
किये होंगे,
मैं उन्हें
स्वीकार करता
हूं। मैं
पत्रकार हूं,
टी.वी.
चैनल में
काम करता
हूं, कहने
को सच्चाई
की मशाल
लिये खड़ा
हूं, मगर
सच तो
यह है
कि अपनी
अख़बार के
मालिक के
लिए दलाली
करता हूँ
। मगर
जब मैं
लेखन करता
हूं तो
स्वतन्त्र होता हूँ । हर इन्सान के
चेहरे पर
अनेक मुखौटे
होते हैं
और मैं
तो मुखौटों
का म्यूज़ियम
हूँ ।
दीप्ति शर्मा
ने तीसरी
ताली के
उपन्यास अंश
का मार्मिक
पाठ किया।
काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी
ने समारोह
में वाणी
प्रकाशन की
युवा प्रकाशक
आदिति महेश्वरी
की उपस्थिति
पर टिप्पणी
करते हुए
कहा कि
यह हिन्दी
साहित्य के
लिये शुभ
समाचार है
कि पढ़े
लिखे युवा
अब हिन्दी
प्रकाशन क्षेत्र
में पदार्पण
कर रहे
हैं। इससे
सकारात्मक बदलाव आने की पूरी
संभावना है। मैनें
हमेशा ही
यह कहा
है कि
हिन्दी उपन्यास
और कहानी
लेखन में
शोध बहुत
कम किया
जाता है।
किन्तु उपन्यास
'तीसरी ताली'
पढ़ कर
पता चलता
है कि
प्रदीप सौरभ
ने हिजड़ों
के जीवन
पर
कितना शोध किया है। काउंसलर
ज़ुबैरी ने
सोहन राही
को हिन्दी
और उर्दू
का श्रेष्ठ
गीतकार कहा।
कथा यू.के.
के महासचिव
कथाकार तेजेन्द्र
शर्मा ने
सम्मानित पुस्तकों
की चयन
प्रक्रिया के बारे में बात
करते हुए
समारोह में
मौजूद सोआस
विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष फ़्रेंचेस्का
ऑरसीनी को
सम्बोधित करते
हुए आग्रह
किया कि
विद्यार्थियों का सक्रिय लेखकों के
साथ पारस्परिक
मेलजोल ज़रूरी
है। इससे
ब्रिटेन में
हिन्दी साहित्य
एवं गतिविधियों
को एक
नई दिशा
मिलेगी। संचालन
करते हुए
तेजेन्द्र शर्मा ने तीसरी ताली
उपन्यास एवं
सोहन राही
के गीतों
एवं ग़ज़लों
से परिचय
करवाया।फ़्रेंचेस्का ऑर्सीनी ने
तेजेन्द्र शर्मा के प्रस्ताव का
स्वागत किया
और कहा
कि भविष्य
में कथा
सम्मान का
आयोजन ऐसे
समय में
किया जाए
जबकि विश्विद्यालय
की कक्षाएं
चल रही
हों और
अन्य साहित्यिक
गतिविधियां भी हो रही हों।
कथा यू. के.
के अध्यक्ष
श्री कैलाश
बुधवार ने
उपन्यास तीसरी
ताली पर
भारत के
समीक्षकों की टिप्पणियां पढ़ कर
सुनाईं जिनमें
सुधीश पचौरी,
हीरालाल नागर
एवं निरंजन
क्षोत्रिय की टिप्पणियां शामिल थीं।सोहन राही की
पुस्तक कुछ
ग़ज़लें कुछ
गीत पर
अपना लेख
पढ़ते हुए
नॉटिंघम की
कवियत्री जय
वर्मा ने
कहा किए
सोहन राही
एक पीढ़ी
के लिए
नहीं हैं
वे युवा
से लेकर
सब उम्र
वालों को
अपने से
लगते है।
अंतर्मन की
जटिल गुत्थियों
को सुलझाते
हुए जीने
के अर्थ
को अपनी
संवेदनशील और मार्मिक कविताओं द्वारा
जनसाधारण तक
पहुंचाने में
सफल हुए
हैं।सोहन राही ने
कथा यू.के. के
निर्णायक मण्डल
को धन्यवाद
देते हुए
कहा, शेर
कहना मेरा
शुगल ही
नहीं, मेरे
जीवन की
उपासना है।
शेर.ओ.अदब मेरा
जीवन है,
मेरे गीत
मेरा ओढ़ना
बिछौना हैं।
उन्होंने अपने
गीत- कोयल
कूक पपीहा
बानी... का
सस्वर पाठ
भी किया।
श्री गौरीशंकर (उप.निदेशक नेहरू
सेंटर) ने
कहा कि
यह गर्व
का विषय
है कि
अब कथा
यू.के.
सम्मान की
चर्चा यू.पी.एस.सी. बैंकिंग
बोर्ड एवं
रेलवे
बोर्ड के टेस्टों में भी
होती है।सरस्वती वंदना निशि
ने की,
सोहन राही
का मानपत्र
मुंबई से
पधारीं मधु
अरोड़ा ने
पढ़ा तो
प्रदीप सौरभ
का मानपत्र
पढ़ा हिन्दी
एवं संस्कृति
अधिकारी श्री
आनंद कुमार
ने। संचालन
तेजेन्द्र शर्मा ने किया।कार्यक्रम में अन्य
लोगों के
अतिरिक्त काउंसलर
के.सी.
मोहन, काउंसलर
ग्रेवालए श्रीमती
पद्मजा,
प्रो.अमीन मुग़ल, अयूब ऑलिया,
जितेन्द्र बिल्लु, राम शर्मा मीत, अचला शर्मा, उषा
राजे सक्सेना,
गोविन्द शर्मा,
नीना पॉल,
महेन्द्र दवेसर,
पद्मेश गुप्त, निखिल
कौशिक, विजय
राणा, मीरा
कौशिक, परवेज़
आलम, पुष्पा
रॉव, कविता
वाचकनवी, शन्नो
अग्रवाल, वेद
मोहला, डॉ.
महिपाल वर्मा,
के.बी.एल.सक्सेना
आदि ने
भाग लिया।
अदिती माहेश्वरी,निदेशक ,बौद्धिक सम्पदा
व अनुवाद-08800422088
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