18 वाँ अंतर्राष्ट्रीय
इंदु शर्मा
कथा सम्मान
घोषित
कथा (यू.
के.) के
महा-सचिव
एवं प्रतिष्ठित
कथाकार श्री
तेजेन्द्र शर्मा ने लंदन से
सूचित किया
है कि
वर्ष 2012 के लिए अंतर्राष्ट्रीय इंदु
शर्मा कथा
सम्मान पत्रकार
कथाकार श्री
प्रदीप सौरभ
को उनके
(वाणी प्रकाशन
से 2011) में
प्रकाशित उपन्यास
तीसरी ताली
पर देने
का निर्णय
लिया गया
है। हिजड़ों
एवं किन्नरों
के जीवन
पर आधारित
यह उपन्यास
अपने आप
में अनूठा
है। इस
सम्मान के
अन्तर्गत दिल्ली-लंदन-दिल्ली
का आने-जाने का
हवाई यात्रा
का टिकट,
एअरपोर्ट टैक्स़,
इंगलैंड के
लिए वीसा
शुल्क़, एक
शील्ड, शॉल,
तथा लंदन
के ख़ास-ख़ास दर्शनीय
स्थलों का
भ्रमण आदि
शामिल होंगे।
यह सम्मान
श्री प्रदीप
सौरभ को
लंदन के
हाउस ऑफ
कॉमन्स में
28 जून 2012 की शाम को एक
भव्य आयोजन
में प्रदान
किया जायेगा।
सम्मारन समारोह
में भारत
और विदेशों
में रचे
जा रहे
साहित्यस पर
गंभीर चिंतन
भी किया
जायेगा।
इंदु शर्मा मेमोरियल
ट्रस्ट की
स्थापना संभावनाशील
कथा लेखिका
एवं कवयित्री
इंदु शर्मा
की स्मृति
में की
गयी थी।
इंदु शर्मा
का कैंसर
से लड़ते
हुए अल्प
आयु में
ही निधन
हो गया
था। अब
तक यह
प्रतिष्ठित सम्मान चित्रा मुद्गल, संजीव,
ज्ञान चतुर्वेदी,
एस आर
हरनोट, विभूति
नारायण राय,
प्रमोद कुमार
तिवारी, असग़र
वजाहत, महुआ
माजी, नासिरा
शर्मा, भगवान
दास मोरवाल,
हृषिकेश सुलभ
एवं विकास
कुमार झा
को प्रदान
किया जा
चुका है।
1 जुलाई 1960 को कानपुर
में जन्मे
प्रदीप सौरभ
ने इलाहबाद
विश्वविद्याल से हिन्दी साहित्य में
एम.ए.
की डिग्री
हासिल की।
जनआंदोलनों में हिस्सा लिया। कई
बार जेल
गए। वे
साप्ताहिक हिन्दुस्तान के संपादन विभाग
से लम्बे
अर्से तक
जुड़े रहे।
आजकल वे
दि सी
एक्सप्रेस दैनिक समाचार पत्र के
राजनीति-संपादक
के रूप
में कार्यरत
हैं। सम्मानित
उपन्यास के
अतिरिक्त उनके
दो अन्य
उपन्यास मुन्नी
मोबाइल एवं
देश भीतर
देश प्रकाशित
हो चुके
हैं। भारतेन्दु
कृत अंधेर
नगरी, सर्वेश्वर
का रचना
संसार एवं
कविता संग्रह
दरख़्त के
दर्द उनकी
अन्य प्रकाशित
कृतियों में
शामिल हैं।
गुजरात दंगों
की रिपोर्टिंग
के लिए
पुरस्कृत हुए।
निजी जीवन
में खरी-खोटी हर
खूबियों से
लैस। खड़क,
खुर्राट और
खरे। मौन
में तर्कों
का पहाड़
लिये इस
शख्स ने
कब, कहां
और कितना
जिया, इसका
हिसाब-किताब
कभी नहीं
रखा। बंधी-बंधाई लीक
पर कभी
नहीं चले।
इस कार्यक्रम
के दौरान
भारत एवं
विदेशों में
रचे जा
रहे हिन्दी
साहित्य के
बीच के
रिश्तों पर
गंभीर चर्चा
होगी।
वर्ष 2012 के लिए
पद्मानन्द साहित्य सम्मान इस बार
सर्रे निवासी
श्री सोहन
राही को
उनके ग़ज़ल
एवं गीत
संग्रह कुछ
ग़ज़लें कुछ
गीत (माडर्न
पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली) के
लिये दिया
जा रहा
है। पिच्चहतर
वर्षीय श्री
सोहन राही
का जन्म
गांव लिस्साहड़ा
ज़िला जालंधर
में हुआ।
प्रेम वारबर्टनी
व माहिरुल
कादरी के
शिष्य सोहन
राही के
अब तक
उर्दू एवं
हिन्दी में
दस ग़ज़ल
एवं गीत
संग्रह प्रकाशित
हो चुके
हैं। उनका
कहना है
कि शेर
कहना मेरा
शग़्ल नहीं
बल्कि मेरे
जीवन की
उपासना है।
मेरे गीत
मेरा ओढ़ना
बिछौना हैं।
इससे पूर्व ब्रिटेन
के प्रतिष्ठित
हिन्दी लेखकों
क्रमश: डॉ
सत्येन्द श्रीवास्तव,
दिव्या माथुर,
नरेश भारतीय,
भारतेन्दु विमल, डा. अचला शर्मा,
उषा राजे
सक्सेतना, गोविंद शर्मा, डा. गौतम
सचदेव, उषा
वर्मा, मोहन
राणा, महेन्द्र
दवेसर, कादम्बरी
मेहरा एवं
नीना पॉल
को पद्मानन्द
साहित्य सम्मान
से सम्मानित
किया जा
चुका है।
कथा यू.के. परिवार
उन सभी
लेखकों, पत्रकारों,
संपादकों मित्रों
और शुभचिंतकों
का हार्दिक
आभार मानते
हुए उनके
प्रति धन्यवाद
ज्ञापित करता
है जिन्होंने
इस वर्ष
के पुरस्कार
चयन के
लिए लेखकों
के नाम
सुझा कर
हमारा मार्गदर्शन
किया।
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