सृजन ने
आयोजित किया
“हिन्दी कथा
साहित्य” पर
चर्चा कार्यक्रम
विशाखापटनम॰ 8 अप्रैल ।
हिन्दी साहित्य, संस्कृति
और रंगमंच
के प्रति
प्रतिबद्ध संस्था “सृजन” ने आज
“हिन्दी कथा
साहित्य” पर
चर्चा कार्यक्रम
का आयोजन
विशाखापटनम के द्वारकानगर स्थित जन
ग्रंथालय के
सभागार में
किया। मुख्य
अतिथि के
रूप में
आंध्र विश्वविद्यालय
के सेवानिवृत्त वरिष्ठ
हिन्दी आचार्य
प्रोफेसर एस
एम इकबाल
उपस्थित थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सृजन के
अध्यक्ष नीरव
कुमार वर्मा
ने की
जबकि संचालन
का दायित्व
निर्वाह किया
डॉ॰ टी
महादेव राव,
सचिव, सृजन
ने। संयुक्त
सचिव डॉ
संतोष अलेक्स
ने उपस्थितों
का स्वागत
किया और
इस कार्यक्रम
के उद्देश्योँ
की चर्चा
की ।
प्रो एस एम
इकबाल ने
अपने मुख्य
अतिथि संबोधन
में कहा
कि कथा
साहित्य मानव
जीवन के
आरंभ से
ही जुड़ी
हुई है।
जीवन की
विभिन्न घटनाओं,
परिस्थितियों को रचनाकार की गहन
दृष्टि और
यथार्थपरक चिंतन के साथ मिलकर
कथा कहानी
की सृष्टि
करती हैं
और इस
तरह कहानी
मनुष्य के
करीब धड़कती
विधा है,
अनंत काल
से चली
आ रही
एक प्रक्रिया
है। कहानी
वह लोगों
के ज़्यादा
करीब होती
है जो
वास्तविकता के निकट होती है
और ज़िंदगी
के अक्स
पेश करती
है। सृजन
का हिन्दी
कथा साहित्य
पर चर्चा
एक प्रशंसनीय
प्रयास है।
अध्यक्ष नीरव कुमार
वर्मा ने
कहा कि
इस तरह
के चर्चा
कार्यक्रमों द्वारा विशाखापटनम में हिन्दी
साहित्य सृजन
को पुष्पित
पल्लवित करना,
नए रचनाकारों
को रचनाकर्म
के लिए
प्रेरित करते
हुये पुराने
रचनाकारों को प्रोत्साहित करना सृजन
का उद्देश्य
है। कथा
साहित्य पर
कार्यक्रम का उद्देश्य रचनाकारों को
कहानी लेखन
की ओर
प्रेरित करते
हुये उन्हें
मार्गदर्शन देना है। डॉ॰ टी महादेव
राव ने
हिन्दी कथा
साहित्य पर
कार्यक्रम के विषय में चर्चा
करते हुये
कहा – कहानी
लिखने के
तरीके, शैलियाँ
बदली ज़रूर
हैं, पर
कहानी अब
भी आम
आदमी और
उसकी परिस्थितियों
के आसपास
घूमती है
और हमें
उद्वेलित करती
है। कहानी
के रूप
कई हैं,
जैसे लघुकथा,
कहानी, लंबी
कहानी और
उपन्यास। सभी
में मानव
मूल्य और
मानवतावाद अपने पूरे अस्तित्वों के
साथ शामिल
होते हैं।
उन्होंने अपनी
बात उदाहरणों
के साथ
प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में सबसे
पहले बीरेन्द्र
राय ने
प्रसिद्ध कहानीकार
निर्मल वर्मा
की कहानियोँ
मेँ भाषा
पर
समीक्षात्मक प्रपत्र प्रस्तुत
किया। अपनी
कहानी “ नरोत्तम
“ पेश करते हुये तोलेटी चंद्रशेखर
ने एक
चोर के
हृदय परिवर्तन
के लिये
एक व्यक्ति
के प्रयासोँ
की गाथा
सुनाई। बी
एस मूर्ति
ने अपनी
कहानी “ऑड
मैन” मेँ
वर्तमान समाज
मेँ घटती
घटनाओँ का
चित्र बखूबी
खींचा। “ धर्मचक्र
“ अनूदित कहानी
मेँ
बदलते जीवन मूल्योँ के बीच
मानवता की
बात बताई
डॉ बी
वेँकट राव
ने।। कहानी
का इतिहास
पर पर्चा
किरन सिँह
ने प्रस्तुत
किया।
प्रभात भारती ने
एक प्रतीकात्मक
लघुकथा “मिट्टी”
और वैचारिक
आलेख “पत्थर” पढा । सम्बन्धोँ
और स्वार्थ
की सीमा
रेखा खींचती
कहानी प्रस्तुत
की कपिल
कुमार शर्मा
ने , शीर्षक
था “ मन
की आवाज़”
।
लक्ष्मी नारायण दोदका ने बाल्यावस्था
की स्थिति
मेँ मृत्यु
की सचाई
अपनी कहानी
“ काकी” मेँ
मार्मिकता के साथ पेश किया।
मीना गुप्ता
ने लघुकथा
“बेटे” मेँ
भौटिकवादी वर्तमान समाज के काले पक्ष
को उजागर
किया। जी
अप्पा राव
“राज” ने
“ कहानी कैसी
हो”
पर और अशोक गुप्ता ने
क़हानी अगली पीढी के लिये
लिखे” विषयोँ
पर अप्ने
विचार रखे
। “ अफसर”
कहानी पढी
एन सी
आर नायुडु
ने।
मानवता को आशा
बन्धाती ओ
हेनरी की
लघुकथा का
अनुवाद “पत्ता”
डॉ संतोष
अलेक्स ने
पढा और
डॉ टी
महादेव राव
ने अपनी
लघुकथा “ दो
स्थितियाँ’ प्रस्तुत की, जिसमेँ बदलती
स्थितियोँ के साथ बदलते आदर्शोँ
की बात
थी ।
नीरव कुमार
वर्मा ने
“ समकालीन कथा साहित्य” पर आलेख
पढा।
कार्यक्रम में कृष्ण
कुमार गुप्ता, आरुणि
त्रिवेदी, सीएच ईश्वर राव, ताता
राव ने
भी सक्रिय
भागीदारी की।
सभी रचनाओं
पर उपस्थित मुख्य
अतिथि प्रो
एस एम
इक़बाल जी
ने अपनी
समीक्शात्मक किंतु मार्गदर्शक प्रतिक्रिया
दी। सभी
ने अनुभव
किया कि
इस तरह
की
सार्थक चर्चाओँ
के कार्यक्रम
लगातार करते
हुए सृजन
संस्था
साहित्य के
पुष्पन और
पल्लवन में
अच्छा काम कर रही
है। डॉ
संतोष अलेक्स ने धन्यवाद ज्ञापन
के साथ
कार्यक्रम समाप्त हुआ।
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