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Sportman Banjrang Lal Takher


नौकायान की कई अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवा चुके अन्तर्राष्ट्रीय नौकायान खिलाड़ी बजरंग लाल ताखर का मानना है कि  होसला बुलन्द हो, मन में जीत का जज्बा हो तो सफलता आपके कदम चूमेगी। ताखर का मानना है कि उन्हे नौकायान के खेल में अभी काफी आगे तक जाना है। इसीलिये उनका पूरा प्रयास है कि आगामी ओलम्पिक खेलों की नौकायान प्रतियोगिता में भारत के लिये पदक जीतकर देश का नाम रोशन करना। राजस्थान के रेगिस्तानी शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले की छोटी सी बालूराम की ढ़ाणी में 5 जनवरी 1981 को सामान्य किसान परिवार में जन्में ताखर 1 अप्रैल 2000 को भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हुये थे तथा 2001 में अच्छी कद-काठी व लम्बाई के चलते इनका चयन नौकायान के प्रशिक्षण के लिये हो गया।

नौकायान में ताखर को पहली बड़ी सफलता 2006 के साऊथ एशियन गेम्स में मिली जहां उन्होने सिंगल व डबल स्किल में दो स्वर्ण पदक जीते। इसी वर्ष दोहा में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स की नौकायान प्रतियोगिता में उन्होने प्रथम व्यक्तिगत रजत पदक जीता। उसके बाद तो वो लगातार सफलता हासिल करते चले गयें। 2007 में कोरिया में सम्पन्न हुयी एशियन नौकायान प्रतियोगिता में उन्होने स्वर्ण पदक जीता। 2008 में ताखर को भारत सरकार द्वारा आर्मी अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2008 में चीन के बीजिंग में सम्पन्न हुये ओलम्पिक गेम्स की नौकायान प्रतियोगिता में ताखर 21 वीं रैंक पर रहे थे।

2010 में चीन के गांजाऊ शहर  में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स में नौकायान प्रतियोगिता की व्यक्तिगत स्पर्धा में प्रथम स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम  गौरवान्वित करने वाले ताखर का कहना है कि इस बार ओलम्पिक प्रतियोगिता में वो हर हाल में पदक जीतेंगें। एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से उनके होसले बुलन्द है तथा उनका लक्ष्य आगामी ओलम्पिक प्रतियोगिता में भारत की और से पदक जीतना है।
वर्तमान में भारतीय सेना की राजपूताना रायफल्स रेजिमेंन्ट में नायब सूबेदार के पद पर कार्यरत ताखर की खेल प्रतिभा को देखते हुये 2008 में भारत सरकार द्वारा  उन्हे अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। ताखर का कहना है  कि उसका लक्ष्य ओलंपिक प्रतियोगिता में भारत के लिए गोल्ड मेडल लाना है। लंदन में होने वाले अगले ओलम्पिक खेलों में चयन के लिये 26 अप्रैल 2012 से दक्षिण कोरिया में नौकायान की क्वालिफाईंग प्रतियोगिता शुरू होगी। उसमें चयनित होने के लिये मैं पूरा प्रयासरत हूँ तथा अभी से पूरी तैयारी कर रहां हूं । इसलिये हैदराबाद की हुसैन सागर झील स्थित भारतीय नौकायान कैम्प में प्रतिदिन दस घंटे नियमित अभ्यास कर रहा  हूं। 

अर्जुन पुरस्कार विजेता पूर्व नौकायान खिलाड़ी जेनिल कृष्णन को अपना रोल माडल मानने वाले  ताखर ने नौकायान में भारत में अभी तक का सर्वोच्च पुरस्कार 2010 के एशियाड में स्वर्ण पदक जीतकर यह दिखा दिया था कि वह भी ओलम्पिक में पदक जीतने का दम रखता है। स्वर्ण पदक जीतने के बाद से सरकार भी नौकायान को बढ़ावा देने लगी है। खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण के लिये सरकार ने इटली से नावें मंगवायीं हैं तथा प्रशिक्षण के लिये बेहतर साधन उपलब्ध करवा रही है। ताखर ने बताया कि यूरोपिय देशों का वातावरण नौकायान के लिये हमारे से बेहतर है।

राजस्थान में नौकायान की संभावनाओं पर ताखर का कहना है शेखावाटी के खिलाडिय़ों में अन्य प्रदेशों के खिलाडिय़ों के मुकाबले अधिक दमखम होता है मगर जरूरत है उन्हे उचित प्रशिक्षण व सुविधा उपलब्ध करवाने की। यदि सरकार द्वारा यहां नौकायान की पर्याप्त सुविधायें उपलब्ध करवा दी जाये तो इस क्षेत्र से कई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल सकतें हैं । इस क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। 1982 के एशियाड खेलों के दौरान जयपुर के रामगढ़ बांध में नौकायान प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया गया था मगर उसके बाद किसी ने वहां की सुध नहीं ली इस कारण यहां पर दुबारा ऐसी कोई प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो पाया।


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