पंडित बिरजू महाराज - कथक के पर्याय
बिरजू महाराज (जन्म: 4 फ़रवरी 1938) का पूरा नाम बृजमोहन मिश्राहै।
बिरजू महाराज भारतीयनृत्य की'कथक' शैलीके आचार्यऔर लखनऊके कालका– बिंदादीन घराने के एक मुख्यप्रतिनिधि हैं।पिता गुरु अच्छनमहाराज कीमृत्यु केपश्चात उनकेचाचाओं, सुप्रसिद्धआचार्यो 'शंभू' और 'लच्छू' महाराज नेउन्हें प्रशिक्षितकिया।16 वर्ष की उम्रमें उन्होंनेअपनी प्रथमप्रस्तुति दी और 28 वर्ष कीउम्र मेंकत्थक मेंउनकी निपुणताने उन्हेंसंगीत नाटकअकादमी काप्रतिष्ठित पुरस्कार दिलवाया।अपनी परिशुद्ध तालऔर भावपूर्णअभिनय केलिये प्रसिद्धबिरजू महाराजने एकऐसी शैलीविकसित कीहै, जोउनके दोनोंचाचाओं औरपिता सेसंबंधित तत्वोंको सम्मिश्रितकरती है।
बिरजू महाराज नेराधाकृष्ण अनुश्रुत प्रसंगों के वर्णनके साथविभिन्न अपौराणिकऔर सामाजिकविषयों परस्वंय कोअभिव्यक्त करने के लिये नृत्यकी शैलीमें नूतनप्रयोग कियेहैं। उन्होंनेकथक शैलीमें नृत्यरचना, जोपहले भारतीयनृत्य शैलीमें एकअनजाना तत्त्वथा, कोजोड़कर उसेआधुनिक बनादिया हैऔर नृत्यनाटिकाओं कोप्रचलित कियाहै।बिरजू महाराज एकनिपुण गायकभी हैंऔर ठुमरीतथा दादरा(शास्त्रीय गायन के प्रकार) काउनका गायनसराहा गयाहै। वहनाद, तबलाऔर वायलिनबजाते हैं।उन्होंने सत्यजितराय द्वारानिर्देशित फ़िल्म शंतरंज के खिलाड़ीमें दोशास्त्रीय नृत्य दृश्यों के लियेसंगीत रचाऔर गायनभी किया।गत वर्षो मेंउन्होंने व्यापकरूप सेभ्रमण कियाहै औरकई प्रस्तुतियांव प्रदर्शनव्याख्यान दिए हैं। बिरजू महाराजको भारतसरकार द्वाराप्रदत्त पद्मविभूषणसहित अनेकपुरस्कार मिलेहैं।
नमस्कार,अगर इस जीवन परिचय में आपको कोई कमी या कोइ नई बात जोड़नी/घटानी हो तो अछुती इस पेज का लिंक विषय लिखते हुए हमें इस पते पर ई-मेल करिएगा.ताकी हम इसे अपडेट कर सकें-सम्पादक
Comments