सातवां गोरखपुर फिल्मफैस्टिवल के 23 मार्च से 26 मार्च २०१२ के आयोजन के रपट करते हुए मनोज सिंह ने बताया कि भगत सिंह के शहादत दिवस
के अवसर
पर जन
संस्कृति मंच
और गोरखपुर
फिल्म सोसाइटी
की ओर
से प्रतिरोध
का सिनेमा
के सातवे
गोरखपुर फिल्म
फेस्टिवल का
समारोहपूर्वक उद्घाटन किया गया। यह
देश भर
में प्रतिरोध
का सिनेमा
का 26 वां
आयोजन है।
वरिष्ठ साहित्यकार
और जसम
के महासचिव
प्रणय कृष्ण
ने ‘प्रतिरोध
के सिनेमा’
को भगत
सिंह की
शहादत के
क्रम में
ही बताया।
उन्होंने कहा
कि भगत
सिंह असल
विकल्प की
आवाज थे।
उनकी शहादत
के बाद
वे लगातार
जनता के
रोजमर्रा के
संघर्षों में
जिंदा हैं।
प्रतिरोध का
सिनेमा भी
उन्हीं संघर्षों
के साथ
खडा़ है।
प्रणय कृष्ण
ने कहा
कि वर्तमान
दौर में
जब चंद
लोगों का
विकास और
अरबों लोगों
का विनाश
नियति सा
बनता दिख
रहा है
ऐसे में
सिनेमा के
साथ ही
कला के
हर माध्यम
को उन
लोगों के
साथ खड़ा
हो कर
प्रतिरोध करना
ही होगा
जो हाशिये
के लोग
हैं।
आयोजन समिति
के अध्यक्ष
रामकृष्ण मणि
त्रिपाठी ने
स्वागत वक्तवय
देते हुए
कहा कि
फिक्सन फिल्मों
के इतर
डाक्यूमेंट्री फिल्मों में भी रोचकता
और कल्पनाशीलता
की ऊंचाई
होती है।
ऐसे सौंदर्यबोध
के विकास
के लिए
जरूरी है
कि लोग
इन फिल्मों
को भी
देखें। इसलिए
सातवें गोरखपुर
फिल्म फैस्टिवल
में कई
डाक्यूमेंट्री फिल्मों और युवा डाक्यूमेंट्री
फिल्म बनाने
वालों को
भी शामिल
किया गया
है।उन्होंने यह भी
बताया कि
गोरखपुर फिल्म
फैस्टिवल काॅरपोरेट,
सरकारी और
किसी माफिया
के पैसों
के बजाय
जनता के
पैसों से
ही आयोजित
किया जाता
रहा है।
उत्तराखंड
जसम के
संयोजक और
प्रतिनिधि रंगमंच संस्था ‘युगमंच’ के
निदेशक जहूर
आलम ने
कहा कि
गोरखपुर फिल्म
फैस्टिवल की
प्रेरणा से
ही नैनीताल
में भी
यह आयोजन
संभव हो
पाया है।
उन्होंने कहा
अपने लोगों
से जरूरी
बातें करने
के लिए
सिनेमा सरीखे
संप्रेषणीय माध्यम को चुनने का
ही प्रभाव
है कि
पिछले तीन
साल से
आयोजित हो
रहे प्रतिरोध
के सिनेमा
के नैनीताल
फिल्म फैस्टिवल
में लोगों
की उत्साहजनक
भागीदारी रहती
है।
दिल्ली
से आए
चित्रकार सावी
सावरकर ने
आयोजन की
महत्ता को
जतलाते हुए
कला में
सबाल्टर्न सौंदर्यशास्त्र के अभाव की
चिंता पर
संक्षिप्त बात रखी। जसम गोरखपुर
के संयोजक
अशोक चैधरी
ने आयोजन
में आए
अतिथियों और
व्यवस्था में
जुटे कार्यकर्ताओं
का धन्यवाद
ज्ञापित किया।
सभा का
संचालन प्रतिरोध
का सिनेमा
के राष्ट्रीय
संयोजक संजय
जोशी ने
किया। उन्होंने
कहा कि
गोरखपुर फिल्म
फैस्टिवल पूरी
दुनिया के
लिए प्रतिरोध
के सिनेमा
के उत्सवों
का उदाहरण
बन गया
है। उन्होंने
कहा कि
प्रतिरोध के
सिनेमा को
लोगों को
दिखाए जाने
का यह
आंदोलन आगे
बढ़ चला
है।
इस आंदोलन ने
अब जनता
के सहयोग
से ही
जनता की
जरूरतों की
फिल्में बनाना
भी शुरू
की हैं।
उन्होंने बताया
कि गोरखपुर
फिल्म सोसाइटी
ने गोरखपुर
डायरीज की
प्रस्तावित तीन फिल्मों में से
इस बार
पहली फिल्म
खामोशी को
पूरा कर
लिया गया
है और
बाकी दो
फिल्में प्रतिरोध
और नाद
जल्द ही
पूरी हो
जाऐंगी।आयोजन के दूसरे
सत्र में
रंगकर्मी लोकेश
जैन ने
शरण कुमार
लिम्बाले की
आत्मकथा अक्करमाशी
पर आधारित
एकल नाटक
की प्रस्तुती
की। इसके
बाद डा0
गौरब छाबरा
की फिल्म
इंक लैब
को दिखाया
गया। कार्यक्रम
में गोरखपुर
की सिनेप्रिय
जनता भारी
संख्या में
मौजूद थी।
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