आज लखनऊ से
दो उत्साही
युवा साथी
मिलने आए.
शाहनवाज़ आलम
और राजीव
यादव. ये
लोग ग़ज़ब
का काम
कर रहे
हैं. छोटी-छोटी फ़िल्में
बनाते हैं,
और जन-पक्षधर अख़बारों/पत्रिकाओं को
सामाजिक-सांस्कृतिक
मुद्दों पर
सामग्री उपलब्ध
कराते हैं.
"सैफ़रन वार : अ वार अगेंस्ट
नेशन" इनकी चर्चित फ़िल्म है.
एक और
फ़िल्म है
:"पार्टीशन रीविज़िटेड." यहां मेरे पास
आए थे
सव्यसाची पर
बना रहे
फ़िल्म के
सिलसिले में.
सव्यसाची एक
ज़माने में
चर्चित साहित्यिक-वैचारिक पत्रिका
"उत्तरार्ध" का संपादन
करते थे,
तथा एक
विख्यात मार्क्सवादी
शिक्षक के
रूप में
जाने जातेथे.
कालेज में
पढाने के
साथ-साथ
मार्क्सवाद के शिक्षण-कर्म से
भी जुड़े
थे. कविताएं
लिखते थे.
बेहद महत्त्व
की छोटी-छोटी पुस्तिकाओं
की एक
पूरी श्रृंखला
उन्होंने लिखी
व प्रकाशित
की थी.
बेजोड संगठनकर्ता
थे, और
आज वरिष्ठ
मानी जाने
वाली वामपंथी
लेखकों की
पीढ़ी( जो
जनवादी लेखक
संघ से
संबद्ध रहे
हैं) के
लिए गुरु
एवं मित्र
की हैसियत
रखते थे.
ये मित्र
मेरे पास
आए थे,
इन्हीं सव्यसाची
के बारे
में मेरे
संस्मरण एवं
अनुभव रिकार्ड
करने. कल
ये नंद
भारद्वाज से
मिल लिए
थे. नंद
आकाशवाणी, मथुरा में अपने कार्यकाल
के दौरान
उनके काफ़ी
निकट रहे
थे. इन
मित्रों के
साथ आज
से चालीस-पैंतालीस साल
पहले के
साहित्यिक-सांस्कृतिक मसलों पर अपनी
यादें ताज़ा
और साझा
करना एक
प्रीतिकर अनुभव
रहा. यहां
का काम
पूरा हो
जाने पर,
मैंने उन्हें
वरिष्ठ कवि
विजेंद्र के
पास भेज
दिया. विजेंद्र
सव्यसाची का
नाम सुनते
ही, इन
मित्रों के
उत्साह के
बारे में
बताये जाते
ही, इन्हें
समय देने
के लिए
तुरंत तैयार
हो गए.जिन मित्रों के
पास सव्यसाची
के चित्र/अन्य सामग्री
उपलब्ध हो,
निम्न ई-मेल पाटों पर भेज सकते हैं
:
कहना न होगा,
मुझे इन
दोनों मित्रों
के जज़्बे
ने प्रभावित
किया है.
यह जज़्बा
सलाम किए
जाने लायक़
है. सव्यसाची
के बारे
में इन्होने
सुना भर
ही तो
है. उन्हें
ये जानते
तक नहीं.
साहित्य में
सक्रिय मित्रों
के लिए
शायद इसमें
कोई नसीहत
भी छिपी
मिले/लगे.
Contact:-
G-001, PEARL GREEN ACRES
Shri Gopalnagar,Gopalpura
Bypass,Jaipur, India 302019,
Cell-9783928351,
E-mail:-mshrotriya1944@gmail
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