जयपुर में प्रदेश
स्तरीय बैठक
सम्पन्न, 21 फरवरी को सभी संभाग
मुख्यालयों पर होंगे धरने, 30 मार्च
को प्रदेशभर में होंगी
रैलियां, हर
जिला मुख्यालयों
पर आयोजित
होंगी युवा
पंचायतें, प्रधानमंत्री व सोनिया गांधी
से प्रतिनिधिमंडल मिलेगा.राजस्थानी भाषा को
मान्यता का
आंदोलन अब
जोर पकड़ेगा।
21 फरवरी को
विश्व मातृभाषा
दिवस के
अवसर पर
सभी संभाग
मुख्यालयों पर धरना व प्रदर्शन
होगा। वहीं
30 मार्च को
राजस्थान दिवस
के अवसर
पर प्रदेशभर
में रैलियां
होंगी।
अखिल भारतीय राजस्थानी
भाषा मान्यता
संघर्ष समिति
की शनिवार
को जयपुर
के सिंधी
कैम्प स्थित
होटल महारानी
प्लाजा में
आयोजित प्रदेश
स्तरीय बैठक
में उक्त
निर्णय लिए
गए। बैठक
में प्रदेशभर
से आए
राजस्थानी आंदोलन से जुड़े कार्यकर्त्ता
बड़ी तादाद
में मौजूद
थे। बैठक
में निर्णय
लिया गया
कि संसद
के बजट
सत्र के
समय दिल्ली
में बैठक
की जाएगी
तथा राजघाट
पर मुखपत्ती
सत्याग्रह किया जाएगा। भोजपुरी की
ताकत को
राजस्थानी आंदोलन के साथ जोड़कर
सरकार पर
दबाव बनाया
जाएगा। प्रधानमंत्री
डॉ. मनमोहन
सिंह तथा
यूपीए अध्यक्ष
सोनिया गांधी
से भी
प्रतिनिधिमंडल मिलेगा। आरएएस, आरटेट और
आईएएस परीक्षाओं
में राजस्थानी
भाषा प्रश्नपत्र
की मांग
को लेकर
हर जिला
मुख्यालय पर
छात्र युवा
पंचायतों का
आयोजन किया
जाएगा। संघर्ष
समिति के
अग्रिम संगठन
राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश
स्तरीय कई
कार्यकर्त्ताओं को इसके लिए जिम्मेदारियां
सौंपी गई
हैं।
बैठक की अध्यक्षता
करते हुए
समिति के
प्रदेशाध्यक्ष के.सी. मालू ने
कहा कि
राजस्थानी जनता अब जाग चुकी
है और
वह अपना
यह हक
लेकर ही
रहेगी। उन्होंने
अपने चुटीले
उद्बोधन में
कहा कि
आमेर का
एक पत्थर
हिलता है
तो सरकार
हिल जाती
है। सरकार
बेजान पत्थरों
में विरासत
की तलाश
करती है
जबकि संस्कृति
तो भाषा
में बसती
है। उन्होंने
कहा कि
अब यह
महज 35 सांसदों
की मांग
नहीं रहेगी,
350 सांसदों को इस मुद्दे से
जोड़ना हमारा
लक्ष्य है।
समिति के
संस्थापक लक्ष्मणदान
कविया ने
बैठक को
ऐतिहासिक बताया
तथा कार्यकर्त्ताओं
से हर
मोर्चे पर
मजबूती से
जुटने का
आह्वान किया।
सांसद अर्जुनराम
मेघवाल ने
संसद के
अंदर तथा
बाहर राजस्थानी
को मान्यता
के संघर्ष
में जी
जान से
जुटने का
भरोसा दिलाया।
बैठक में
मोट्यार परिषद
के प्रदेशाध्यक्ष
शिवदान सिंह
जोलावास, महामंत्री
मदनसिंह राजपुरोहित,
संघर्ष समिति
के प्रदेश
उप पाटवी
पदमसिंह, प्रदेश
मंत्री सुरेन्द्र
लाम्बा, जगदीश
मीणा, देवकिशन
राजपुरोहित, प्रदेश प्रचार मंत्री विनोद
स्वामी, प्रदेश
प्रवक्ता डॉ.
वेदप्रकाश शर्मा, राजस्थान सरपंच संघ
के संरक्षक
जयंती सिंह
रतनू, प्रदेश
सचिव हिम्मतसिंह
राजपुरोहित, वरिष्ठ साहित्यकार बीएल माली
‘अशांत’, मोट्यार
परिषद के
मुकेश गोदारा,
सुरेन्द्रसिंह शेखावत, हरिराम विश्नोई, जोधपुर
राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चेयरमैन कमल
मेहता, डॉ.
वासुदेव चावला
इत्यादि ने
भी विचार
रखे। संयोजन
समिति के
प्रदेश महामंत्री
डॉ. राजेन्द्र
बारहठ ने
किया।
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