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आज रमेश दत्त शर्मा भी गया


आज एक और रमेश कम हो गया. हिंदी का सर्वप्रमुख विज्ञान लेखक, मेरा लगभग आधी सदी पुराना मित्र, मेरी पत्नी का बहनोई और मेरे साथ हिंदी साहित्य में 'रमेशिस्तान' की मांग करने वाला रमेश दत्त शर्मा नहीं रहा. रमेश वर्मा गया, रमेश बक्षी गया, रमेश गौड़ गया, रमेश रंजक गया, रमेश बत्रा गया....आज रमेश दत्त शर्मा भी गया.

जिन दिनों खालिस्तान की मांग हो रही थी, मैं 'साप्ताहिक हिंदुस्तान' के सम्पादकीय विभाग में काम करता था. तब उसमें एक व्यंग्य लेख छपा था 'हमें रमेशिस्तान चाहिए', जो तीन रमेशों ने मिलकर लिखा था--रमेश दत्त शर्मा, रमेश बक्षी, रमेश उपाध्याय. कार्टूनिस्ट रंगा के बनाये हम तीनों के कार्टून भी लेख के साथ छपे थे. बाद में जब मैं और रमेश बक्षी 'हिंदी शंकर्स वीकली' के सम्पादकीय विभाग में थे, विज्ञान लेखक रमेश वर्मा की एक दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर बक्षी ने लिखा था--'एक रमेश कम हो गया'.आज एक और रमेश कम हो गया!

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