कोलकाता मिलन मेला
प्रांगण में
शनिवार 04-2-2012 को पुस्तक
मेले के
समापन समारोह
की पूर्व
संध्या पर
संस्कृति सरोकार
एवम् मानव
प्रकाशन के
संयुक्त तत्वावधान
में स्टाल
नंबर 253 के
बाहरी लॉन
में सांउड
माईक पर
40 रचनाकारों की स्वरचित कृतियों की
आवाज़ शाम
चार बजे
से रात
आठ बजे
तक गुंजायमान
रही। इस
बहुभाषी कवि
सम्मेलन में
हिन्दी, बांगला,
उर्दू, पंजाबी,
गुजराती, राजस्थानी
तथा भोजपुरी
भाषा के
कवियों ने
अपनी-अपनी
मातृभाषा में
काव्य पाठ
किया। हिन्दी
के उल्लेखनीय
कवियों में
डॉ. अरुण
प्रकाश अवस्थी,
डॉ. गिरधर
राय, कुंवर
वीर सिंह
मार्तंड, प्रो.
अगम शर्मा,
बिमलेश त्रिपाठी,
निशांत, भानु
प्रताप त्रिपाठी
सरल, मंजु
मिंज, रवि
प्रताप सिंह,
हरेराम और
नम्रता मौर्य
रहे।
उर्दू
में उस्ताद
शायर हलीम
साबिर, शम्स
इफ़ातारवी, अहमद मिराज़, शकील अनवर,
मुजीब अख़तर,
गुलाम बुगदादी
एवम् सेराज
खान बातिश।
बांगला में
दिशा चटर्जी,
तपन भट्टाचार्जी,
मानिक माझी,
सोमनाथ राय
और अमरेश
चक्रवर्ती। पंजाबी से रावेल पुष्प,
पुष्पा खनूजा,
गुजराती से
दिनेश वढेरा,
भोजपुरी से
सुरेश शॉ
तथा रंजीत
प्रसाद और
राजस्थानी से संजय सनम ने
अपनी कविताओं
के माध्यम
से भारत
की भाषाई
विविधता में
एकता की
मनोरम झांकी
प्रस्तुत की।
कविता का
जादू इस
तरह तारी
था कि
राह चलते
पुस्तक प्रेमी
स्टॉलों की
तरफ जाना
भूल कर
घंटों खड़े
रहकर कविता
का रसास्वादन
करते रहे।
इस बहुभाषी
कवि सम्मेन
की अध्यक्षता
की, राष्ट्रीय
स्तर के
स्वनामधन्य कवि डॉ. अरुण प्रकाश
अवस्थी ने।
संचालन किया
युवा कवि
व शायर
रवि प्रताप
सिंह ने।
धन्यवाद ज्ञापन
किया कार्यक्रम
की संयोजक
तथा आकाशवाणी
एफ. एम.
की रेडियो
जॉकी नीलम
शर्मा अंशु
ने।
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