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महाभारत की कथा पर नृत्य नाटिका का मंचन


जमालपुरः
श्री श्याम बावा मंदिर समिति जमालपुर की ओर से आयोजित श्री श्याम अखंड ज्योति पाठ के अवसर पर महाभारत की कथा पर नृत्य नाटिका पेश किया गया जिसमें महाभारत के विविध कथाओं को नाटक तथा नृत्य के माध्यम से पेश किया गया। इस आयोजन में कोलकाता से आये कलाकारों ने भावभगिमा पूर्ण अभिनय से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नाटिका का प्रसंग अहिल्यावती पर आधारित था। इसमें अहिल्यावती की भूमिका में अनन्या, भीमसेन की भूमिका में चंदन, नारद की भूमिका में रोहित, बर्वरीक की भूमिका में सपना, शंकर की भूमिका में सैयकत, सखी की भूमिका में सविता, मोनालिसा, पायल, मोतिनता थे तथा श्री कृष्ण की भूमिका में राहुल सिन्हा थे। समग्र नृत्य परिकल्पना उन्हीं की थी। संगीत परिकल्पना  संदीप जी सुल्तानिया की थी। नाटिका के संवाद प्रभावोत्पादक थे। इस अवसर अखंड ज्योति पाट का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मारबाड़ी समाज की  महिलाओं ने हिस्सा लिया। पूरी लौहनगरी जमालपुर  श्याम बाबा के जयकारे से गूंज उठी। आयोजन ने लोगों को श्याम की भक्ति रस में गोते लगाने को बाघ्य कर दिया। संदीप सुलतानिया ने  बावा श्यााम के कथा की  विस्तृत व्याख्या की।  कई रूपो  को दर्शाया।

 इस अवसर  श्याम भक्तों द्वारा अखंड ज्योति प्रज्जवलित की गयी।  कार्यक्रम के दौरान कैलाश शर्मा, निकेता शर्मा तथा अनिल शर्मा ने भजन प्रस्तुत कर वातावरण में भक्ति रस का अमृत घोला।लौहनगरी जमालपुर स्थित माऱबाड़ी  धर्मशाला में श्री श्यााम बाबा के मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। यह श्यामभक्तों के आस्था का प्रतीक है। आज से 26 वर्ष पूर्व 1986 में इस मंदिर में श्री श्याम प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा जगन्नाथपुरी घाम के तात्कालीन जगत्गुरू शंकराचार्य ने की थी। मंदिर समिति के सदस्यों के अनुसार 16 वर्षों लगातार खास तौर पर स्व आचार्य रामनारायण शर्मा, स्व आचार्य अनंत प्रसाद शर्मा , स्व द्वारिका प्रसाद पंसारी, गोपी राम संघई, राधे जगवान, हेमचंद खेतान, हरिश्चंद गर्ग एवं समाज के अन्य लोगों के अथक प्रयास से यह मंदिर अपनी मान्यता के लिये चर्चित है। श्री श्याम भक्तों का मुख्य धाम राजस्थान स्थित खाटू धाम है। श्यााम भक्त देश के जिन - जिन भागों में गये उन- उन क्षेत्रों में श्री श्याम मंदिर की स्थापना करते गये। इसी कड़ी में जमालपुर का श्याम मंदिर है। श्याामभक्तों के अनुसार श्याम प्रभु की कथा महाभारत से जुड़ी है- महावली भीम के पुत्र घटोत्कच एक बार जब शास्त्रार्थ में विजय हुए थे तब उनका विवाह मणिपुर के राजा के पुत्री भैरवी से  हुआ। भैरवी का नाम अहिल्यावती भी था। 

वीर  घटोत्कच को भैरवी से एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम बर्वरीक था। वे बर्वरीक थे जिसे श्याम सरकार अवतारी पुरूष की संज्ञा से अविहित किया गया । कहते हैं कि भगवान कृष्ण के कहने पर जनकल्याण परोपकार तथा धर्म की रक्षा के लिये उन्होंने अपने शरीर का दान कर दिया था। इसलिये कलियुग में भगवान श्री कृष्ण के अतिप्रिय नाम हैं। श्री श्याम के नाम से पूजित होने  का वरदान मिला। श्याम भक्तों की मान्यता है कि कलियुग के समस्त प्राणि  श्री श्यामजी के दर्शन मात्र से सुखी हो जाते है। फाल्गुन मास में खाटुधाम में श्याम भक्तों का बड़ा  मेला लगता है। समय -समय  पर होनेवाले आयोजनों में भक्तों का समूह उमड़ पड़ता है।  इस आयोजन में प्रभु श्याम को छप्पन भोग का अर्पण किया गया। इस आयोजन में श्याम भक्त दामोदर शर्मा, विष्णु संघई , राजकुमार गर्ग, सीताराम हवेलीवाला, रोहित संघई , अरूण संघई, गणेश शर्मा, दिनेश जोशी सहित श्याम वाल मंडली के सदस्यों की  अहम् भूमिका रही

सज्जन कुमार गर्ग
       द्वारा हरिश्चंद्र गर्ग  
सदर बाजार, मारबाड़ी मुहल्ला
जमालपुर , मुंगेर
मो- 09931554140

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