- ''जनसंस्कृति को मनोरजंन ही नही लोकचेतना का माध्यम बनना चाहियें। ''-डॉ. कालीचरण यादव
- ज्योतिस्वरूप:कला की इसी ओछी राजनीति के शिकार
- इर्द-गिर्द घूमते हैं वे सपने:अच्छा जॉब,पढ़ी लिखी बीवी,मोटा पैकेज,सुसज्जित घर
- मीडिया :सिर्फ नाम में ही नहीं चरित्र में भी बदलाव हुआ है
- सबलोग पत्रिका के दो अंक
- ‘शीतल वाणी’ ने दिया एक करामाती कमाण्डर को सेल्यूट !
- यशवंत कोठारी का व्यंग्य:-सर्वत्र तंत्र का राज्य है । गण मोहताज है ।
- मीडिया विमर्श:-‘तय करो किस ओर हो तुम ’
- शैलेन्द्र चौहान का आलेख:-निराला की कविता के अंतर्तत्व
- आलेख:-आचार्य तुलसी के अणुव्रत आंदोलन का सामाजिक संदर्भ
- रपट Cum संस्मरण :-जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'कविता पाठ'
- ''अपने लिखे को छपने-छपाने की अज़ीब बेकली है।''-अवनीश सिंह चौहान
- ''इप्टा एक अनवरत सांस्कृतिक यात्रा का पर्याय बन चुकी है।''-उषा वैरागकर आठले
- ''जब नाटक सिर्फ पैसे के बल पर नहीं, बल्कि दोस्ती और आत्मीयता के बीच किया जाता था। ''-अरूण पाण्डे
- कट-कोपी-पेस्ट :इप्टा के औचित्य पर सवाल
- फेसबुक:मोहन श्रोत्रिय का आत्मकथ्य Or विमर्श की शुरुआत
- पिछले कुछ दशकों में व्यक्तिवादी सोच बढ़ा है -डॉ. सदाशिव श्रोत्रिय
- जानकारी :मुंगेर के ऐतिहासिक किले के भीतर
- हुसैन,तस्लीमा और अब सलमान रुश्दी
- डा. मनोज श्रीवास्तव की कविता...'यह समय'
- सलमान रुश्दी के भारत नहीं आने के मायने :कौशल किशोर
- विजय कुमार सप्पत्ती की चुनिन्दा कवितायेँ
- विश्वास पत्रिया की कविता ... 'मोह'
- विश्वास पत्रिया की कविता ...दरवाज़ा
- विश्वास पत्रिया की कविता ...कोशिश
- यह तश्ना की है ग़ज़ल,इसमें गाने.बजाने को कुछ नहीं
- विश्वास पत्रिया की कविता ...'साथ'
- यह सलामी दोस्तों को है मगर/ मुट्ठियां तनती हैं दुश्मनों के लिए
- पढ़ने औए साझा करने लायक कविताओं के जनक अनुज लुगुन
- विश्वास पत्रिया की कविता ..'कवि'
- मोहन श्रोत्रिय की संस्मरणपरक कविता 'माँ'
- चित्तौड़ की प्रकृति और इतिहास:रमेश टेलर के कैमरे से
- ''बेहतर संवाद स्थानीय, आसान व परिचित भाषा में ही संभव है''-गंगा सहाय मीणा
- ‘मीडिया शिक्षाःमुद्दे और अपेक्षाएं’
- ''भारतीय शिक्षा संस्थाओं की निष्क्रियता और लालफीताशाही के कारण हमें विदेशी शिक्षा संस्थानों की
- सहायता लेनी पड़ती है। ''-मदन कश्यप
- लघु पत्रिका आन्दोलन :व्यक्तिगत को सामूहिक प्रयासों में तब्दिलना बेहद ज़रूरी हो गया है.
- रपट:कौन कहता है कि युवा पीढ़ी दिशाभ्रमित है ?
- आलेख Cum संस्मरण:पांचों बातें अब नहीं फिर कहो, दिल्ली कहां।
- कविता समय-2:कविताई करते हुए रपट
- कविता समय-2:और फेसबुक पर बयानते प्रेमचंद गांधी
- ‘जंगीराम की हवेली’:नाटक बिल्कुल समसामयिक लगा
- कविता समय-2:छायाचित्र जो पच्चीस साल बाद और भी फबेंगे
- आज की कविता का परिदृश्य काफी विविधता से भरा है: संतोष सहर
- संस्कृतिकर्मियों और बुद्धिजीवियों को आम आदमी के बीच जाना होगा
- कविता समय -2 :धड़ेबाजी से विलग एक आयोजन
- नई परिभाषाएं ढालती अशोक कुमार पटेल की कवितायेँ
- कविता समय -2 ... रपट...पहली किस्त
- भारत! यही तुम्हारे लिये सबसे भयंकर खतरा है। - स्वामी विवेकानन्द
- रपट:''शमशेर वो नदी है जिस पर पुल नहीं बनता।''-प्रो0 निर्मला
- रंगकर्मी शिवराम की याद में “ईश्वर अल्लाह तेरो नाम” का प्रभावी मंचन
- तद्भव जैसी पत्रिका अब तक नहीं पढ़ी ...कहाँ हो?
- कट-कोपी-पेस्ट:रंगमंच के जीवित रहने के लिए सिरफिरे रंगकर्मी जिम्मेदार हैं
- “रंगवार्ता”:पत्रिका अपने गेट-अप, सेट-अप और विषय-वस्तु को लेकर चर्चें में है।
- जानकारी:मकर संक्राति पर चले मंदार
- पिछले तीन साल से कविता नहीं लिख रहे हैं!...उद्भ्रांत
- बड़ी-बड़ी इमारतों के दौर में किताबों की घटती दुकाने चिंताजनक -कवि-आलोचक नन्द भारद्वाज
- 'इलाहाबाद समझौता' साझा घोषणा पत्र जारी
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुण्डलियाँ
- निशांत:संभावनाएं अपनी जगह खुद बनाती है
- आयोजन रपट:मैं सुबह का गीत हूँ...
- पुस्तक समीक्षा: सांस्कृतिक मूल्यों के क्षरण से कवि आहत है
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