मुझे स्पिक मैके के द्वारा एक कार्यशाला हेतु कानपुर जाने का सोभाग्य मिला.वहाँ बहुत से होनहार कलावादी विद्यार्थियों और कलापरक विचारों के लोगो से मिलने का मौक़ा मिला.इस यात्रा के दौरान मुझे भी बहुत सारा ज्ञान सिखने और सिखाने को मिला.मेरे बड़े बेटे दिलीप के साथ ये कोहिमा,नागालैंड के बाद दूसरी बड़ी यात्रा थी.सादगी के साथ जितना मुझसे बन सकता है मैं अपने बाप-दादा की इस कला को जयादा से ज्यादा लोगों तक समय रहते पहुचाने का प्रयाश कर रहा हूँ.आगे भगवान् की मर्जी.कुछ तस्वीरें हैं जैसे
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