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भाषा से ही जीवित रहती है संस्कृतिः डॉ भाटी

चूरू, 27 अक्टूबर। 

साहित्य अकादेमी अवार्ड से पुरस्कृत राजस्थानी के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ आईदान सिंह भाटी ने कहा है कि वर्तमान समय में समाज संस्कृति पर जो आक्रमण अतिक्रमण हो रहे हैं, भाषा ही उनसे मुकाबला कर सकती है। भाषा साहित्य के माध्यम से ही संस्कृति जीवित रहती है।डॉ भाटी रविवार शाम शहर के मातुश्री कमला गोइन्का टाऊन हॉल में आयोजित राजस्थानी साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी दुनिया की सशक्त भाषाओं में से एक है और इसकी ध्वन्यात्मकता और नाद-सौंदर्य इसे एक अग्रणी भाषा के रूप में स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी के युवा लेखकों में अपार संभावनाएं हैं और इन्हें देखकर कहा जा सकता है कि राजस्थानी भाषा और साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मंगत बादल ने कहा कि जो लोग राजस्थानी भाषा के स्वरूप और मान्यता आंदोलन पर सवाल उठाते हैं, उन्हें किसी भाषा से कोई मतलब नहीं और केवल अपनी रोटियां सेंकनी है। उन्होंने युवा लेखकों का आह्वान किया कि कविता-कहानी से इतर दूसरी विधाओं में भी कलम चलाएं और कम से कम एकाध पुस्तकों के अनुवाद अवश्य करें। अनुवाद से हमें पता चलता है कि एक भाषा के रूप में हम कहां खड़े हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी की मान्यता का सवाल यहां के लोगों के वजूद और उनके पेट से जुड़ा सवाल है और सबको एकजुट होकर इस दिशा में प्रयास करने चाहिए।

एक लाख ग्यारह हजार के मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार से पुरस्कृत राजस्थानी साहित्यकार बी एल मालीअशांत ने कहा कि राजस्थानी भाषा का सवाल यहां के लोगों के रोजगार से जुड़ा मसला है और मान्यता मिलने पर प्रदेश के लोगों को नौकरियों में अपना वाजिब हक मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थानी एक वैदिक और ऋषि-मुनियों की भाषा है और इस भाषा में अकूत साहित्य का सृजन हुआ है। रावत सारस्वत पत्राकारिता पुरस्कार से सम्मानित कुरजां पत्रिका के संपादक जमशेदपुर के डॉ मनोहर लाल गोयल ने पत्राकारिता उनके लिए कोई पेशा नहीं अपितु एक जुनून है और मातृभूमि राजस्थान उनके लिए किसी भी तीर्थ से बढकर है। गोइन्का राजस्थानी साहित्य सारस्वत सम्मान से सम्मानित चूरू के वयोवृद्ध साहित्यकार बैजनाथ पंवार ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता की बात जब किसी के भी मुंह से वे सुनते हैं तो उनमें एक ऊर्जा सी भर जाती है।

किशोर कल्पनाकांत युवा पुरस्कार से सम्मानित उदयपुर री रीना मेनारिया ने कहा कि यह केवल उनका नहीं अपितु पूरे मेवाड़ का सम्मान है और इस पुरस्कार से मिली जिम्मेदारी को वे राजस्थानी में अधिक बेहतर सृजन कर निभाने का प्रयास करेंगी।आयोजक कमला गोइन्का फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्यामसुंदर गोइन्का ने आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्यिक राजनीति, गुटबंदी और खेमेबाजियों से इतर साहित्यिक क्षेत्रा में ईमानदारी से काम करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने का यह उनका एक विनम्र प्रयास है। फाउंडेशन की ललिता गोइन्का ने स्वागत किया। श्यामसुंदर शर्मा ने आभार जताया। इससे पूर्व कैलाश जाटवाला, माधव शर्मा, दुलाराम सहारण, कमल शर्मा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ एल एन आर्य, हनुमान कोठारी, डॉ रामकुमार घोटड़, उम्मेद गोठवाल, उम्मेद धानियां, देवेंद्र जोशी, शोभाराम बणीरोत, बसंत शर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, पत्राकार नागरिक मौजूद थे। संचालन सरोज हारित ने किया।

अशांत को एक लाख ग्यारह हजार का पुरस्कार: कार्यक्रम के दौरान राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के लिए अब तक उद्घोषित पुरस्कारों में सर्वाधिक राशि एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपए का मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार वर्ष 2013 के लिए मूर्धन्य राजस्थानी साहित्यकार बीएल मालीअशांत  को उनकी पुस्तकबुरीगार नजर एवं उनकी समग्र साहित्य साधना के लिए दिया गया। वरिष्ठ साहित्यकार बैजनाथ पंवार को गोइन्का राजस्थानी साहित्य सारस्वत सम्मान, कुरजां के संपादक डॉ मनोहर लाल गोयल कोरावत सारस्वत पत्राकारिता सम्मान तथा उदयपुर की रीना मेनारिया को उनकी पांडुलिपितकदीर रा आंक के लिएकिशोर कल्पनाकांत युवा साहित्यकार पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। श्याम गोइन्का, ललिता गोइन्का, डॉ भाटी डॉ बादल ने पुरस्कृतों को मोतियों की माला, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह भेंट किए।

पुस्तक का विमोचन: कार्यक्रम के दौरान रीना मेनारिया की पुरस्कृत राजस्थानी कहानी पुस्तकतकदीर का आंक का विमोचन किया गया। इस दौरान श्याम गोइन्का द्वारा संपादितहास्यम-व्यंग्यम् तथा डॉ मनोहर गोयल द्वारा संपादितकुरजां पत्रिका के नए अंकों का भी विमोचन किया गया।राजस्थानी महिला लेखन पुरस्कार की घोषणा:- इस मौके पर श्याम गोइन्का ने गोइन्का फाउंडेशन की ओर से राजस्थानी महिला लेखन को बढावा देने के लिए वर्ष 2015 से राजस्थानी महिला लेखन पुरस्कार देने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि राजस्थानी में लिखने वाली लेखिकाओं को प्रत्येक दो वर्ष से 31 हजार रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

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